पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१०२

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जरासुत-जर्नरित पूर्वक दोनों पैर करकवलित कर उनका सन्धिस्थान दो तरिया (५० पु०) १ मम्बन्ध लगाय, हार । २ घेत. कारण, भागामें विभक्त कर दिया । पिसते हुए जरासन्धके प्रातः । सबब ।

नाद और-भोमती गर्जनको सन कर ममस्त मगधवासो। जणिक ( फा० पु०) दारुहल्दो।

• घबड़ा उठे। इस तरह भीमके हाथ जरासन्धका वध | जरो (फा० स्त्री० ) १ वादले से बुने जानका ताश नामका हुया। इसके उपरान्त कष्ण, भौम और अर्जुनने जरा कपड़ा।२ सोनके तारों ग्रादिसें बना हुया काम! ममके पुत्रको राज्यामिपिता कर राजन्यवर्गको मुक्ति । जरीनाल (हिं. स्त्रो०) कहारों को एक बोलो यह उसी मदान को। (भारत समा. जरासन्धापपर्व याप) । ममयमें कहो जाती है जब रास्ते में है और रोड पर • जनमतानुसार-ये अन्तिम (३) प्रतिनारायण और र रहते हैं। . अंदचक्रवर्ती थे। आठवें मतिनारायण राव के यो जरोव ( फा० स्त्रो०) १ भूमि मापनेकी नाप । भारतीय एनका आविर्भाव हुआ था। इनके अपराजित आदि जरोध ५५ गजको और अंगरेजी जरीब ६. गजको कई एक भाई और बालिन्दमेना नामको एक प्रधान होती है। एक जरोब बीस गढ़े के बराबर मानी गई महिषी थौं । याटवाक माय इनका घोर युद्ध हुप्रा था। है। क्षेत्रव्यवहार देखे। । २ लाठी, छड़ी। इनके पक्ष कौरववंश तथा विपक्षम पाण्डम और यादव जरीवकश ( फा० पु.) वह मनुष्य जो जमोन नापने के समय जरोब खोंचता है। धेश था। बहुत युद्ध होने के उपरान्त इन्होंने क्रोध अन्य जरीबाना (हिं. पु. ) जुरमाना देखे । 'हो कर नारायण कृष्णा पर चक्र चलाया, किन्तु प्रतिनाग- | जरूथ ( स० पु. ) जीर्य तोति जाऊथन् । १ मांस, गोश्त । ' यणका चक्र नारायण पर चलता नहीं और छूटने पर वह २जरणीय । ३ परुपमापी, कटुभायो। . बार अवश्य ही करता है, इसलिए चक कृष्णको तोन प्रद जरुर ( कि वि०) श्रवण, निःस'देह । क्षिणा देकर उनके हाथमें पा गया, पोछे थोकगने उस 'चक धारा जरासन्धका विनाश किया। जरासन्धने बहुरूः जरूरत (अ० स्त्री० ) प्रावणकता, प्रयोजन ! . पिणी विधाके वलसे क्वष्णको कई बार धोखे में डाला था. जरूरो ( फा० वि० ) १ प्रयोजनीय, जिसकी ज़रूरत हो। सापेक्षा, श्रावशाका किन्त चक्र तो असली गनुको यफड़ता है, इस प्रकारमें जरोल (हि. पु०) बङ्गान, चयाम और उत्तरीय चत्रद्वारा इनको मृत्यु हुई थो। (जैन पाण्डवगण I) नोलगिरिमें होनेवाला एक प्रकारका पढ़। इसको जरासुक्ष (सं० पु०) जरासन्ध । लकड़ी बहुत मजबूत होती है और इमारत, जहाज और जरित ( स० वि०) जरा जाताऽस्य तारकादित्वादितच तोपोंके पहिये बनाने के काममें पाती है। नरायुता, बुहार ' जपर्क (फा• वि०) चमकीला, भड़कदार। जरिता (सं० स्त्री.) १ मन्दपाल ऋषिको स्तो। २पक्षिणी . | अर्जर ( स० पु०) नजति खगुणेनापरान् निन्दति जज विशेष, एक प्रकारको चिड़िया। बाडुलकात भरः११ चैलज, पत्थरफ ल । २ शव ध्वज, लरितारि ( सं०.पु..) जरितागर्भजात मन्दपाल ऋषिके क. इन्द्रको ध्वजाका नाम । जर्जत निद्यते कर्मणि बहुल. ज्येष्ठ पुत्र, जरिताके गर्भ में उत्पन्न मन्दपाल पिके बड़े वचनादरः।३ उजगर । ४ शैवाल, सिवार। सरसोना लड़केका नाम। (वि.) जीर्ण, जो बहुत पुराना होने के कारण ये काम मरिट (सं० वि०)जच् । १ स्ततिकारक, प्रशंसा करने हो गया हो। ७ विदीर्णं, फटा, टूटा । ८ पद्ध, युट। वाला। (स्त्री०) २ जीर्णा स्त्री, धुधी औरत। . नरानना स्त्री०) कुमारानुचर माभेद, काति- बरिन् (म..वि.) जगस्त्यस्येति इनि। ११, बुहा केयकी अगुवरो एक माटकाका नाम। २ जर युक्ता .. ... . रित (सं० वि०) जज करोति जर्ज णिच् कर्मणि । जारमन् (स'. पु.) जमावे इमानच् ।.१ जरा, बुढापा .. १जोक्षित, जो पुराना हो गया हो। २ खुगिडत टा वावस्थाको मृत्य। . . : टा।... " . . . . . . .