पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१४५

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१३२ नस्तम्भ है, इसलिए इसका नाम नन्तस्तम्भ पड़ गया है। यह तरइका एक जनम्तम्भ विलायत महामायरमें देवा. ' प्रवृधं घटना नाना कारनमि एषा करती है। कभी गया था, उसके फटनेसे यहाँको जमोन शरीष पायो मोन कभी देखा जाता ६ कि, घोर घनघटाके नोचे समुद्रका पर्यन्त फट गई घी और यहां ७ फुट गहरा गया होगा, अन्न प्रति बैग्से १०० मे १२० गन व्यास तक पान्दोलित था। सभी जन्नम्तम्भौका पाकार प्रायः रपमान शे र मान्ला कम्मित जन्नराशि बीचमें जा | नीचे चौड़ा चौर ऊपरको क्रमशः पतला होता है । कार म्हग रही है और यहाँको विस्तीर्ण जलरागिसे एक परन्तु नो स्वलमें उत्पथ होते हैं, उनमें नोडा . नन्हीय वारपयुक्त स्तम्भ १ठ कर घूमता हुमा रगङ्गाके | नहीं होता। एक रणरजा (भी) को मोधी सहमे रप पकारमें मेघकी तरफ जा रहा है। उपरको मेघको कर उसमे नीचे से हिम्मे को बाद देनेमे जमा होता है विपरीत दिगाम भी आगामी स्तम्भकी भांतिका और स्योत्पन जलस्तम्भका भी ठीक माती पाकार मा एक स्तम्भ उठते दिखाई देता है। देखते-देखते थोड़ी है। सर-उन्न मायने स्थलोत्पय पनिक असमाम्भीडा . देरी दोनों स्तम्भ एकत्र हो कर मिल जाते हैं, इस विवरण लिखा है। पलपलेसे पाठ मोल उपर पूप, स्थानका व्यास दो-तीन पुट मात्र हो जाता है। इस | दमदमा नामक स्थानमें १८५७ ६०को एक जनम्तम्म ममय 'गुड़ गुड़ शब्द भी सुनाई पड़ता है। दोनों देखा गया था। जिस समामें यह मस्तग्म दीक्षा - मिन्नने पर देखने में बहुत अच्छा लगता है । इम अलीय, धा, उस सप्ताह दक्षिणापसिम और उत्तरपूर्व दोनों म्भ का दोचा भाग भूरे रंगका पर किनारे के दोनों तरफमे मीममकी हवा चल रही थी ऐमी यापु दोनो तर हिर्म धने काम गरे होते हैं। यह वायुको गतिक फर्म कायट पाने के कारण हिमालय के पास पाम, वर्षा अनुसार चलता रहता है किन्तु याय के न रहने पर जो मेघ थे, उन्ह' इटा न मको थो। इमो प्रकारको कका . किधर जायगा, इसका कोई ठोक नहीं। जलस्तम्भके | पटसे ही दमदमा क्रमशः मेघ जमने लगे। धीरे धीरे जई और अधोभागको गति प्रायः विभिन्न दुपा करती मेघराशि हत्ताकारमे पायागमें घूमने लगी पोर बागुको पछि जव समुचा तिरशा को जाता है, तब यह भीषण गति दिनमें दो तीन बार बदलने लगी। .पकोपरको शरद करता प्राविधिप्रय हो जाता है। तचापात् यह दिमके ३ बजेमे ४ धनके भोतर घायुको गनिका परि. वापराग याय मे मिन्न आती है और प्रवल धारामे | पन हुपा और बाद का साकारमें घूमना कमग: ममुद्रमै गिरती है। कभी तो यह जनस्सम्म घोड़ी देर । यदने मागा। माय की खुम जोरको वर्षा होमे मगी। एठ पार ही पम्य हो जाता पौर कभी एक घगटे ४ बजे के याद परमात् मम गात हो गया। इस समय . . सफ रहतामा है। कभी कभी यह चार बार पहश्य । पया घड़ा भारी बादल पोरिको तरफ धगुपयो तर पौर चार बार टिगोचर होता रहता है। कामग: अमोनको घोर झकने नगा। उम वादन । र पर भी कभी भी ऐमा अस्वस्ताम देपा गया | ठोक बोधमे एक बहुत बड़ा अमलम्म निकला पोर मार है। एमो भगा नोयेमे कोई अर्धगामो रमाकार हम गमे अमीनमे पा लि| शमीममे भगते . अन्नागि या जनीययात सयरको पदर नहों। उसका नोपेका भाग दो भागोन विमल गया। मई fashtra त गम्यम बादाम पाकारको याप्पणिय बाद को सम्म फट गया पोर उमा पानी शमोन at समस्सा मिशनमा उमममय जल्दी जलदो मित्र गिरने लगा। मममय यह ठोक जनमतको तर मोका गिरमा, मुमनधारगे पामो परमना चोर दोगने मगाइम मरहमा यर भी पसोयरको दिन गन्धकमी सो गया पाना तादियोता दिनने ५ बजे दमदमा १० पजार फुट नामा एक म.भो कमी या जनाभ मिगमे वन भूमि, उपहा सम्म दिखाई दिया। मम पापयोगका पौर मटोका मोर पतिकम कर पाम सा कर कारण पाम विषयमें पतीने पदुम सरका का फेम ना! ११ म खाएं को. शियासपिसमिर पापा