पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१४८

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नलइस्ती-इलाकाश किसी दलके पास नाता है, तब दोनों दलों में बो भारी| समुद्रकी तरफ्रोम देखते रहते हैं। परन्तु किसी के सहाई होती है । स्वभावतः ये समुद्र के किमारे शान्त भातमण करने पर ये झुण्ड सहित भयानक गरजते हुए गायकी तरह पानन्दसे चरा करते हैं, परन्तु पाहत होनेपर भयङ्कर शब्द करते हैं। अन्तइस्तीको अपेक्षा जलमाल बहुत छोटा होता है। सह ५-६ फरसे न्यादा बड़ा नहीं होता। इसके शरीर पर बड़े लोम होते हैं, जिनसे कट लोई । अादि शीतवन बनते हैं। जलसिंह । जलयात्र-दक्षिय सागरमें सैटलण्ड टापूके पास. उस पर याक्रमण करते हैं। इनमें एक एक जनमिद पास जनवाघ देखा जाता है। यह बड़ा कर ओर बहुतसी स्त्रियों ( नन्ततिहिनियों ) का उपभोग करता हिंसक होता है, उसके शरीर पर चोताके समान है। जो अधिक पराममो होता है, वह दसरीको परास्त धारियां होती है । इसका आकार जनभान से बड़ा ओर कर उनकी उपभुक्ता स्त्रियाँको छोन लेता है। जलसिंच दाँत बत्तोस होते हैं। जब वुड दा हो जाता है, तब उसको कोई नहीं पूछता; प्रत्युत उसे मार कर मुन्ड बाहर निकाल दिया जाता है। फिर वह वैचारा एकान्तमें पड़ा पड़ा क राहता हुआ किसी तरह दिन पूरे करता है। जलदार (सं.वि.) जल'हरति अप। १जलहरण- कारी। २ जलबाहक, पानी भरनेवाला। जनम्यान। जलहारक (स० वि०) जनं हरति ह ल । जलवाइक, • जलयान के शरीर पर के बान जलभान मे कुछ छोटे पनिहारा। जलहारी (स० वि०) जन हरित इ.पिमि । जलवाहक । ____ जलसिंह-एगिया, और रुसिया और अमेरिकाके जन्न हास ( पु.) जलानां हास व शुभ्नत्वात् । समुद्र आसपाम गोतप्रधान समुद्रो जलसिह दिखाई देता । का फन। है। यह कभी कमसकटका और कालराय होपोंमे (जन्नहोम (स.पु. ) जने शिल: होमः, तत् । जन्लमें और कभी पौरिगनहरमें घूमने को पाता है। ग्रीष्म वि वैखदेवादिका होमभेद, एक प्रकारका होम जिस. ऋतके अन्त में यह अमेरिकाके उपलको .तरक दौड़ता में येखदेवादिक उद्देश्यमे जलमें माइति दी मासी है। है। इनके भरोरका चमड़ा मोटा और बाल नलाई को होम देव।। लिए पो ने, या काले प्रवा भरे होते हैं। बड़े बड़े । | जलद (स.पु.) जलप्रचुरो इदः। जलबहुल इद, बान्नोंके नीचे बहुत थोड़े परामी लोम भी होते हैं। बहुत गहरा जलाशय । नर जाति में गर्दनमे लगा कर पोठ तक मि जैसे बाल जलाकर (सं. पु० ) अन्नम्य पाकरः । समुद्र, नदी जन्ताः होते है। इसका मस्तक प्रोरोको पपेक्षा छोटा होता है, अयाके पोठों पा उनी अनुमार मछे निकनतो। हैं। यह १० से १५ फुट तक नाचा होता है। मादा या जलाका (सं• स्लो०) नन पाकायति प्रभागते पाकेक , जलसि हिनी खव पाकृतिकी होतो है। टाप । नतोका, जोंक। ये सामुद्रिक जन्तु पति पराकमयालो होने पर भी जलाइ(स.पु.) इस्तो, हाथो। खभामतः शान्तप्रकृति के होते हैं। ये झण्ड़ बांध कर जलाकाश ( पु.) जनप्रतिविम्मितः लनाचिका