पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६०

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नलौल-नलेश १४५ बड़ी विपत्ति पाती थी, इस बजहसे १८५५ ई० में गव- जलेवा (Eि पु० ) वदी जलेबो। मैंगन एम बन्द घर दिया। | जलेबी (हिं. स्त्री० ) १ इमरतीकी भाति एक प्रकारको जलील (वि०११च्छ वैकंदर। र अपमानित, जिसे गोल मिठाई । इमकी प्रस्तुत प्रणालो नाना स्थान में नाना नीचा दिखाया गया हो। प्रकार है। यहां एक प्रकारको प्रक्रिया निही जानी जलोल-हिन्दी के एक कवि। दूनका पूरा नाम अन्दल है-चनाकी दाल भिगो कर उसे बीमते हैं और फिर जलील बिलग्रामी था। १७३८ संवत्में इनका जन्म हुआ उसमें चावलका बारीक आटा और थोड़ा पानी मिला था। हरिवंशमिश्रसे इन्होंने हिन्दी पढ़ी थी। औरङ्गजेत्र । कर फेटते हैं। पच्छी तरह फेटे जाने के बाद सछिद्र बादशाह इनका ख व सम्मान करते थे। मोटे वस्त्र में या किसी पात्र में रख कर उस पात्रको धोको जलुका (स० बी०) जले तिष्ठति जल वाहुलकात्-उक। कड़ाहीके ऊपर रख कर इस तरह घुमाते है कि समकी जस्लौका, जोक। धार निकल कर कुण्डलाकार झोतो जाती है। भन्नी जर का ( स० स्त्री०) जलमेको यस्याः पृषोदरादित्वात्। मांति सिक बुकने पर धीमेमे निकाल कर रम वा मोरे साधुः। नौक, जलौका । में छोड़ देनेमे जलेबी बन जाती है। कहीं कहीं चायन अन्त स ( अ० पु.) किसी उत्सवमें बहुत मनुष्योंका मजा के पाटेके बदले मेंदा भी काम में लाते हैं तथा कहीं धज कर विशयतः किसी मवारोके माय किमो निर्दिष्ट कहीं खमीर उठाये हुए पतले मदेसे भी जलेबी बनाते स्थान पर जाना वा शहरके चारो ओर घूमना । हैं। २ विद्यारेको भांतिका एक प्रकारका पौधा । यह जलेचर (स' पु० ) मले चरति घर-ट । १ जलचर पनी । चार पाच हाय ऊचा होता है । इसमें पीले रंग के फल संस, वक प्रभृति । इनके मांस के गुण-गुरु, उष्ण, निग्ध, लगते हैं। इसके फल के भीतर फुगडलाकार बहुत छोटे मधुर, वायुनाशक और शालिकर । ( त्रि.) २ जल- छोटे बीज रहते हैं। ३ कुण्डली, गोलघेरा लपेट । चारी, जो पानीम चलता हो। जलेम (म० पु.) जलनात-उभः। जलहस्ती। जलेकमा ( स० स्त्री० ) जलमे ति जम्न इक्विप जलेन जलहस्ती देसो। जलप्रचुरस्थान' तत्र ते अद्भवति शो-अच स्त्रियो टाप । जलेयु (स.पु. ) पुरुषोय रौद्राग्न नृपतिके एक पुव- हस्तियण्डा वृक्ष, हायो सूइ नामका पौधा । यह पानी का नाम । (माग० .०५) उपजता है। जलेगह · उडिसाके एक प्राचीन गजा । तारानाय प्रणोत जलेज (स'• लो०) जले जायते जन-ड।१ या, कमल ।। मगधराजवंशावनी-चरितमें इनको उडियाका प्रबन (वि०) २ जलजात. जो पानो में उपजता हो। पराक्रमी राजा बतलाया गया है। जलेजात (सं० को०) जले जात मप्तम्या भलुक जलेरहा (.सी.)जले रोक्षति उम्पति कह-क मन. १ पन, कमल । (वि.)२ जलेजात, पानी में होनेवाला। म्याः अलुक । १ कुटुम्बिनी क्ष, सूरजमुखी नामक जलेन्द्र (स• पु. ) जनस्य इन्द्र अधिपतिः । १ वरुण । फलका पौधा । (वि.) २ जनजात, पानोमें होने- २ महासमुद्र । ३ नम्मलाख्य महादेव । ४ पूर्व यक्ष बाला। (मेदिनी ) जलेला (म स्त्रो०) कुमारानुचर माटभेद, कार्तिकेयको जलेन्धन ( स० पु. ) लान्य पेन्धनानि यस्य । १ बाड़ पनुधगे एक माटका नाम | वाग्नि ! २ मौर विद्युतादि तेज, वह पदार्थ जिसकी | जातेवाइ ( पु.) अले जलमध्ये थाहते जलमग्न गरमीसे पानी सूखता है। ट्रय्यस्य लामाथै प्रयतते । १ वह मनुष्य जो पानी में गीता अलेतन (हिं० वि०) चिड़चिड़ा, जिसे बहुत जल्द शोध लगा कर चीजें निकालता हो. गोताखोर । २ मल. पा जाता हो। २ जो डाह, ईर्णा मादिके कारण बहुत कुछ ट, पानीका मुरगा। भस्तता हो। | जलेश ( पु.) सशस्य ईमः तत् । १ वरुण ।२ Vol, VIII 87