पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६४

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जलाका जप : १४७ राजाने इस बातको माना और शीघ्र ही उस जलोद्भवा (सं. स्त्रो०) १ गुगडाला सुप, गुदवा ! मन्दिरको बनवा दिया। इसके उपरान्त पन्होंने नन्दीदेव. २ कालानुशारिवा, कालो सतावर | ३ लघु बायो, छोटो में भूतेश नामका एक शिय-मन्दिर बनवाया था इनका ब्रामी। ४ हिमामयस्थित मधानविधेय, हिमालय पर्वत अन्तिम जीवन धर्म-धर्म में व्यतीत हुआ था। इन्होंने | परके एक स्थानका नाम । (वि.) ५ जनजात, पानोमें कनकवाहिनी के किनारे चिरमोचक नामक स्थान पर उत्पन्न होनेवाला। पानी के साथ मानवलीला ममाम की थी। ( राजतरंगिणी) | जलोदभूता (म.सी.) जन्ले सदभूता गुण्डाला च.प, कोई कोई पुरविद् कहते हैं कि, ग्रीकवीर मल्य क-1 गुंदला नामको धाम। म का नाम ही संस्कृत जालोक रूपसे यणित हुमा है। जलोबाद (स'• पु.) शिवाअनुचरभेद, महादेवकै एक ( And. Ant. rol. 11.2 145) अनुचरका नाम। लोका (सं. स्त्री० ) जन्त' श्रीकं पाययो यस्याः पृषो | जलोरगी (स.पु.) नने हरगो मर्पिणीव । जलीका, दरादित्वात् साधुः । जलौका, जोंक। जोक। लोकिका (स. स्त्री.) जलौका, जोक। जलोलुका ( स. स्त्री.) पायोन, कमलगटा। लोच्छ वास (सं० पु.) जलानो उच्छ्राम: ६ तत् । जलौक (स'० पु.) काश्मीरराज प्रतापादित्यके पुत्र । ये १ जलकी स्फोति, पानीकी बाढ़ । २ जलाशयों में उठने- पिताकी मृत्युके उपरान्त राजगद्दी पर बैठे थे। इन्हाने ३२ वाली लहरे जी उनको सीमाको उल्लंघन करके बाहर वर्ष न्याय पूर्वक राज्य किया था। काश्मीर देते। गिरती हैं। अधिक जल उपाय हारा वहिनिपकासन, } जन्नौकम् (. स्त्री) जले पीको वासस्थान यस्य । १ वह प्रयत्न जो किसो स्थानरी अधिक जलको निकालनेके जलौका, जोक । (वि.)२ जलवासो, पानोमें रहने लिये किया जाय। ४ बोधके टूट जानेके भयमे अधिक | बाला। जलका बाहर निकालना पुष्करिणो प्रभृतिमें जल प्रवेश जलौकस (म. पु. ) जलमेव धोको बासस्थान तदस्ति करनका उपाय। अस्य पर्थ आदित्वादच । जलौका, जोक । जलौका-जोंक देखो। बावलो पादिका विवाह । जलोदर ( को० । लसप्रधान उदर यस्मात् ।। जलोकाविधि (सं० पू०) जोंक द्वारा रतामोसपको विधि। जोसो। अठरामय, पटका एक रोग । उदर देखा। लोदरारिरम-जलोदर रोगको एक भौषध इमको | बलोदम (सं.ली.) सजल धमा प्रस्त त प्रणाली रसगन्धक २ तोला, (अथवा गन्धक ४ | जौन-लोन देखो। तोला ), मनःगिला, हलदो, जमालगोटा, विफला, जल्द ( म० कि० वि०) १ गोच. बिना विलम्ब, झटपट। विकट, और चित्रकमल प्रत्येकका १-१ तोला लेकर। गोतामे, तेजोसे । दन्तौरस, स्नुहोलोर और भृङ्गराजले रममें ७ बार | जल दवाज (फा• वि.) बहुत अधिक जन दो धारने भावना द्वारा संशोधन कर २-२ रत्तीकी गोलियां वाला, जो किसी काममें जफरतमे ज्यादा जल दी धनानो चाहिए। इससे जलोदर रोग दूर होता है। करता हो। उन्लोडतिगति (म स्त्रो०) छन्दः विशेष, एक प्रकारको जल दी ( म० स्त्री.) १ यौछता, नेत्री। (क्रि.वि.)२ व वत्ति । इसके प्रत्येक घरप, १२ असर होते हैं। मलद। २६१२ वर्ष गुरु भीर शेप लप होते हैं । (वि.)। जल्प (सं.पु.) नस्य मामे घम् । १ कथन, काना। जलेन उडतो गतिरस्य १२ जतदारा सरत गतियुक्छ। । “ति प्रियां यला विचिवजस्पैः" (भाग 11८, पापः । नबोध (स.वि.) जले पायो यस्य । जलसात जन्त ।। प्रयोगमें यह सोयसिन में व्यपात पा है। पामो पदा शेनेवाला मन्त। "भीमरन ते शामिरं कार्यकरन "(मार195.)