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हिन्दी भाषा की उत्पत्ति।

क़न्नौजी, बुँदेली, बाँगरू और दक्षिणी मुख्य हैं। इनके बोलने-वालों की संख्या इस प्रकार है।

हिन्दुस्तानी (ख़ास)
और तरह की हिन्दुस्तानी जिसमें
फुटकर भाषायें शामिल हैं
व्रजभाषा
क़न्नौजी
बुँदेल
बाँगरू
दक्षिण

...७, ०७२, ७४५

...५, ९२१, ३८४
...८, ३८०, ७२४
...५, ०८२, ००६
...५, ४६०, २८०
...२, ५०५, १५८
...६, २९२, ६२८
———————
कुल...४०, ७१४, ९२५

याद रखिए यह वर्गीकरण डाक्टर ग्रियर्सन का किया हुआ है। इसमें कहीं उर्दू का नाम नहीं आया। हिन्दी के जो दो बड़े-बड़े विभाग किये गये हैं उनमें से एक में भी उर्दू अलग भाषा या बोली नहीं मानी गई। जिसको लोग उर्दू कहते हैं उसके बोलनेवालों की संख्या हिन्दुस्तानी बोलनेवालों में शामिल है। इस भाषा के विषय में कुछ विशेष बातें लिखनी हैं। इससे उसे आगे के लिए रख छोड़ते हैं।

व्रज-भाषा

गंगा-यमुना के बीच के मध्यवर्ती प्रान्त में, और उसके दक्षिण, देहली से इटावे तक, ब्रज-भाषा बोली जाती है। गुड़गाँवा और भरतपुर, करोली और ग्वालियर की रियासतों में भी