पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१४६

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जलस्तम्भन-जलहस्ती १३३ अभी तक निति नहीं हुआ है। साधारण मत यह स्थानान्तरयन, एक स्थानमे दसरे स्थानको जल ले है कि , विपरीत दिशासि प्रवाहित वायुको ताड़नासे जाना । २ छन्दोमेद, एक प्रकारको वर्णति इम एक प्रकार घूर्णी वायु उत्पन्न होती है और उसमे आकाश चार चरणाम बत्तीस अक्षर होते है और सोलहवे. व्याप्त जलीयवाप्पके परमाणु इतस्ततः पार्श्व भागमें | मर्ण यर यदि होती है। विक्षिप्त हो जानसे बीच में एक पोलास्तम्भ बन जाता जलहरी ( हि स्त्री०) १ शिवलिङ्ग स्थापित करनेका है । सुतर जब समुद्रमें ऐसा होता है, तब उक्त प्रदेशों से | | अर्घा, यह पत्यर या धातुका बना रहता है। २ एक वायुका भार अपसारित होने पर जल ऊपरको चढ़ता बरतन जिसमें नीचे पानी भरा रहता है। ३ शिवलिङ्गक रहता है। डाकर टेलर साहबने भी ऐसा हो कारण | ऊपर टांगनेका मोका घड़ा इसके नीचे के बारीक छेद. तलाया है। वा तिक क्रिया पर निर्भर कर बहुतौर से गरमीके दिनों में दिन रात शिवलिङ्ग पर पानी टपका ऐसा भी अनुमान किया है कि, वैद्य तिक आकर्षणके | करता है। कारण मैच पृथिवीको और अग्रसर होते हैं और जब पर- मलइस्ती (स'• पु०) जन्ले हस्तीव, ७-सत् । जन्नस्थित स्परके संघर्ष से मेघसे विमली निकल कर पृथिवीमें हरतोधेिपहरदाकार एक प्रकारका मामुद्रिक जीव, अाती है, तब उसके साथ साथ पानी के परमाण भी पृथिबी सौलको जातिका जलजन्तु, लहाथो। इस अद्धत पर गिरते हैं। पृथिवोको बिजली कम होने पर जलके जीवको नासिकाके अग्रभाग, सूड रहने के कारण इसे परमाणु मेघ द्वारा आकृष्ट होते रहते हैं। वाप्पीयस्तम्भ | जलइस्ती कहते हैं। मंग्रेजोमें इसे Sea.Elephant स्वच्छ होने के कारण ही जल जैसा दीखता है। । कहते हैं, इसकापजानिक नाम Macrorhinus Pro जलस्तम्भन (सली०) जलस्तभ्यतेऽनेन, स्तम्भ करणे boscidens अट लाण्टिक महासागरम, दक्षिण अक्षा. ल्युट जलस्य स्तम्भनगा। मन्त्रादि द्वारा जलको गति । २५. से ५५ के भीतर जलहस्ती दिखाई दिया करते का प्रतिरोध करना, पानी के बहावको मन्त्र-तन्त्र से हैं। इनके सब समेत ३० दांत होते हैं, अपर पोर रोकना, पानी बांधना । जलस्तम्भनका मन्त्र इस प्रकार | नीचे १४॥ है--"ओं नमो भगवते जलस्तम्भय स्तम्भय संसमंधके कके । कचर' (गापु० १७१ अ०) , दुर्यो धनने जलस्तम्मन विद्या सिद्धि प्राप्त की थी। कुरुपक्षीय सम्पूर्ण सेनाके निहत होने पर दुर्योधन 'जलस्तम्भन कर वैपायनदमें छिप गये थे। (भारत शल्प १७ अ०)! जलहस्ती TAMIL H. नी. ने जनवहन प्रदेश तिष्ठति जब ये लोग मोते हैं, उस ममय इनको नाश और स्था क स्त्रियां टोप, गण्ड दूर्वा, गांडर घाम । (त्रि.) और मूड़ सकुचित हो जाती है घोर मह बहुत बड़ा जलस्थित। दौलता है। इसे उसे जित करनेसे, यह खूब जोरसे साम जनस्थान (सलो.) जलागय । लेने लगता है, माथ हो इसको मुड़ बढ़ कर नलके जलम्याय (सं० पु.) जनस्थान, सरोवर, पोखरा।। समान १ फुट लम्यो हो जाती है। इसको मादा अलह ( को०) जलेन इन्यत,रमाइ। तुद्रजलयन्त:- अर्थात् जलहस्तिनीक मूड नहीं होती। इस अन्तुको गृह मांमासी स्तन्यपायो जोवोंमें गिमतो है। जलहर (हि. वि.) १ जलमय, जलसे भरा हुआ। ___ जलइसी १८ मे २५ फ.ट तक लम्बा होता है। (४०)२ जलाशय ! जलहस्तिनोका अाधार कुछ छोटा होता है। ज्यादा जलहरण ( को०) जलस्य हरण, दतत् । जन्तका यड़ा होने के कारण यह जल दो नहीं चल सकता। Vol. VIII. 34