पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५४]
हिंदुई साहित्य का इतिहास

क्योंकि मुसलमानों और हिन्दुओं के असली नामों में बहुत कम अंतर होता है; किंतु क्योंकि इन लेखकों का उल्लेख प्रायः उनके दूसरे नामों के अंतर्गत हुआ है, इसलिए लेखकों की तालिका में न केवल तख़ल्लुसों का उल्लेख हुआ है, वरन् तख़ल्लुस के संदर्भ सहित अन्य नामों का भी।

मैंने फ़ारसी और देवनागरी अक्षरों का प्रयोग छोड़ दिया है, किन्तु, जहाँ तक संभव हो सका है, दीर्घ स्वर पर स्वरित उच्चारण चिन्ह (Circumflex acceat) लगा कर और aïn प्रकट करने के लिए उसके आगे या पीछे आने वाले स्वर से पहले या बाद को अक्षरलोप-चिन्ह (Apostrophe) लगा कर, पूर्वी शब्दों के हिज्जे नियमित रूप से किए हैं। फ़ुटनोटों में मैंने भारतीय शब्दों को I, अरबी और फ़ारसी शब्दों को A या P से प्रकट किया है, और जब आवश्यकता प्रतीत हुई है तो मैंने शब्दों के हिज्जे निश्चित कर दिए हैं।

तीसरी जिल्द के अन्त में, विषय के अनुसार विभाजित, उन रचनाओं की सूची है जो ऐसे भारतवासियों द्वारा लिखित हैं जिनके संबंध में 'जीवनी' में विचार नहीं हो सका, और हिन्दी तथा उर्दू के उन पत्रों की सूची है जो निकल रहे हैं या निकल चुके हैं और जिनका निकलना मैं जानता हूँ; अंत में लेखकों और रचनाओं की, जिल्द और पृष्ठों के संदर्भ सहित, एक तालिका है। यूरोपियनों द्वारा या उनकी अध्यक्षता में हिन्दुस्तानी में लिखित ईसाई धार्मिक रचनाओं की भी एक सूची देने की मेरी इच्छा थी, किन्तु मुझे प्रतीत हुआ कि ये सूचियाँ मेरी आयोजना के बाहर हैं, और ख़ास तौर से इसलिए भी मैंने अपनी इच्छा से उन्हें नहीं दिया कि उनसे इस जिल्द का आकार बहुत बढ़ जाता।