पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२२३

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१६८ जातकर्म-जातपुर पगम स्यादि विषय परिम्फट रीतिमै लिऐ । । पारिये। मानमे निहत हो कर ययाविधि पो. .. यो एक प्रकार अन्य। भातफ पांग ड माई य पोर पोहामायामा, यमधारा पोर मा . देवई पर एफ अमका थियण । घोडाँका कहना है मुग्याशा पनुहान करना पित हैं। सदन ' , कि, मम्प जातकास मन्या ५५०६ । उहदेयने मयं गिनाको यथारो फुमारी, गर्भवतो या समाधा- यायनाम रहने ममय पपने गिणों को मोषधर्म की गोन माघ्रपसारा पक्षी सरह Yमा alira ., गिया दैननिए ५५. पूर्व जन्मों में जो जो पनीक्षिक दाहिने सरायसी पालिका पोर पारा "FATRE कार्य किये थे, ट क ये रन ५५० जातकों में पायानो विनिमरि इसमा रम मन्या उमारपश . रुपम कह गए ये अन्य वुक मुपमे निकले कराना चाहिये।म अगामा स मे . मा ममाफ कर वाहन रनको परम पयिय मानते हैं। यायिधि मनोशारष कर वानी friqपाना हम समय पहनी शासक मितुम हो गये हैं। जो मौजूद पाहिये पोर "RIR RES, EAT (मIA दो १. उगम में फिलहार नियनिति फु आतक प्रपनित | तम दुध दो) म प्रकारको पाना हर मम्माये :- १-प्रगमा, पपुवक, पधिमा ठो, पायो, भद्रयाय, मिझम जाना चाहिये । पुरा समय पर मात्र माधण, मुहमोधि, पन्द्रमगं, दगरय, गनापान, एम.! पगोवई तो भो पुयका पिता आ कर मरते है। हमी, फाक, कपि, जानित, कामपपिपिड, कुम्भ, कुगा । __ "भशा सगुरमे पुन सदा ममेर । किवर. महावाभि महामपि. महिय. माविमन्न, मत्स्य, तमा दिर पुनः पुनरेव (Ent) गग. मयादेखीय, पनायसी, कन, गय . गरम, गग, गत- पुयज्ञ मुख देगनमे पहिले यिसाको पापिय कि, मार पत्र गियि, सभाम, सुपारग, सूतमोम, ग्याम, उमाद. बाधणों को ययाति दान देवे । जातकर्म गामि दम यनी, मानर. यात कपोत. पिंग, यिभर, पम, प्यापी पहले करना पड़ता है। या सपहरणीय, नतुप, विसुर पुफर इत्यादि। ____ "मानामिनार पुमो जाम दि ." (पम् ) ये भय अन्य महत पोर पानि भाषामं रचित । ज्योतिष गामा यिस्ति निवि मघा न होने पर भी पाहतो की मिली भाषामें टीका भी। पतों का । जातकर्म करना पड़ा है। पाशमम मोमो मता. पमुगान किये जाता प्राय: २०३० वर्ष पहले में रमे । । दोके निशाखोत म सम्सारका प्रायः मोप रोगा ए ग कर एफ पालायिकाएं एमी. जिनकी र देगी। गेसी पातमा या ईमपकी पाण्यायिकापों में मिलती । पीर पातमी दमी को हिन्दूपौराणिक गप्पों को जानकात (म.पु.) मनोकाजीक विमा कर चोहोके मतानुमार मिगी गई। जातकाम (म.वि.) RTR कामः याय, बयो । प्राम काममा. nिmalरा प (पु.) गियमया । ४ भित मिपारी । का हार मारली पत। जाको ( म. लि.) जात कोर: याय, पो पाराम ( की. ) जातमा जाने मनि पापमं । जातोध, जो क्रोधित गा दो। गप्रसार मामी गर्व महारममानसी जानnि (WE AREET Ekt mar भमयमा पर मालममा नाताग (म. पु. रोगको प्रको गर्मशेर For अपयश.fmt- माता पर पादिकार हो। पूरे मोहमतिापमानाannा (E-देणे। पारि विमारी माग जायnteron.) प्रतिnिt .rrmir ur minent ERRATa (fa) MIR It i t . मकाना-CETRY ARE ARRरमा ।