पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२१३

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. . नागनौल-नागौर २ जाग्रत प्रयस्थान सोना, निद्राशुन्य होना। ३ मजग तरह पाकरप इन्द्रिय कारा पहारिक' तुम। ... होना, मावधान होना : ४ गमह होना, मट चट कर : स्य मयिषों का अनुभव अरमोर उमपामाको भार होना। ५ प्रचलित होना, जनना । ६ मादभूत होना। रितस्थान कहते हैं। भावार्य यह कि. शिम ममय पामा ७ ममुयित होना, दोर गोरमे उठना । ८ उदित होना, पमो माया पाप हो मोहित हो कर गदा र रम, धमक पठना। स्पर्ग पोर गन्धका पनुभम 'फरतो है, उम ममय दर मागनीमत (प्तिी ) एक तरह का इथियार। जागरितस्यान कहलाती है। मागमार-राजपूताना और गुरुपदेगडे रहनेवाले भाटी : जागरिता (म.मि.) जार-सघटाए। सागरपोमा . की एक गाया। ये सोग वहां प्रधाम प्रधान राजपूत जिमे नींद न पाती हो।' पौर अन्यान्य लोगोंको यशावनी तथा चरिव लिलते जागरितास (म' पु. ) जागरितम प्रमाः तत्र वियः। र । माट देश। जागरितमध्य, जागरितम्यान, यह पामा जो भागति जागर (म.पु.) नाग्र जागरण गाय- मतः गुणः। स्थिति हो। १ जागरण, भाग, भागनेको क्रिमा। २ पाकरणको जागरिन् (म त्रि.) जागरी जागर प्रमाण नागर... ममस्त प्रतिपकागकत्तिा जिम पयस्या में पन्त:करंग- नि। जागरुक, जो जाग्रत पयस्या हो। भाग को ममम्त हत्तिया प्रमाणित होतो हैं। उस प्रयस्याफा | गोमाघे पिनि । २ भागरणगोत, आगगामा। नाम जागर है । ३ कपच। नागरिष्णु ( म'. पि.) नागर-उ गुच् । सागरगोन, जागरक ( म०वि० ) जाट गत गुणः। मिट्रारहितजागनियाला । जागरणायस्थ । जागरूक (म.मि.) जागति जाग करु । १ आगरा जागरण (म.. की. ) जायभाये यु ट । १ निद्राका कर्ता, जो जाग्रत पयस्याम हो । पर्याय--जागरिता पोर प्रभाव, नागना। पांय जागा, आगरा, जागर, जागरी ।२ कर्तव्य पालनादिके लिये पर्य के प्रति प. आप्रिया पौर नागर्सि। मत्त, जो कत्तं व्यशलम करने में उचित रूपमे रुपये पर्ष नागरनमूडो-मास प्रेमिडेमी पम्गत सागा करमाको। भिनेका एक पाभोम ग्राम । गर धागलामे २१ मील जागदप (९० वि०) जो मदन पो मत्य पोर पर हो उत्तरपूर्वमपस्थित है। यह एक प्राचीन देयमन्दिर जागति म. मो. ) जायभाये हिम। आगरप, नी. कान होगा। जागरित (को०) जायभाये । १ भागरण, नींदका जागर्यो ( म. सो. ) जाग गई। सागरण, HIRALA नसोना। २ सय पोर देताना सामे यह पम्या मागीत (फा. मो.) मेवा पुम्हारी मिमी शिम गुपारी इन्द्रियो रा मव प्रकार के व्ययभागे। भूमि, यह मांग जो किमी गप या गामा पाहिको . पोर कार्याका पनुमय हमार। पोरमे किमोनो उमको मेयाई उपमपम मिन। जागाम्यान (म.. यु०) जागरितं प्याममम्य विदामा | जागोर-मन्द्रान प्रदेश पर्गत पानपर सिमा प्रमि मामर (पामा एमो पामा ओसामग्ति मिति ऐतिहानिक नाम । मुमममाम पौने तो मेरो) मुन्डकोपनिषद भाण समका परम | दारोमिमतो थो मे भागोर ब.1 मोनुमार र मिया- मा माम भागोर दुपा 81 लिया हम्पगोमें सागनिम्याग, परि REET, एलोमाग गति पोट मयारी कर मार महापमा फोहोरमकाम मुनाममा यौर यमगर ये प्रथम पारस उपाधि मारने घ titune पर मार बरामा,सोपामा पानी उगधी पाने पारश: दोयो। दधिषप्रमोशी मानि सर पनीर पदाका मा पा र भको : न पागी एक RATA माया .