पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१८१

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१६२ जागौर पदंच कर मरदारों के उद्यान में ठहरे। इम स्थान पर (१६०८ ई० में ) सम्राट कुमार पारविश वहां भेजनेो । युमफजाई अफगानौने पा कर जहांगोरको वगाला स्थी लिए मनोनीत हुए। इसी समयः समगठ के यपि कार को । मेरो नामके एक पफगानको उता प्रदेशका | मम्प्रदायने भारतमें वाणिज्य करनेका पधिकार प्रासं गामन को बना दिया गया। श्रो मफर सारीखुको राजा करने के लिए हकीनम्को जहांगीरफे दरवारमें इतना यिक मजिसके पुत्र कल्याण गुजरातसे यादगाह के पास भेजा। पाये। उनके विरुद्ध वनमे अभियोग लगाये गये थे। | हकीनम् १६०८ ई. में १६ पमेलको सूरत . उन्होंने एक मुमलमीन पेशाको अपने घर रख लिया था, आ पहुंचे। व्यवमायके सभीताके लिए उन्होंने जैसी २ तथा एमके पिता और माताको हत्या कर, उन्हें अपने प्रार्थनाएँ की, वादशाहने उन मममें अपनी सीकारता घरमें गाड़ दिया था। इसलिए जहांगीरने उनकी जीभ दी और हकिनस्को वार्षिक ३२०००) रुपये वेतन दे का काट कर जन्म भर उन्हें कैद कर रखनेका टुक्म दिया। अंग्रेजीका दूतम्वरूप उन्हें दरवारम रमनकी रक्षा 'बादशाह घुमरको गृहन्नाव कर काबुनम लेते पाये | प्रकट की। हकिनम्न प्रयके लोभमे कार्य ग्रहण कर . घे। यहां पाकर उन्होंने खुसरूको जंजीर खोल दो। लिया। हकीनम् मम्राट के इतने प्रियपात्र हो गये कि. महने फतेउमा, न र उद्दीन, पासफ खां और सरीफ | बादशाहने दिल्ली के पन्त:पुर की एक प्रर्मनी महिलाके माय गाँ प्रादि मायः ५०० भादमियों की सहायतासे बाद उनका वियाह कर दिया। कुछ भी हो. सम्राट के माय शाहको मार डालने की कोशिश की । परन्तु उनम एकने प्रप्रेजोंकी जो सन्धि हुई, भारत के पत्त गीज मोग उमे . कुमार पुर्रम ( पोछे शाहजहा) के दीवान खोजा शुड़वानेकी कोशिश करने लगे और कर्मचारियोंको घूम . सारा मोको यश्च यात कह दो। खुश्मने बादशाहमे दे कर वे इस विषयमें कतकार्य भी एए । कर्मचारियों ने कहा। उन्होंने फतेउलाको कैद कर दिया पीर प्रधान मम्राट को समझा दिया कि, 'यो माय सन्धि होगे प्रधान ३-४ पट्यन्यकारियों को मार डालने के लिए | पर जितने सफल की मम्भावना है, उममे कहीं पधिक ६सन दिया। अनिट होनेकी सम्भावना पोत गोजम मेल न होनेमे २५०८२० में बादशाहने राजा मानसिंह के ज्येठपुव है। जहांगीरने दम वातको ठीक मान कर हकीनमको जगमिभको कन्याकै माय अपना विवाह पारने के प्रमि शोध ही भारत छोड़ कर चने जानेकी आज्ञा दी। प्रायमे ग्वच के लिए ८००० रुपये भेज दिये । यी रवि. १६१०६ में कुराय नामका एक फकीर पटनाके . उम्न पचम तागेवको जगतमिहकी कन्या यादगाह | पाम उज्जयनीमें पाकर रहने लगा। उसगे यहाँक यह पन्तःपुरमें मती गई। इगो ममय जहांगीरने पित्तोरके तमे अमत् मोगों के माय मिन्न कर अपना पुगए नाममे रागा पमरमिएके विरुद्ध महायताको भेज दिया। । परिचय दिया। उसने कहा कि, "हम योदपानमे भाग दिनीग्दरने मोचा कि, भारतके हिन्दू और मुमन पाये हैं, और यहां रहते ममय हमारी पांचों पर गरम मान मम ही अप उनके पगीभूत हो गये हैं तब राना कटोरी वांध दी जाती घी, मिलिए पानी पर दाग पर दी याँ मातक उठाये रहें १ का पुरुष पमरसिंहने जब | गये"। गुनिए पनिच्छा प्रकट की, तम . मर्दार कुन्ततिलक ___एम प्रकार परिचय देनमे कुछ मोगीने पाकर धमका चन्दायत पोर गानुम्या पोरगि अवरन उनके द्वारा युद्ध माय दिया। इन मोगा माय युरापने पटनामें प्रमेय घोषणा फरया दी। इम गुरुम यादगाह जहांगीरफा कर या दुर्ग पर अधिकार किया। उस समय पटनाई मनोरय मफन न पा । फुश भी हो, युवराज पुमके गासनकत्ता पफजन यां, गेप बनारमी पोर गयाम शैमः पगिह मातुनने रम युग्म यादगाह की तरफमे विगेप पानी पर नगररणका भार देकर गोरगपुरमें पनी माहमिकताका परिचय दिया था। भयो आगोरमे गये हुए थे। पिद्रोहियो दुर्गमे प्रग दाधिपात्यमें ज्यादा गपड़ी फैन्स जाने के कारण करने पर दुर्गरधान भाग कर अफसम्मकि पाम: