पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१००

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नराद-जरासन्ध t अरींद (सं० पु.) टिंड। जरासम्म ( म०पु०)जण्या तदास्थया प्रसिद्धया राक्षस्या जरापुट ( स० ) जरया रावस्या पुट:. ३ तत् । जरा रुता सन्धा देहसंयोजनमस्य । मगधके एक प्रमिद राजा, 'मन्धका एक नाम। चन्द्रवंशीय राजा वृद्रियके पुत्र । राजा हद्रथने पुत्रकी सरावोध ( 40 पु) जरया स्तुत्या बुध्यते बुध अच् । इच्छासे चण्डकौशिकको आराधना की थी। भगवान स्तुति द्वारा वोधमान अग्नि, वह अग्नि जी स्तुति करके चण्डकौशिकने इनको कठोर तपस्यासे सन्तुष्ट हो कर -प्रज्वलित की.गई हो। इन्हें एक फल दे कर कहा-यह फल तुम अपनी जराबोधोय, ( स० पु.) जराबधित्यस्थामृचि मायः ।। महिमोको खिला देना, इससे तुम्हें एक अभिलषित पुत्र भामभद। को प्राप्ति होगी। राजा यकी दो महियो थी, इस जगभीर ( स० पु० ) जरातः भीमः । १ कामदेव । (त्रि। लिए उन्होंने उस फलके दो टुकड़े कर दोनोको खिम्ता २ जगमे । यशोल, जो हवावस्थासे डरना हो। दिया। देव प्रदत्त उस फलमे एकदिन दोनी महिती जरामीस (म.पु. ) कामदेव । गर्मियां हुई और समय पर दोनों के गर्भ मे पाधा साधा जरामृत्यु म पु०) जरा और मृत्य, बुढ़ापा पोर | पुत्र उत्पन्न हुआ। राजा इस समाचारको सुन कर बहुत मरण। हो सुब्ध हुए, अाखिरकार उन्होंने दोनों पई पुत्रोंको अगाण (म. पु.) जराया राक्षस्या अपत्य नरा बाहु स्मशानमें पटक आनेका आदेश दिया। राजाके पादेयान लकात् फिङ । जसमन्धका एक नाम । सार दोनोंको श्मशानमें पहुंचा दिया गया । इस श्मशानमे जरायु (म० पु० ) जरामतोति जरा-इए अण। १गर्भ- जरा नामकी कामरूपा एक राक्षसी रहती थो। जराने वेष्टन पर्म,गर्भ को मिली जिसमें बच्ची बंधा हुआ उत्पन्न उक्त दोनों धड़ीको जोड़ कर बालकको जिम्मा दिया. होता है। इसके पर्याय-गर्भाशय, उल्व और कलल इसलिए इनका नाम जरासन्ध हो गया। यह माटरूपा है। २ योनि, भग। ३ अग्निजार पन्त, समुद्रफन्त नामका राक्षसो वता बालकको जिन्ना करके राजाबद्रयके पास पेड़। ४ जटायु पक्षी ५ कुमारानुचर मातृभेद, कार्ति गई और बालकको दे कर बोलो-"महाराज ! यह केयके एक अनुचरका नाम । मरायुज (सं० वि० ) जरायो र्जायते जन ड । गर्माणयः । चालक अत्यन्त पराक्रमी होणा और इसके सन्धिदेश विना छिन 'हुए इसको मृत्य भी नहीं होगी।" धीरे जात, जिसने गर्भाशयमें जन्मग्रहण किया हो, मनुष्य, गो 'प्रभृति। विशह शक शोणितके संयोगसे जगयुमें गर्भ धीरे जरासन्ध पराक्रमथालो हो उठे। इन जरासन्धकी ' उत्पन्न होता है। गर्भ के परिपुष्ट होने पर निर्दिष्ट समय में अस्ति और प्रामि नामकी दो कन्याए घी, जिनका अर्थात् १०८३ मासमें गर्भ प्रसूत होता है। उसी विवाद कसके साथ हुआ था। धनुर्यनमें श्रीक्षण के प्रसूत जीवका नाम जरायुज है। हाथसे कंसके मारे जाने के कारण, जरासम्बने लामाताके .. "पावन मणश्चैव वाल्यारचोमयनोदतः । वधी अत्यन्त दुःखित हो कर भाव निर्यातनके लिए • क्षसि च पिशाचाक्ष मनुष्याश्चरायुभाः ॥" (मनु० ॥४३) इन्होंने १८ बार मथुरा पर पाश्रमण किया था, और जरायुदोष (स• पुरु) गर्म जरोगभेद, गर्भ का एक प्रकार । मथुरावासियोंको अत्यन्त उत्योड़ित किया था। किन्तु का रोग . . . . वे नगरका 'स नहीं कर सके थे । इन्होंने कंस वधमा जगलम (स: क्लो) पलित, सिरके बालोका उजला। सम्वाद सुनते ही क्रोधोन्मत्त हो कर गिरिवजसे कृष्णको होना, बाल पकना । । . पध करनेकी रासे एक गदार (एकोमशत) वार जरामोष (स.पु०.) एक प्रकारका शोष रोग । यह रोग]. घुमा कर फेको, जो मघ राके पास भी गिरो यो । यह खास कर बुढ़ापामें होता है। इममें गैगो कमजोर 1: गदा नही पड़ो, उस स्थानका नाम गदावसान पड़ गया। से जाता है, भव नहीं लगती और बन्नवीर्य तथा : जरासन्धने राजसूय यज्ञ करनेको इच्छासे अनेक राजा. मुविका चय होता है। . . . . . . . . . पोको जोत कर उन्हें कैद किया था. युधिष्ठिरने राज Vol. VIII. 28