पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

[ग]

की रॉयल एकेडेमियों, नौर्वे, उप्सल और कोपेनहेगेन की रॉयल सोसायटियों, अमेरिका के ऑरिएंटल, लाहौर के 'अंजुमन' तथा अलीगढ़ इन्स्टीट्‌यूट के सदस्य थे। उन्होंने 'नाइट ऑव दी लिजियन ऑव ऑनर' (फ़्रांस), 'स्टार ऑव दि साउथ पोल' आदि उपाधियाँ भी प्राप्त की थीं, और संभवतः युद्ध क्षेत्र से भी वे अपरिचित न थे। उनकी रचनाओं में 'इस्तवार' के अतिरिक्त 'ले ओत्यूर ऐंदूस्तानी ऐ ल्यूर उवरज़' (हिन्दुस्तानी लेखक और उनकी रचनाएँ, १८६८, पेरिस, द्वितीय संस्करण), 'ल लाँग ऐ ल लितेरत्यूर ऐंदूस्तानी द १८५० अ १८६९' (१८५० से १८६९ तक हिन्दुस्तानी भाषा और साहित्य), 'दिस्कुर द उवरत्यूर दु कुर द ऐंदूस्तानी' (हिन्दुस्तानी की आरंभिक गति पर भाषण, १८७४, पेरिस, द्वितीय संस्करण), 'ल लाँग ऐ ल लितेरत्यूर ऐंदूस्तानी––रेव्यू ऐन्युऐल, १८७०-१८७६' (हिन्दुस्तानी भाषा और साहित्य-वार्षिक समीक्षा, १८७०-१८७६, १८७१ और १८७३-१८७६ में पेरिस से प्रकाशित), 'रुदीमाँ द ल लाँग ऐंदूई' (हिन्दुई भाषा के प्राथभिक सिद्धान्त), 'रुदीमाँ द ल लाँग ऐंदूस्तानी' (हिन्दुस्तानी भाषा के प्राथमिक सिद्धान्त), 'मेम्वार सूर ल रेलीजिओं मुसलमान दाँ लिंद' (भारत में मुसलमानों के धर्म का विवरण), 'ल पोएजी फ़िलोसोफ़ीक ऐ रेलीज्यूस शे लै पैर्सी' (फ़ारस-निवासियों का दार्शनिक और धार्मिक काव्य), 'र्‌होतोरीक दै नैसिओं मुसलमान' (मुसलमान जातियों का काव्य-शास्त्र) आदि रचनाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनके अनेक भाषण भी मिलते हैं। उनके इतिहास ग्रन्थ से ज्ञात होता है कि उन्होंने भारत के लोकप्रिय उत्सवों का विवरण भी प्रस्तुत किया था, और 'महाभारत' का एक संस्करण मी प्रकाशित किया था। उनके कुछ भाषण तो 'ख़ुतबात तासी' के नाम से उर्दू में अनूदित हो चुके हैं। उनके अन्य किसी ग्रन्थ का अनुवाद उपलब्ध नहीं हो सका। प्रस्तुत अनुवाद उनके इतिहास-