पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२०२

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१०६ सौदागरके प्रधान जहाजका माम मधुकर था। किमी को यहां भेना था। उन्होंने इस शहरक अवस्था- किसी पोथीमें लिखा है, कि मधुकर नामक जहाजमें नका विवरण लिखा है। समसे पहले १२४४९ में १२०० डोड़ थे। विज वंशीदासके 'मनसार भामान में रयनबतूता नामक एक मूर परिवाशक मनवार उप. लिखा है, कि सिहलसे १३ दिन महासमुद्र में चलनेके | कूलसे मारतदीप स्पर्श करते हुए चग्राम पाये थे और बाद भीषण तूफान उठा, तुलाराशिकी तरह फेनराशि देगीय जहाज पर चढ़ कर चीन पहुंचे थे। उस समय के नौकाके परमे जाने लगी, चांदसौदागर 'मेरा मर्वस्त्र ) पन्य एक चीमपरिव्राजक माईन्द निम्वते हैं, कि वह इन्हीं नावों पर है' कह कर रोने लगे। आखिर वे नाविक प्रामने उस ममय ताम्रलिपको अतिक्रम कर चीन और को पकड़ कर खींचातानी करने लगे, कहने लगे-'तुम | मलयदोपहनके साथ वाणिज्य मम्वन्धका मानो ठेका इनका कुछ बन्दोवस्त करो।" नाविकने उन्हें बहुत धार लिया था। इम देगका प्रवस्थान ओर जहाज निर्माप समझाया, पर उन्होंने एक न मानी। पाखिर नाविकन प्रणालो इतनी अच्छी घो कि हमके समाल्ने अपने 'मधुकर'से कुछ तेलके पीपा निकाल कर ममुद्रमें डाल पलेक सन्द्रियाके जहाज पोर जहाजके कारतानेको दिये, जिसमे तूफान कुछ कुछ बन्द हो गया। दूरमें नापमन्द कर म चाग्राममें जहाज बनवाया था। सोन मय जहाज दिखनाई देने लगे। चाँद सौदागर मारे | वर्ष पहले भी, कर्णफ लो नदो समुद्-हमीको तरह पुशीके फूले न समाये। येणीबद्ध देशीय जहानो मे ममाछा रहतो थो। चहा पामके दक्षिण हालिमहर, पतगड़ा प्रादि ग्रामों में देशोय इन पुस्तकोंके लिखे जानेवो बाद भी, जिस ममय शिल्पियों के बहुत से नहाजके कारखाने थे । ये कारखाने केदारराय और प्रतापादित्य खूध प्रबल हो उठे थे, उम रात दिन इयोड़े की प्रायाजसे गूजा करते थे। पून समय वे सर्वदा ही जहाज ले कर युद्ध किया करते थे शिम्पपीके पूर्व पुरुप ईगान मिली एक 'दक्ष और और कभी कभी दूर देशको जाया करते थे। किन्तु उम प्रमित कारोगर ये प्रमिह ऐतिहासिक हर मामका माय पुतं गीज जलदसानोंका एक दल उनका महायक कहना है, "इम जसराज के कारखाने के १७०५६. तक था। इसके बाद भी, जय प्राराकानके राजा और पु. अपना माहात्मा प्रतुण रखा था।" इसके फुछ पहले गीज जलदसा बङ्गालमें बहुत अत्याचार करने लगे थे, एक हिन्द सौदागरका "बकने एड" नामका जहाज हम उस समय बङ्गाली नाविकको सहायतामे ही शायस्ताखाने देशक नाविक हारा परिचालित हो कर स्कटने गड़के उनका दमन किया था। "टुइड" तक मफर कर आया था। पंजो राज्य के समुद्रमेषा, जहाज निर्माण और ममुद्र तरपर बाणिज्य पाकालमें, जब रम देगके महाजने उत्तमागा पम्तरोप के लिए बङ्गालका चट्टग्राम पावहमान कालो प्रति टन करते हुए मनमे पहले गड मगरके वन्दरम है। अब भी हम देशके उपकल विभागों वहतमे ऐसे पहुंच कर संगड़ डाला था, सब रंगस पढ़ के विस्मित मनुष्य है, जो अन्नपथमे पृथिवीक भ्रमण कर पृथ्वोक} नरनारीके कदमे जो निरागा और इांकी पावाज समस्त बड़े बड़े बन्दरोका सुपर्ण कर पाये है। भारत निकली थी, हमका उल्लेख इट इण्डिया कम्पनी रति- महाममुद्रके मालहीप, लाक्षादोप, पान्दामन, निकोबार । हाममें पाया जाता है। जावा, सुमाया, पिनाडा, सिहल, वर्मा पादि जाना तो १८१५१ क मा माममें भो नामले धनी थेट माधारणके लिए 'ससुराल जाना था। भारत महा- मौदागर पवन रहमन दुभाषी भारयका 'पमोना समुरके दीपपुनसे ले कर चोन, ब्रह्मदेश पीर हिमर तक डातुम" नामक एक नया देशीय पड़ा जहाज पामोग तो उनका वाणिज्य मम्पर्क अनिवार्य था। भारतवर्ष के छोड़ा गया था। म जहाजको देख कर गवन में गट में माय जनपयमे याणिज्य मम्बन्ध स्यायो करनेके लिए | मेरिन मरमेयरने स्वयं कहा था कि, "यह किमो समे १४.५ में चोन सम्बाट ने चौगरीमामक एक मचिष-' वितायती महाजको पपेशा निर्माण कोगने सोन नों