पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१८४

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जहांगीर , जानका प्रयत्न किया। उधरसे अफजलखां भी हम सम्बा- 1 उनकी दरिद्रदिशामे दुःखित हो कर उन्हें माय लेते दको पाकर बहुत जल्द पटना को तरफ रवाना हुए। गये। बार वार लोगोको चेतावनी दी गई कि, यह अमली । वादगाह प्रकवर उता व्यक्तिका बहत सम्मान करते खुश नहीं है। धोखेबाज कुतुबने जब अफजलखांके थे। मसूदने मिर्जा गयामका पकनरमे परिचय करा पानको खबर सुनी, तब वह दुर्ग छोड़कर युद्ध करनेको दिया। समाट को यह मालम होने पर कि-गयासके अग्रसर हुए; किन्तु अन्तमें उसे परास्त हो कर भागना पिताने हुमायुनकी दुरवस्थाके समय उनका बहुत उप. पड़ा। पीछे फिर उन लोगोंने अफजलखांके मकान पर | कार किया था तथा गयासके पाचरणमे प्रतान्त मन्तष्ट कक्षा किया। आखिरकार कुतुब अपने माथियोंके हो चकबरने उन्हें दोवानके पद पर नियुक्त कर दिया। क्रमशः मरते देख अफजल के सामने आ खड़ा हुआ। पीछे गयासको स्त्रीमे प्रकारको महिपी या मलोमको अफजलने उमी समय उमको मारंडाला । सम्राट के पास | माता मरियम लमानीकी गाढ़ी मित्रता हो गई। सम्बाद पहुंचने पर उन्होंने शेख बनारसी, गयामरिहानी गयामकी स्त्री प्रायः सलीमको माता के साथ मुलाकात तथा अन्यान्य कर्मचारियोंको बुला भेजा। उन विद्रो- लिए जाते समय अपनो कन्या मेहेरउनिमाको भो हियोको फटे-पुराने कपड़े पहना कर तथा दाड़ी-| साथ ले जाया करती थी। मेहेरउनिमा नाचने गाने मूक मुड़ा कर गहरके चारों तरफ घुमाया गया। और नाना प्रकारको कलानी में चतुर और अत्यन्त का. १६१० ई०में अहमदनगरमें विद्रोह उपस्थित हुअा। यती थीं। इनके ममान रूपवतो कामिनो पृथिवो यर खानखानान्को कुमार पारविज्ञका महकारी बना कर बहुत कम ही पैदा हुई हैं, इनका गरोर मचा ओर दाक्षिणात्यकी तरफ भेजा गया। उन्होंने बुरहानपुर पहुंच तमाम खुधरतीको लिए हुए तसवीर मा माम फर सेनाको बालाघाट भेज दिया। वहां पहुंचने पर | होता था। इनके रुप और गुणसे सभी मोहित होते थे। कर्मचारियों में परस्पर झगड़ा हो गया। सेना बहुत यक एक दिन मेहेरउबिमा अपनी माता माय मन्नोमको गई। चावल और खाद्य-मामग्रीका भी प्रभाव हो गया। माताके धर प्राफर समानीके मनोविनोद के लिए नाघ इसलिए सेना फिर पुरहानपुर भेजी गई। इन सब असु-को थो, कि इतने में सलीम भी वहां जा पहुंचे। दोनों को विधाओं के कारण शव प्रोसे कुछ दिनों के लिए सन्धि कर चार पाखें हो गई, सलोम मेहेर उनिमाके रूप म. ली गई। खानखानान के विरुड नाना रूप अभियोग होने | गुग्न हो गये । दोनों ही की यह दशा हुई। सतोमने लगे। इस पर बादशाहने खानखानान्को वहां स्थाना- | उनसे विवाह करनेकी इच्छा प्रकट की। परन्तु पत्ती. न्तरित कर दिया और उनकी जगह खाजहान्को भेज ) कुलिर्खा नामक ईराक प्रदेशके एक मजनमे उनका दिया। विवाद मम्बन्ध पहले ही स्थिर हो चुका था। प्रश्टुरत .. १९११ में जहांगीर के साथ मिर्जा गयासवेगकी | रहोम (वादमें खानखानान् ) ने मुल तानके युदई ममय कन्या न रमहल (न रजहान) का विवाह हुआ। अनीकुलिके वीरत्व पर मन्तष्ट हो कर यादगाह पकवर. ____ इयाजावाद के वनीर खजामहम्मद मरीफनी मृत्य के से उनका परिचय करा दिया था । जी हो, सम्लीम मेहर- उपरान्त उनके पुत्र मिर्जा गयामवेग अत्यन्त दारिट्रा उनिसाको पाने के लिए बहुत ही प्याकुल एप: समय पीड़ित हो कर दो पुत्र और एक कन्याको लेकर हिन्दुः । समय पर उनसे प्रेममम्भाषण भी करने लगे। मेहरकी स्थानकी तरफ पा रहे थे। उस समय उनकी सो गर्भ | मासाने इस श्यवहारमे विरमा हो कर ममाल मचा. वतो थी; म गर्भसे भारतको भावी ममानीका जन्म! रामोसे कहा पीर उन्होंने सम यात खोल कर पकवरमे दुपा। ये मोग जिन पथियों के माथ पा रहे थे उस कह दो । यादगाहने इस तरह के पन्यायको प्रययन दलमें मालिश ममद नामक एक उदार ध्यति भो । देकर पलीकुन्नीकि साय गीत ही मेहरका विवाह म बालिकाके असाधारण सौन्दर्यको देख कर तया! करने के लिए गयामसे कहा। मेहेरउनिमाको सन्तानके