पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१३७

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१२४ भेलपाईगुडो-जलपुर में ये रायवात हुए । १८५५ में इनको मा होने पर राज्यकार्य की सुविधा के लिये यह जिला जन । उनके इच्छापत्री एनुसार नाबालिग चन्द्रशेखर देव रायः गुड़ो पोर पलोपुर मामक दो उपविभागों में विभत्र । कत हुए। किया गया है। पहला विभाग डेपुटी कमिश्रर पोर १८५१०में इनका शासनमार कोर्ट माफ-वाड के पांच डेपुटी मजिष्ट्रेट ककरके पौर द्वारा यरोपियन अधोग भी गया पौर विधाभासके लिए ये कलकत्ते लाये डेपुटो मजिष्ट्रेट कलेकरके यधीन है । डिष्ट्रिक पौर मेमन' गये। १८५२ में ये स्वदेश पहुंचे, किन्तु विनासिताके | जज तया दिनाजपुर के सब-जज विशघरकार्य एम्पादन दोषमे फजदार हो गये। थोड़े दिन बाद १८५५ ६० | करते हैं। दीवानो भदालतमा विचार जलपाईगुड़ी एनको मृतुर हो गई। इनके कोई पुत्र न था, इसलिए दो मुन्सफ पौर पलीपुरके एक मब डिमिशनल कर्म: भाई योगीन्द्रदेव रायकत हुए । इसी ममय उनके काका | चारी के अधीन है। भोलामान उर्फ फणीन्द्रदेवने राजा प्रापि के लिए मुफदान २ वनाल प्रान्तके ललपाईगुडी शिलेका सय डिनि... मा किया, पर ये परास्त हो गये । इस मुकदमाके कारण जन । यह प्रथा २६ एवं' २०७० और देगा. ६ गा और भो कदार हो गया। नाना चिन्तात्रों के २० तथा ८८ ७०के मधा पड़ता है। क्षेत्रफल कारण १८७७ ई में इनकी मतप हो गई। १८२० वर्गमोल भोर लोकमण्या प्रायः १५८०२७ है। , मृत्य में तीन महीने पहले उन्होंने एक लड़का गोदमें | इममें १ नगर और ५८८ माम बगे हुए हैं। का धा। उनका नाम या जगदिन्द्रदेव । कुछ दिन ! २ यास प्रान्तके जलपाईगुड़ी जिले में मयागो . लिए थे ही रायमात हुए। शिन्तु उनके भाग्य में राजा | सब डिविजनका मदर। यह पक्षा० २६.३२ उ० पोर . सुराम पदा न घा। कछ समय बाद फापोन्द्रदेव रायकत देशा०८४३°में अवस्थित है। जगम ग्या माया पद पर अभिपिता हुए। इनके समय, राजाको बहुत | ८७०८ है । १८२५१ को मुनिसपालिटी दुई। उन्नति दुई थो । एमके पुत्रादि पर भी जीवित हैं। जलपाटल (हि.पु.) यजल, काजल। जलपाईगुड़ो को लोकसंख्या पायः ७८०३८० है । उत्तर जलपादप (सं• पु.)मा पशिम चाय बाग है । बगुतसे कुल्ली दूसरे स्थानों मे भा | जम्नपान (हि.पु.) सुबह और शामका इसका माजन, करके बन गये है। लोगों की भाषा रखपुरी या राजय गो कम्नया, नाया। हाछ लोग हिन्दो बोलते हैं। दूसरी भी कई भाषाएं जलपारावत ( पु.) अनि पारायत या पतिविगंद. प्रचलित हैं। चावल प्रधान खाद्य है। यहां तम्याफू | जनकपोत । इसके पर्याय कोपो और जनजपोत है। खब होतो है। १९७४ को युरोपियोने चायके वाग | जनपिगड (सं० को०) जन्नम्य पिगडमिय। पग्नि, प्राग। लगाये थे । मधेशी शेटे पोर कमजोर हैं । उनको विको. | जनपिप्पलिका (म० मी.) जनपिप्पन्नो, जलपीपन । . को कई मेनगा करते । सरकारो नाल बन है। जलविणतो (Hai) जनशा रियलो। वियनो वानगे निकलनेवाले ट्रयाम धर्मका कहर प्रधाम है। विशेष, जलपीपल नामको दया। इसके पर्याय-महाराही योयनामो कुछ निकलता है। मिन के यिम पञ्चम में गारदो, तपयनरी, मत्स्यादिनी, मस्यगन्धा, नाrak . . बोरीका मोटा कपड़ा पुना जाता है। रेशमो पारमादी गानादनो पग्निध्याता, चित्रपयो, प्रायदा, गोसा पौर फोटा भो तयार करत भूटानको विलायती कपड़ पौर वनिमारमके गुणकट, सोश, कपाय मन... पोर शाम को रफ तनो होती है। नाय, मन्या भोर गोधक, दीपका, मणकोटादि दीप पौर रमदोषनागक पार पर भेज मिमे पो उम्पय करते । रेनोको । (भाषा ) क टारेट मये और महान प्रमविधिका (म.मी.) माम्य, मनो। पोर टुपाम गये तो पड़ो।। ८७७ मीम महक अनोपन (Eि. सी.) aft देगे।। . । माननारी को साव७३ मारोगो। । अलपुर (म.पु.) अन्नस्य पुर, सत्। जसमा