पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१७४

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नहदज हलचणा-मांगौर प्रकारको लत्तगा। इसमें पट वा वाक्य अपने पाया । महर। यह गङ्गाको पगना नामक एक शाखामे निकल को छोड़ कर अभिप्रेत अयं को प्रगट करता है। यथा कर काइमाटके पास महानन्दामें जा मिन्ती है। रमे "मायुतं" भायु हो घृत है, ऐसा करने से हो एक देख कर यही अनुमान होता है कि किसो वक्त यह मा लापका कारण जान पड़ता है, त भोजन ही एक एक नदी थी ; पोछे नाव घताने के लिए खोद कर गहरी माव पायु हषिकर है, इतका परित्याग प्रायुःक्षयका की गई है। परन्त किम ममय ऐमा हुमा, यह नहीं कार है, अर्थात् जिस लक्षणमे स्वार्थको एक मात्र मान म । परित्यता होता है, उसोको महत्वार्था कहते हैं। जहरवाद (फा० पु०) एक प्रकारका भयं कर पौर विषाल लक्षण देखो।। फोड़ा । यह लोह बिगड़नेमे उत्पन्न होता है। इसके जहदलहलवणा(स'. स्त्री.) नइच्च पजच लक्षणा स्वार्यो पारम्भमें शरीरके किसी पगमे सूजन पोर जलन होतो या। लक्षणभेद, एक प्रकारको लक्षणा । इसमें बोलने है। यह रोग सिर्फ मनुष्यको हो न हों। बल्कि घोड़ों, वालेको शब्दके वाच्यार्थ से निकलनेवाले कई एक दैलो और हाथियों को भो हुपा करता है। ऐमा देखा .मायों में कुछका परित्याग कर केवम्त किसो एकका ग्रहण | गया है कि इम फोड़े के अच्छे हो जाने पर मो रोगी

अभिप्रेत होता है।

अधिक दिनों तक नहीं जीता। अहदना (हि' कि.म) कोचड़ होना, दलदल हो जहरमोहरा (फा• पु.) एक प्रकारका काला पत्थर । आना।२मिथिल पड़ना, थक जाना। यह माप काटने के कारण शरीरमें चढ़े विषको खोंच जहदा (हिपु.) अधिक कोचड़ दलदल । लेता है! मापके काटे हुए स्थान पर यह रख दिया अहन्नम (स.पु.) १ मुसलमानौका नगर या दोजखा जाता है । इममें ऐमा गुण है कि यह रखे हुए स्थानमे मुसलमानों के शास्त्रों में इन मात दोजखोंका वर्णन मिन्तता| जब तक शरीरका मम्म र्ग विष खींच नहीं लेता तव है-मुसलमानों का जाम, प्रधाईयोका लजया, यल तक उम स्थानको नहीं छोड़ता है। प्रवाद है कि यह दियोंका दुतमा, सावियोमोका शेर, पारसी पन्य पासकोका पत्थर बड़े मैटकके सिरमैसे निकलता है। २ अनेक सगर, पौत्तलिकों का जलुम और कपटियों के लिए हबीया तरह के बिपों को हरनेवाला एक प्रकारका हरे रंगका - निर्टिर है। २ वह जगध नहां बहुत जाादन मुसोक्त पत्थर। यह बड़ा पड़ा होता है। लोग इसे गरमोके '. और दुःख हो। दिनों में मरवतके माय घोर कर पोते है। मनमरसोद (फा वि. जो नरकमे गया हो, दोलखी जहरोला (हिं. वि.) विषात, जिममें जहर हो। जहब मी (फा०वि०) नारको, नरकमें जानवाला। जहालक्ष गा( स० स्त्री० ) नइत् स्वार्थायां । सक्षणामद, जहमत ( प्रो.) १ पापत्ति, मुसीवत, प्राफत। एक प्रकारको लक्षणा। लक्षण देखो। २ झमट, बखेड़ा। जहां (हिं शि० वि०) १ म्यानसूचक एक शब्द निम जहर ( फा• पु.) १ विष, गरल वह चीज जो शरीरक स्थान पर जिम जगह। २ सव स्थानों पर सब जगह। • भीतर पहुंच कर माण ले ले वा किसी प्रणाम पहुँच ३ जहान, दुनिया, ममार। म शब्दका (इम स्पर्म) कर उमे रोगी बना।२ अमिय काम वह बात जो व्यवहार सिर्फ कविता का यौगिक शब्दाम होता है। पच्छी न गती हो। (वि.). ३ मापनाशक, मार नेमे-जहांगोर, नहोपनाह । डासमेवाला । ४ हानिकारक, नुकसान पहुंचानेवाला । जहाँगोर ( जहान गोर )-वादगाह प्रकवर के ग्येष्ठ नाहरगत (Eि स्त्रो०) घुघर काद कर नाचनेका एक पुत्र । १५७८ ई० में २ मेम्बरको, पकवरको मिय सरोका। महियो जयपुरराजको पुत्रो मरियम जमानी के गर्भ मे 'नारदार ( फा. वि.) विषात, अहोला। इनका जन्म हा महाराधीन मुमलमान माधु मनीम जहरपुरदोहा-मालके अन्तर्गत मालदह मिलेको एक । चिरके घरसे इनको पाया था, इसलिये इनका Vol. VIII. 40