पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१७२

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जस्तों उंमका व्यवहार करते हैं । भावप्रकाश लिया है - और मूल धातु है। भाषमकारके मतसे- "यशदं रंग सदृश मिति हेतुश्च तन्मतम् । ___ "स्वर्ण रुप्यंच तामू व रंग यादमेव च ! यशदं तुपर निक्तं शीतलं कफपित्तहत् । सोसं लौहंच सप्तैते धातको गिरिसम्भवाः।" । चक्षुष्यं परमं भेहान् पाण्डवासं च नाशयेत् ॥" स्वर्ण, रौप्य, ताम, रग, यगद (जस्ता) सीमा और जस्ताको आक्षति और शोधनमारण श्रादि मब रांग | लोहा, ये सात गिरिसम्भव मूलधातु हैं। इनके मिवा समान हैं। जारित जस्ताके गुण-कपाय, निरम, जो चोट न मह सकती हो पोटमेमे जिनका धरा हो शीतयोर्य, चसुके लिए हितकर एवं कफ, पित्त, प्रमेह, , के nिatna मर जाता हो, वे मन कटिन और उपधातु हैं। पाण्ड और खासरोगनाशक । ____ जम्ता अंग्रेजी धातुशास्त्रानुसार भी मूलधारा डा. वाट अपने Dictionary of Economic | है। यह देखनम नीलाम क्षेतषण है। इसका prodnets of India नामको पुस्तकमें खपरका अर्थ | बहिर्भाग चांदीके समान उजला है। यह कठिन होता जस्ता Impure calainine लिखा है। और यह भी है, तोड़नसे इसमें स्तरवत् संस्थान दीख पड़ते हैं । इसका प्रापैनिक गुरुत्व ६८ गुना है। सामान्य उत्तापसे लिखा है कि, भावप्रकाग उसका उल्लेख है। परन्तु यह टूट जाता है, पर २१२. डिग्री गरमीसे यह नरम भावप्रकाशमें 'पर' धा को उपधातु माना है। सर्पर देखे।। कविराज मिश्वर गुप्तके वायं चन्द्रिका नामक हो कर घात सहने लायक हो जाता है और उसमे तार पायुर्वेदीय अभिधानमें दमको अंग्रेजीमें a collyrium वा पत्ती बन सकती है। परन्तु ४०० डिग्री उत्तापमे यह फिर भङ्गप्रवण हो जाता है, ७०३ डि• उत्तापमें गल , extracted from the Amomum Authorbiza कहा है। बङ्गालके व धगध मत् नामक धातुको खपर कहते कर तरल हो जाता है और ज्यादा उत्तापसे यह उपायु है। इस सत् धातुसे वहाको मुसलमान औरतें 'खाई भी हो जाता है। जस्ता उदायु हो कर जो वापरागिमें परिणत होता है, उसमें वायु लगनेसे वह जनता नामका गहना बनाती हैं । कसेरे लोग इसे सत् जस्ता रहता; पालोक उज्वल होता है और वह जलकर कहते है और जस्ता धातुमे हो उत्पन्न वतन्नात है। उन. Oxide of zinc नामक मियधातु उत्पन्न करता है । जम्ता के मतमे जम्ता दो प्रकारका है, एक रूपजस्ता जा साफ यदि खुला पड़ा रहे, तो वायु लगनेमे उसकी उज्ज्वलता पौर विशुद्ध होता है और दूसरा मत्स्ता जो धालन्सर- नष्ट हो जाती है और रंग मीमा जमा हो जाता है। के संयोगसे बनता है । प्रायुर्वेदशास्त्रके अनुसार यगद लोहा, पीतल वा तांबे पर जंग लगनेसे धातुकी हानि धातु विशद जस्ता है और खुधर तन्मिथित कोई अन्य होती है, किन्तु जस्ता को कुछ भी हानि नहीं होती। धातु है। सर्पर गमकके साथ मिश्रित होने पर 'खपरी- बाजार में जो जस्ता धिकता है, उसमें सीमा, लोहा, रात्या होता है, जिमका दूसरा नाम है 'रमक'। इस अङ्गार, शृङ्गीविष और सांबा मिथित रहता है । जम्तासे 'रसक' वा 'खपरीतस्य' को अंग्रेजो sulphate of अक्सिजनके संयोगसे पथम की तरह Protonitle of Zinc और हिन्दोबोलचालको भापामखपरिया कहते हैं। Zine या फूल-जस्ता ( Flowers of Zinc ), चार काश्मोरके सौदागर लोग यहा खपरिया वचा करते है। धातुके योगसे. ( देखनेमें कछुएको पीठकी भांति) जो देखमम पिण्डपंत, सरमौको खुलोको भांति धूमर) Hydrated Oxide of Zane, Sulphate of यण और कठिन होता है और तोड़नेमे चूरा हो जाता | Zinc (शतभातु ) Carbonate of Zinc, १। रसरु देखो। रसकका चूरा किया जा सकता है, Chloride of Zinc ( Butter of Zinc वा पर परका दुर्गा नहीं होता। "g पत्तलौक्षत्वा" | मलनसा जम्ता), गन्धकक मंयोगमे Sulphate of 'अर्थात "खरकी पत्ती धना कर" -हममे सर्परको सत्] Zinc blend तांक संयोगमे Brass वा पीतल जमन- जस्ता कनिमें आपत्ति नहीं। जो धात प्राधातसह सिलवर ( German silver ) पादि बनता है। प्रर्यात् घोटने पर जिसको पत्तो बन जाय, वहो मृदु इस धातुसे लोडेको पहरी पर कलईकी जाती है,