पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१९४

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जहांगीर १७१ भाक्रमण न कर. किले में घुस गये। माहजहानको मुमा- रुपये दिये, परन्तु इस पादमोकी मृत्य मे ये बहुत हो नियत होने पर भी उनके एक अनुचरने कि पर | व्यथित हुए। वहांमे वे राजपुरं गये । चलते समय उन्होंने चढ़ाई कर दी। शराब पोने को इच्छा प्रगट को किम्सु शरायके पाने शाहजहान् वास्तवमें उस समय विद्रोही मधे पर वे उसे पोन सके। उनका शरीर कामगः प्रस्त्रस्य सनको पास कुल १००. ही सेना थी। उनके मित्र होने लगा। उन्होंने अपने जोयनको पागा छोड़ दो। राजा लष्णचन्द्रको भी इस समय मृत्यु हो चुकी थी। १०३१ हिजरामें २८ सकर तारोखके माताकाल के भाजहान मुसीबतके मारे अजमेर गये थे। अजमेरके | समय हिन्दस्तानके वादशाह महम्मद न रउद दोन टुर्ग पर प्राममणका सम्बाद सुन बादशाहने महावत- जहांगीरका दमाको वोमारोमे गरोरान्त हो गया । यह 'खाको शाहजहाँके विरुण युद्ध के लिए आदेश दिया। | बीमारी उन्हें बहुत दिनों मे सता रहो यो । टूरे दिन शाहजहानका सेना जब दुर्ग को जीत न सकी, तब वे उनका मृतशरीर लाहोर भेजा गया पोर न रजहानने तो पारस्यको तरफ चल दिये। परन्तु रास्ते होमें उन्हें । उद्यान बनवाया था, यहीं उन्हें समाधिस्य किया गया। माई परविजका मृत्य मम्वाद मिला, जिससे उनके मन- उन्होंने अपने लिए समाधिस्थान पहले होसे बनवा लिया की गति पलट गई। इस दुरवस्थाम मी उनको राज्य | धा। इम तरद बादशाह जहांगोर २२ वर्ष राज्य करके नामको पिपासा बलवती हो उठी । वे शीघ्र ही नासिक! ५८ वर्षको उममें १९२० के २८ अकबरको हमेगा- उपस्थित हुँए । महावत सम्राट हारा थाहजहानके विरुष के लिए मो गये। भेजे गये थे किन्तु शाहजहाँक दाक्षिणात्य में चले जानेसे महागौर अत्यन्त स्वेच्छाचारी और भर चोरत्र थे। महावसने उन्हींका साथ दिया। इनके राजावकालमें अत्यन्त विमृद्धलता फल गई थी। ये दोनों मिल कर क्या करेंगे, इस बातका नियय । इमके पिता (अकबर )को छोटे में नगा कर यहे नक होनेमे पहले ही उन्हें शाहरयारको पौड़ा और बाद मभो मानसे और भक्ति करते थे, इसलिए प्रहांगोर शाहको मृत्य का सम्वाद मिन्ता। गाहमहान् सिहासन राजाव करने में समर्थ हुए थे। अधिकार करने के लिए यो न हो रामधानीकी तरफ धन | जहांगोर बचपनसे हो शराब पादि पौने में अभ्यास दिये। थे; किन्तु टूमरा कोई इम दोपसे दूपित न हो, शाके काश्मीरमें रहते समय बादशाह बहुत ही प्रवस्थ लिए उन्होंने कान नको व्यवस्था को थी। यूरोपके पर्यट- हो गये थे। उस देशको प्राम-हवा इनको सन्ध न हुई। कोका कहना है कि, जहांगोर बड़े गिटाचारो और इसलिए वे १६२० में लाहौर लौट आये। मिष्टभापो सम्राट् धे। ये इगल एड़के राजा म जैमस के जहांगीरको शिकार खेलने का बड़ा शौक था, परन्त | समसामयिक घे। पायर्य का विषय है कि, इन दोनों का इधर उन्होंने यधुत दिनोंसे शिकार न खेला था साहोर । राज्यकाल प्रायः समान था और परिवमें भी बहुत कम मोटी समय पैरामकाला नामक स्थानमें उन्होंने शिविर | फर्क था। दोनों ही कौतुक और पामोदप्रिय थे । जा- स्थापन किया था। एक दिन वे शिविरके हार पर बेठेगोरने १६१७ ई में तम्बाकून पोनेका हुक्म जारी किया, थे, इनमें लाहोंने देखा कि, स्थानीय कुछ लोग एक | ठोक इसी समय ले गहने भी ऐसा ही नियम जारी हरिणको भगाये ले जा रहे हैं। बादगाइने हरिण | हुपा। जहांगीर क्षमायालो थे, उन्होंने विद्रोहो कुमार पर गोली चलाई गोलोके लगते ही वह मृग दौड़ा हुआ| सशक्षको बहुत बार शमा किया था, तथा मानमि' भगोके पास पहुंचा और यहीं उसने प्राप्प गया दिये। और हामलामान के लिए भी यथेट क्षमा दिएनाईयो। •मो समय एक पादमी भी मर गया था यह भादमी कभी कभी ये नृशंसमूर्ति भी धारण करते थे, जिम पर हरिणके पीछे था और वन्दककी पाबाजसे अपने सानसे | इनका क्रोध होता, उसे ये जिस तरह ही मारनेकी नीचे लुढ़क गया था। वादपाइन उसकी माकी बहुत कोमिग शरते थे। पहले इन्होने पकयर मवर्तित धर्म-