पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
[ ६७
भूमिका


'ठुम्री', थोड़ी संख्या में चरणार्द्धो वाले-हिन्दुई के कुछ लोकप्रिय गीतों का नाम। ज़नानों या रनिवासों में उनका विशेषतः प्रयोग होता है।

'डोमरा', नाचने वालों की जाति, जो इसे गाती है, के आधार पर इस प्रकार के नाम की कविता। उसमें पहले एक चरण होता है, फिर दो अधिक लंबे चरणों का एक पद्य, और अन्त में एक अंतिम पंक्ति जो कविता का प्रथम चरण होती है।

'तुक' का ठीक-ठीक अर्थ है एक चरणार्द्ध (hcmistich)। यह मुसलमानों की काव्य-रचनाओं का पृथक् चरण फ़र्द है।

'दादा', विशेषतः बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड में प्रयुक और स्त्रियों के मुख से कहलाया जाने वाला श्रृंगारपूर्ण गीत।

‘दीपचन्दी', एक खास तरह का गीत, जो होली के समय पर ही गाया जाता है।

'दोहा' या ‘दोह्रा (distique)। यह मुसलमानी कविताओं का 'बैत' है, अर्थात् दो चरणों से बनने वाला दोहा पद्य।

'धम्माल', गीत जो भारतीय आनंदोत्सव-पर्व, जब कि यह सुना जाता है, के नाम के आधार पर 'होली' या 'होरी' भी कहा जाता है।

'धुर्पद', सामान्यतः एक ही लय के पाँच चरणों में रचित छोटी कविता। वे सब प्रकार के विषयों पर हैं, किन्तु विशेषतः वीर-विषयों पर। इस कविता के जन्मदाता, जिसे वे स्वयं गाते थे, ग्वालियर के शासक राजा मान थे।[१]

'पखान', यह शब्द, जिसका अर्थ है 'पत्थर', एक छोटी-सी श्रृंगारपूर्ण कविता के लिए प्रयुक्त होता है जिसमें एक ही अक्षर से शुरू होने वाले कुछ वाक्यांशों में किसी स्त्री का वर्णन किया जाता है।[२]

  1. विलर्ड (Willard), 'ऑन दि म्यूजिक्र व हिन्दुस्तान', पृ० १०७
  2. देखिए, सर गोर आउज़ले ( Sir Gore Ouseley), 'बायोग्रैफ़ीकल नोटिसेज़ व पशिंयन पोइट्स (फ़ारसी कवियों के जीवनी-संबंध विवरण), पृ० २४४ ।