पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६८

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'जवाहिरलाल-नशपुर १५१ · बिलग्रामके रहनेवाले और बन्दीजन थे। १०८८ ई में जवाना (स्त्री० ) अजवाइन । , इनका जन्म हुआ था। इन्होंने जवाहिरवाकर नामक अधिन (सं. पु. ) कोकड़मृग । एक अन्य बनाया था। जविन ( स० वि० ) जव अस्त्य निवेगयुक्त, तेज। २ वैद्यविद्या नामक हिन्दी ग्रन्थ के रचयिता। ये । (पु.) जव वाहुइनन् । १ कोकड़, हिरन! २ उष्ट, पवाके रहनेवाले और कायस्थ थे । १८४३ ई० में विद्य- ऊंट। ३ बोटक, घोड़ा। मान थे। जविलाराम नागर--एक हिन्दू शासनकर्ता, इलाहाबाद अवादिरलाल-एक जैन-हिन्दी-ग्रन्थकार ! इन्होंने मिड- इनको राजधानी थो! १७२०६० (११३२ हिजराम · क्षेत्र-पूजा, सम्मेदशिखरमाहात्मा पूजाविधानले नोक्य महम्मदशाह शासनके प्रारम्भमें जविन्ताराम नागरकी • सार पूजा और तोस-चौबोसो पूजा इन ग्रन्थों की रचना मृत्यु हुई थी। इनके मरने के उपरान्त इनके भतीजे की है। गिरिधर अयोधा शामनकर्ता नियुक्त हुए । १७२४ ई. जवाहिरमिह जाट वंशले एक गजा। इनके पिताका ! ( १९३६ हिजरा )में ये मानव शामनकर्ता नियुक्त नाम सूरजमल जाट था । १७६३ ई के दिसम्बर माग किये गये और बुनि उष्ण एक सादतखा प्रयोधताके सूबे रजनलको मृत्यु के बाद जवाहिरमिह भरतपुर और | दार हुए । १७२८ ई० (११४२ हि )में महाराष्ट्र राजा दोगके सिदामन पर बैठे। १७६८ ई में जवाहिरमिह माइके सेनापति बाजीरावके मालध पर पाक्रमण करने की गुमाइल्याके बाद राव रतनसिंह राजगद्दी पर बैठे थे। पर राजा गिरिधरको मृत्यु हो गई और उनके जातिक बहुतोको सन्देह छुपा कि, इन्ही रतनमि'हने अपने राय बहादुर उनके पद पर नियुक्त हुए। गयबहादुरने भाई को मारने के लिए पड्यन्त्र रचा था। शत्रों के साथ प्रबन्न पराक्रममे युद्ध किया: किन्तु २ एक सिख-सदार होगमिहकी मृत्यु के बाद १७३०१० (११४३ हि० ) में वे भी मारे गये। ये महाराज दिलोपसिंह मन्त्री नियुा हुए थे । १८४५/नविष्ठ (स'• प्रि०) प्रतिगयेन जवान जव प्रचन्त के २१ सेल म्बरको ये लाहोरमें सेनाओं के हाथ मारे | वेगगाली, बहुत तेज दौड़नेवाला । (ऋक् ॥२॥३) गये और इनके पद पर राजा लालसिंह नियत हुए। जवोयम् ( स० वि०) प्रतिगयेन जवान जब ईयसन् ३ जौहर नामले परिचित एक हिन्दू । ये नौशापुरके वतोतुं क् । अत्यन्त वेग युक्त, बहुत सेज। मुखा नातिकके शिष्य थे। इन्होंने फारमो और उद्द, जव्वरम्बाद-जन्यरसाद देखो। • भाषाम कई एक दोवान (गजलों के म ग्रह या काव्य) जवरिया भीन-जपरिया भील देखो। बनाये थे । १८५१ ई में भी ये जीवित थे। | जया (हिं० वि०) जानिवाला, गमनमोल। जवाहिरमिह -१ वैद्यप्रिया नामक हिन्दी अन्य जगन ( फा. पु.) १ धार्मिक उत्सव । २ उसय, जलना । प्रणेता। ये पवानरेश प्रमानसिंहके दीवानथे ।२हिंदोके, ३ पानन्द, हर्ष । ४ वह नार वा गाना जिसमें कई एक कवि। उन्होंने,१८८६ संवत बास्मोकोय रामा- देखाए एक साय मभिनित हो। प्रकार कर यह यणका छन्दोवह मनुवाद किया था चौर मालपचासा | नाव वा गाना महफिलको समामि पर होता है। नामक एक स्वतन्त्र पन्ध रचा था। जगपुर-मधाभारतका एक करदराज्य यह प्रसा.२२ जवाहिरमिह महाराज-काश्मोरके एक भासनकर्ता। १७ एस २३ १५३० पौर देगा. ८३३." तथा ८४ ये ध्यानमिडके पुत्र पौर महाराज गुलाबसिंहके भतीजे २४ पू० मध्य पपस्थित है। क्षेत्रफल १३४० है । १८०५ १० तक वह छोटा नागपुरमें सम्मिलित रहा। म जवाहिरात (२० पुः ) जवाहरात देखो। उत्तर तथा पथिम सरगुजा राज्य, पूर्व रांची जिला पोर जवाडी (हिं.वि) १ जिमकी पांवमें जवाह रोग दतिमा को गानपुर, उदयपुर एवं रायगद है। जयपुग्में .इमा हो । २ जवाहगेगयुक्त पाखा . . . . . जितनो हो 'चो, उतनो ही नीची जमोन भी है। इस