पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/९९

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७२1 हिंदुई साहित्य का इतिहास १. वीर कविता ( अल्मासा ) । २. शोक कविताएँ ( ऑल्मरासी )।’ ३. नीति और उपदेश की कविताएँ ( अलूअंद बनून सोइत )। ४, श्रृंगारिक कविता ( अलूनसीव ) । ५. प्रशंसा और यशगान की कविताएँ ( अल्सना व आल्दीह )। ६, व्यंग्य ( अहिजा ) । ७वर्णनात्मक कविता,( आसिफ़ात )। पहले भाग में कुछ कसीदे, ३ और विशेष रूप से बड़ी ऐ तेहसिक कविताएँ जिनका नाम ‘नामा ' -पुस्तक' -और किरसा’ -य पद्या . मक कयां है, रखी जानी चाहिए 1 उन्हीं में वास्तव में कहे जाने वाले इतिहास रखे जा सकते हैं जिनके काव्यात्मक गद्य में अनेक पद्य मिले रहते हैं। कल्पना से सुसज्जित यही शेष इतिहास हैं जिनसे निसंदेह ऐतिहासिक कथाओं का जन्म हुआ ( जो ) एक प्रकार की रचना है ( जिसे ) हमने पूर्व से लिया है १* इन पिछली रचनाओं के प्रेम -सम्बन्धी विषयों की संख्या अंत में थोड़े-से किरसों तक रह जाती है जिनमें से अनेक अरब, तु, फ़ारनिवासियों और भारतीय मुसलमानों में प्रचलित हैं। सिकन्दर महान् - के कारनामे, खुसरो और शीरोंयूसुफ़ और जुलेखामज’ औौर लैला का प्रेम ऐसे ही किस्से हैं । अनेक फ़ारसी कवियों ने, पाँच मसनवियों' १ अल्मरासी, मरसिया शद्र का, जिसकी व्याख्या और आगे की जायगी, ‘अ’ सहित, आरबी बहुवचन है । २ इस नाम की विशेष प्रकार की कविता की व्याख्या में आगे करगा। 3 केवल एक प्रधान रचना उदृत करने के लिए‘शाहनामा' ऐसी ही रचना हैं। ४ प्रसिद्ध साहिस्थिकों ने इस प्रकार की कथाओं का यह कह कर विरोध किया है। कि ‘ऐतिहासिक कथा' शब्द में ही विरोधी विचार है, किन्तु उन्होंने यह नहीं। सोचा कि अनेक प्रसिद्ध कथाएँ केव्रल नाममात्र के लिए ऐतिहासिक कथाएँ है।

  • इस शब्द का अर्थ में आगे बताऊँगा।