पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२०१

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महाज नौ विभाग अध्यक्षको बन्दरमें गृहस्ताको रक्षाके / बाहुको कथा पर अविश्वास करते हैं; किन्तु उनकी ना. . लिए नाना उपायोका भवलम्बन करना पड़ता था। जब यात्राका चित्र अजन्ता गुहा पक्ष भी मौजूद है और पभी कोई जहाज तूफानके कारण बहता हुमा बन्दरके । यह पालमे १४०० वर्ष पहले अहित हुआ था। उस पाम उपस्थित होता था, तो उस समय उमे सबसे पहले ममय भी लोग समझते थे, कि विजय इस तरह और पायय दिया जाता था। पानीमे यदि किमी जहाजका म प्रकारको नीका पर चढ़ कर नशा पहने थे। रफ्तनी क्यिा हुआ माल बिगड़ जाता था, तो ये उस | ईमाके ४००० वर्ष बाद फाहियान तान्नलिममें एक मालका महसून माफ कर देते थे। यदि मलाह वा महाज पर चढ, कर चीन गये थे। हम जहाज पर नाविधाके प्रभावी अथवा अच्छी तरह मरम्मत न होनमे नाना देशके लोग थे। चोन मुदी भयबर तूफान . ' जहाज डुब या फट जाय, तो शामन विभागसे वणिकोंकी उपस्थित होने पर जब जहाजके डूबने में कछ कमर न क्षति-पूर्ति की जाती थी। जो उनके बनाये हुए नियमके | रही, सय फाहियानने दुइदेवका स्तय करना प्रारम्भ प्रतिकूल चलते थे, उन्हें दण्ड भी दिया जाता था। कर दिया। तूफान शान्त हो गया और जहाज उनको जन्लदसाके जहाज, शत्रु देशगामी जहाज तथा | बच गया । वन्दरके कान नभग करनेवाले जहाजोको नष्ट कर देने ____उसके बाद ताम्रलिप्तमे चीन पोर आपानको मसाज ' तकका अधिकार था। जहाज पर सयार हो, यदि निम्न | निम्न गया था, ऐमा सुनने में पाता है। कछ दिन बाद भारत- प्रकारके वाक्ति कहीं भागनेका प्रयव करते थे, तो ये | वासी समाना, जावा, पालो प्रादि दीयों में ना कर उन्हें पकड़या कर दण्ड दे सकते थे। लेमे-दूसरेको बसने लगे और वहाँ शंक, घपाय पौर यौहधमका स्त्री, कन्या वा धन चुरानेवाला एक वाति, दण्डित प्रचार करने लगे। याति, भारविहीन वाक्ति, छप्रवेशी, अस्त्र या विप ले जानिमाला वाशि, इत्यादि। जो लोग बिना अनुमति मक्षाकवि कालिदामने कहा कि यादगा। (वा बिना टिकटके) भ्रमण करते थे, उनकी चीज-वस्तु राजा नौकायों पर चद, कर युद्ध करते थे। पालरामा वेजा कर सकते थे। गण युहने लिए बहुतसो नौकाए' रणी थे। इसमें मन्द नहो । खालिमपुरमें धर्मपालका जो तामने चन्द्रगुमके पौत्र प्रियदर्गा भगोकने भी पितामह के मिला है, उसमें यह बात लिखी है कि युद्ध के लिए राजत्वका गौरव इस विषयमें मतमा रखा था । सिंहल, धर्मपाल बहुत मी नावें रखते थे । गमपान्त नौकापाका मिगर, ग्रीक, सिरिया भादि देशोंमें उनका लेन-देन पुल बना कर गङ्गा पार हुए थे, यह बात रामचरितम पलता था । समन भारतवर्ष में किम प्रकारका जहाज ! स्पष्ट लिखी है। १२७६ १०में ताम लिममे कुछ बोr. का वायमाय प्रचलित था, इमका परिचय मिल चुका। मितु जहाज पर सवार हो पेगन गये थे और यहां मम यशदेगका विवरण लिया जाता है, क्योंकि इस बौडधर्म का संस्कार किया था, यह बात कश्याणी मगर विषयमै इसमे यथेष्ट स्याति लाभ की थी। के शिलालेखम स्पष्टतया कही गई है। बगदेग गजमुव विजयमा पिताके द्वारा निर्वामित इमके पतिरिता मनसा और मनचाहीको पोधोम होने पर किस तरह मिल गये थे, उसका उनष भी इम बङ्गालकी नौकायावाका बोट वियरप मितता पहले किया जा चुका है। विजया अपने पाद- है-एक एक सौदागर एक साथ पन्द्रह मोलह महान मियाँको तीन जहाजों पर चढ़ा कर सिंहमको लिए | एक नाविको प्रधान समुद्र में ले जाया करते थे. और .. रयाना एए थे। सन जहाजोम मस्त न घे, पास थे, यया ममय सिइन पहुंचा, यहां १५-१५ दिन टार . प्रर्यात टोम पोर जन बनने के पहले जिन जिन फर वापार करते थे। फिर यम महाममुद्री जात प . घोसीको समरत यो. वे म यो। बहुत मोग विनय- पोर नामा दीप पीमि वाष्पि करते थे। दि .