पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१०६

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नमैनौः जर्मन की धर्तमान अवस्या महायुद्ध के कारण जर्मनी-1 दक्षिण अमेरिकाके ग्रामों और शहरोम भेजने तकके सभी की प्रार्थिक अवस्था अत्यन्त शोचनीय हो गई है। काम बड़े बड़े महों पर सौंप दिये हैं। बिजलो, चीनी, प्राचार्य और शिल्पद्रव्यके यथेष्ट उत्पन्न न होने से जर्मनो रासायनिक और लोहे के कारखानों में 'इट' संगठित हो को दुर्दश को सोमा नहीं रही है। इसके सिवा हाई गये हैं। को सन्धिके अनुमार जम नोको युद्धको क्षतिपूर्ति के लिए रुसियाके साय जर्मनोका व्यवसाय क्रायः उन्नति जिम्मेवार होना पड़ा है। उसके लिए रुपये सग्रह। कर रहा है। लाखों पादमो कसियामे भाग कर जर्मनी में करने में जर्मनीको काफी कोशिश करनी पड़ रही है। रोजगार करने लगे हैं । वालिन उन मागे हुए रुसियों. प्रथमतः नये ढंगमे बहुत ज्यादा कर लगा कर रुपये का एक प्रधान केन्द्र है। रुसियाके किमान तक अपने उगानको व्यवस्था हुई है। शिल्पी, महाजन, व्यवसायी देशमें जिस शिल्पका व्यवहार करते हैं, उतने भी यथेष्ट और धनादा सम्प्रदायसे बहुत कर वसूल किया जा रहा | निपुणता पाई जाती है। युइसे पहने यरोपके लोग है। छोटे छोटे कारखानेवाले ज्यादा मालगुजारो देनेमें। उन चोर्जीका काफो पादर करते थे। फिलहाल असमर्थ हैं। मब मिल कर कम्मनो बना लें और फिर | जमनोंने अपने देशमें हो हम शिल्पका बाजार लगा व्यवसाय करें, तो अधिक लाभ होगा एघ माथ हो । दिया है। अब जम नोमें घर घर इसके किमानों के गवर्म एटको जगदा मालगुजारी भी दे सकेंगे। इस ] हाथको बनो हुई चीजे नित्य व्यवहारमें पाती हैं। अभिप्रायसे जर्मन लोग अय कम्पनी बना कर व्यवसाय विशेषतः जर्म नौसे यह कसका गिल्प य रोपके अन्याय करते हैं। दंभों तथा अमेरिकाम भी पहुंच रहा है। जर्मन समाजमें युस के समय तक "दृष्ट" वा जातीय जर्मनो ही इस समय रूसको समाता मोर उत्कर्ष का यीय व्यवमाय प्रचलित नहीं था कहनेसे अत्युक्ति न संरक्षक है। जर्मनीमें पहुंचनेसे रूसियाको मरहदमें होगी। जर्मन लोग साधारणतः छोटे छोटे व्यक्तिगत प'चना बहुत सहज है। जर्मनी में रूम माहित्यका खन कारोबार करना पमन्द करते थे। परन्तु फिलहाल वे | प्रचार है। इस भाषाके कई एक दैनिक सवादपत्र भी यौथ व्यवसाय करने के लिए बाध्य हुए हैं। यह देख चालिनसे प्रकाशित होने लगे। लैण्ड अमेरिका और फ्रान्सके धनी लोग डर गये है। ___ जर्मनी में मिले का बाजार डमाडोल है । एका विला. पशिया और अफरीका जर्मनाराष्ट्र व निर्वासित यतो पासाहके बदले एक वा डेढ़ हजार मार्क तो हरवस्त है । जर्मनी के अधीन फिलहाल कोई भो उपनिवेश। मिलते है। इसके सिवा किसी किसो सप्लाइमें एक शासित वा पोपित नहीं हो रहा है। इसलिए बदरती। पाउण्ड पर दश हजार मार्क तक लग जाते हैं। विदेगी माल'के विषय जर्ममो अब अन्यान्य देगोका मुहताज | लोग जो पाठण्ड मुना कर एक मारगोमाक से सेते है। विशेष कर राइन और सिलेशिया इन दो प्रदेगों पर है, उन्हें पीछेसे पछताना पड़ता है। सियों के साथ साथ जर्मनीका तनिक भी कहा नहीं है। इसलिए उ चोजें मो मंहगी होती जाती है, जिससे वहाक अधि. प्रदेशों की शिल्प सम्पत्ति जम नोंक हाथ नहीं लगती।। वासियों के काटको सोमा नहीं है। यह विदगो सिक ऐसी दशा जर्मन महाजन लोग परस्पर का ईर्याप नहीं पाते और इसीलिए दूसरा कोई उपाय न होने के भूल कर जातीय उन्नतिके लिए महबद्ध होंगे, इसमें कारण सबको महगो में ही गुजर करनी पड़ती है। पाचर्य ही क्या है ? सस्ते दामोम मानन बेचनेमे | ___मध्यवित्त जर्मन परिवारको पार्थिक प्रयस्था यत्परो. जर्मनीको अन्य देशोंसे शिल्प स'ग्राममै हार जाना पड़ेगा| नास्ति गौचनीय है। उथ अङ्गका जोवन वा सौजन्य और बड़े कारखानों के विना माल सम्ता बन नहीं शिष्टाचार इत्यादिकी ओर दृष्टि डालनेका फिनधान सकता ; इसलिए अाजकल जर्मनीने वुदरसो मालसे ले। इनको अवसर हो नहीं है। जर्मनीसे श्रोय विमय. कर फैकरीम माल बनाने और उसे जहाज पर रख कर कुमार सरकारने जो विवरण मेजा है, उसे यहां त