पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१३४

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जलपाईगडो ___ वर्तमान कोचविहार गजके आदिपुरुष विशु., देवने मुगलकी अधीनता स्वीकार न की थी। उनकी सिंह गिरा नामक एक भ्राता थे। कोनविहार देखो। विशुः मृा के बाद उनके पुत्र रनदेवके रायकत होनेको वात मिहके कामरूपके राज-सिंहासन पर अभिपिता होने थो; किन्तु मदीदेवने भतीजको मार कर राज्य अधिकार पर उनके ज्येष्ठ सहोदर शिशुने उनके मस्तक पर राजकत्र कर लिया। धारणा किया था और "रायकत" * उपाधि प्राप्त की थो। १६२१ ई० में वीरनारायणके राज्याभिषेक समय ये हो शिशुमिह वर्तमान जन्नपाईगुड़ीके राजवशके कुलप्रथाके अनुसार महादेव कोच राजसभामें पाये थे । श्रादिपुरुष थे। शिशु विशक मन्त्रो थे और प्रधान संन्या- महोटवके पूर्ववर्ती सभी रायकर्तीने कोधराज के प्रति धाममा भी कार्य करते थे। उस समय शिशु के बाहुः । पेकके ममय राजश्त्र धारण किया था, किन्तु महदेवने बलमे हो कामरूप गज्यका विस्तार हुआ था। वे भूटानके कोच राजको यथेट सम्मान दिखा कर छत्र धारण करने में देवराजको परास्त कर गौड़ राज्य जय करने आये थे। अनिच्छा प्रकट की। इसी समय रायकत हारा छत गौड़ को राजधानी पर भाममण न कर सफने पर भी धारणको प्रपा उठ गई। मोदनारायणके राजत्यकाल में उम समय रङ्गापुर और जलपाईगुड़ी जिले का कोचविहार राज्यमें बड़ी विशृङलता हुई थी। महोदेवने अधिकांश स्थान कामरूप राजाके भधिकारमें था। विश उमके निवारणार्थ बहुत प्रयत्न किया था। सिंहने ज्येष्ठ भ्राताको उता नवाधिशत स्थान दे दिये १६६७ ई० में ४६ वर्ष राजत्व करने के बाद महोदयको थे। शिशुसि हने वतमाम जलपाईगुड़ीके अन्तर्गत कुण्ठ मृतुप हो गई। उनके दो पुत्र थे, ज्येष्ठका नाम या भुज- पुर नामक स्थानमें, राजधानो स्थापित की थी और देन और कनिष्ठका यनदेय। वहीं वे रहते थे। इसी के कुण्ठपुरके नामानुसार हो। पिताको मृतरके बाद भुजदेव रायमत हुए। उनका व कण्ठपुर परगने का नाम हुआ है। बहुत दिनों तक अपने छोटे भाई पर बड़ा ह या । जरा जरासे काम जलपाईगुडीके राजा वैकुण्ठपुर के राजा नाममे प्रसिद्ध भी वे उनकी सम्मति लिया कररी थे। उनके ममयम भूटानके देवराजने कोचविधार पर प्राझमण किया था। विशदेव बैकुण्ठपुरके राजा पा रायकत नहीं कद- | किन्तु भुजदेवने कौगलसे भूटानको सेनाको परास्त लाते थे, ये कोचविहारके प्रधान मन्त्रो भौर सेनापति की कर वासुदेवनारायणको कोचविहारके सिंहासन पर समझ जाते थे। बिठा दिया। ___शिवदेवको मतपके बाद उनके पुव मनोहरदेव राया। भुजदेव अपने राजाको उन्नति के लिए विशेष यनयोन फात हुए । मनोहरदेवके बाद उनके पुत्र माणिक्यदेवको । थे। पहले उनके पिळराज्य में कोई निर्दिष्ट सैन्यदल न था, पोर उगको मता वाद उनके पुत्र शिवदेवको रायकत सिर्फ राज-प्रासादको रक्षाके लिए कुछ मिपाही नियुता पद मिला। ल माणिक्यदेवके सोम पुत्र ये-ज्येष्ठ थे। यह समय मुसलमान और पार्वतीय पसभ्योको पिवदेव, मध्यम महोदेष और कनिष्ठ मारतिदेव। । एकत्र किया जाता था। परन्तु मुजदेवने एक दल गिषदेखने कोचविहारराज वोमारायणके सहायतार्थ घेतनभोगो सेना नियता को । उनको ३ युद्धशिक्षा देने सुगौमे युष किया था। उस समय दिखोके सिंहासन लगे । कोचराज वासुदेवनारायणके भूटानियोंके डरसे पर सम्राट जहागोर अधिष्ठित थे। राजा लक्ष्मीनारायण राज्य छोड़ कर भाग जाने पर भुजदेवने भाई के माध दो हो कर दिल्लो पहुंचे और वाधाताम उन्हें संगतो- प्राकर भूटामियों को परास्त किया और महेन्द्रनारायणको को अधोगता मामनी पड़ो। परन्तु वैकुण्ठपुराधिप शिव कोच सिंहासन पर विठा दिया । 'रायकत'शद किस भाषा लिया गया है और उसका ___ कोचविहारमे तौटने के कुछ दिन बाद ही यादेव. भयं पा है इस बात का अभी तक निर्णय नहीं हुआ। पम्भवतः, की मृत्यु हो गई। मियतम सहोदरको मृत्य से मुजदेव सरहत सयर' का अपर । अत्यन्त मोकाकुस हुए पोर फुछ दिन बीमार TE कर VolVIII.31.