पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६६

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जवहार-नवाड़ी १४४ मेवारगच्चकै इस अन्तर्विवको देख कर अपना बदला यहांकी लोकसख्या लगभग ४७५३८ है जिससे लेने के लिए कमर कस ली। ४७००७ हिन्दू, और ४७१ मुसलमान है। यहाँकी जमीन चित्तोर पर आक्रमण होने पर प्रधान प्रधान वोरोने | पथरीन्ती है, इसलिये कोई अच्छो फमल नहीं लगतो पद्धत वीरवके साथ उनको गतिको रोका। इनके वीर्या । है। राज्य की आमदनी एक लाख रुपये से अधिककी है। नलमें अनेक मुसलमान पतङ्गवत् दग्ध होने लगे । गवर्म एटको कर नहीं देना पड़ता है। रान्य मरमें दो परन्त इससे भी कुछ फल न हुा। इसी समय राठोर- स्कूल और एक चिकित्सालय है। कुलमें उत्पन राजमहिपी जवहरबाई वम भी अस्त्र- शास्त्रोंमे सुसज्जित हो कुछ मनिकीके माथ शव ममुद्रम | जवामद (फा वि.) १ शूरवीर, वहादुर । २ वह सिपाही जो अपनी इच्छासे सेनामें भरती होता हो। कूद पड़ी उसो मुहर्त में ही कई एक योहा जलवुवुटु- की तरह उस समरार्णवसे विलीन हो गये। राजम- जामर्दी (फा० स्त्री.) वीरता, बहादुरी। हिषी जवहरयाई भी स्वदेशको रक्षाके लिए अपने अवा (स' स्रो० ) जयते रत्तयत्व गच्छसि जुपच. जीवनको उत्सर्ग कर जगत्में अपना नाम अमर कर गई तता टाप। १ लयापुष्प, भहुल I Chinese rose जवहार- बम्बईके याना जिलान्तर्गत एक देशीय राज्य ।इसका पर्याय-भोपुष्प, नपा. मोड़ा, रक्तपुष्पो, अर्क- यह पक्षा. १९४० से २०४० और देशा' ७३२) युप्पो, अप्रिया, रागपुप्पी प्रतिका और हरिवनमा से ४३ २३ पू. में अवस्थित है। भूपरिमाण ३१० वर्ग- है। वेधक राजनिघण्ट के मतमें इसके गुण-कटु, मौल है। इस राज्यमे दो असमान प्रटेश- खण्ह लगते उण, रन्द्रलुभविनाशक, विचदि और जन्तु मनक नया है, बड़ा खण्ड थाना जिलेका उत्तर-पयिमो और सूर्याराधनाके उपयुक्त है। राज बामभके मतमे यह मल- छोटा दक्षिण-पथिमी भाग है। छोटे खण्डके पशिममें | मूवम्तम्भन तथा रञ्जन कारी है ।वैद्यक पक्रपागोका मत बई, बरोदा और मध्य भारत रेलवे आकर मिलो हैं। है कि जवापुष्प तमे भून कर खानेसे स्त्री ऋतुमती . इस राज्यमें कई एक अच्छी पकी सड़कें हैं। इसके | होती है। दक्षिण और एथिमका माग समतल और प्रयशिष्ट असम- जवा (हि.पु.)१ लहसनका एक दाना । २ एक तरह तल है। यहाँको प्रधान नदिया देहरजी, सूर्य, विमलो को मिलाई जिसमें तीन बखिया लगते हैं और दर्शको पौर वाध है। चीर कर दोनो ओर तरप देते हैं। १२८४ ई.मैं जब मुसलमानों ने दक्षिण प्रदेश पर जवाइ (हि. स्त्री०) १ जानेको क्रिया, गमन २ जानका पाक्रमण किया था. उस समय जवहार बारलोके प्रधान भाव । ३ वह धन जो नानेके लिए दिया जाय। के अधीन था न कि कोलोके जिस तरह डोडी राजा जवाइन (हि. स्त्री०) अजवाइन । लीवरसे अषधर्म परिमित भूमि मांग कर एक विस्त | जवाखार (हि. पु०) औके क्षारसे बनने वाला एक भूभागको रामी हो गई थी, उसी तरह कोलके प्रधान जवाखार पोपराने जो जयव नामने प्रसिद्ध हो गये हैं जवाहारमें | प्रकारका नमक। वैद्यको यह पाचक माना गया है। 'अपना पधिकार जमा लिया था। जयपके मरने पर उन-जवाडौ-मन्द्राज प्रान्तका एक पर्वत । यह प्रज्ञा० १२१८ का लड़का नोमशाह जिसे दिखीके समामे राजाको तया १२५४३० और देगा. ७२५ एवं उपाधि मिली थी नवारके राजमिहासन पर बैठा। पू० मध्य प्रयस्थित है। उत्तर पाटमें इसकी कुछ १३४३ ई.को वीं जन जवहारके इतिहाममें बहुत | चोटियां ३००० फुट तक ऊंची हैं। तामिन भापी मल- प्रसिद्ध है प्योंकि उस दिन इन्हें राजाको उपाधि मिली। यालियोंक झोपड़े इधर उधर पड़े हैं। अलवायु बहुत थी और एक नवीन शाकका प्रारम्भ इपा था। महारा दुरा नहीं है। दक्षिण-पयिम मन्द्राज रेलवे निकलते ट्रनि इस देश पर कई बार पढाईको पौर उसका पति ममय हमकी बहुत लकड़ी कटी। गांजाकी खेती होती काय अधिकार कर लिया था। } है। हिन्दू मन्दिरोंका सावध विद्यमान है। Vol. VIII.38