पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

AGaya नाति २१३ - अधिवासोगण उत्पन्न हुए और दूमो भागसे टिउटन . इनमें तमता नहीं। ये सविकार्य में खूब पटा पर नोति जातिको उत्पत्ति हुई । आधुनिक जर्मनी अंग्रेज आदि । ज्ञानमे शन्च होत है । इस जातिको भाषाका प्रमुगोलन नातियां टिउटन शाखासे उत्पन्न हुई हैं और एक दलन | करनेमे माना जा सकता है कि, यह जाति मो करमीय लाटिन नामसे प्रतिहि पा कर यरोपमें उपनिवेश स्थापन | जातिको तरह दो शाखाग्राम घिमा है । एक गावामे किया। इस लाटिन जातिमे हो इटलियोंको उत्पत्ति है। चौनीको उत्पत्ति हुई है। चोनों की भाषा विशेषता चौथी भाखा स्वाभीतीय नामसे प्रसिह हो कर य रोपवे | यह है कि, इनके सभी शब्द एफयर्णिक है। पूर्व प्रान्तमें रहने लगी है। यह शाखा भो दो भागों में चित्रोपोय प्रयात् काफ्रिजाति-अफ्रिका मय व विभता है-एक भागमे पोल, बोहोमीय प्रादिकी और हो इस जातिका वाम है। सिर्फ भूमध्यमागरके उपफूम्न दूसरीसे रूस और सरभियों की उत्पत्ति हुई। कपर काही प्रदेश में इस जातिके लोग कुछ कम दिखाई देते हैं। हुई समस्त जातियों की उत्पत्ति एक करंसीय जातिसे अफ्रिका महादेशके छत पञ्चलम ककेसीय जातिका याम इसकसीय लोगों का साधारण वर्ग भूरा, केश काले, देखने में आता है। काफि जातिके लोगों के पूर्ण पोर मस्तक पोर मुखको आकृति यहो। चक्ष, दोनों ही काले हैं। इनके बाल काले, मस्तकका मुख अगष्टे के ममान, ललाट प्रशस्त पाल देश चपटा और सामना बढ़ा हुघा, ललाट पम- भार नातिका पोती गस्त और क्रमशः नोचा, कपोल स्फोत और निःसारित, धनका नैतिक ज्ञान और बुद्धि | नामिका स्य ल और चपटो, चत. कुटिल और पोष्ठ शक्ति प्रति प्रखर है। पन्यान्य अत्यन्त मोटे होते ही ' जाति लोगों को अपेक्षा ये खुव | RATE पहले अफ्रिका इथियोत्रीय नाममे ककेसीय जाति। उनत हैं। | प्रसिह था, इमलिए उम स्थानके लोग मोङ्गलोयगण भो पहले ककेसोय जाति में पाम पान थिमोपोय कहाते थे। यह मानिमियो ताई पर्वत पर रहते थे। इन जानिके लोग भा प्रतिnak नामसे भी प्रसिद्ध है। दाम-व्यवसायी भ्रमणागील है। सातार, मोगलोया, एगियाका कृपया STनिग्रो लोगों को भारति चौर वर्ष इत्यादि देशों के अधियामोगण मोगलोय जातिसे उत्पन्न पादिका जैसा वर्णन किया गया , है। तो लोग भी इस जातिकी एक शाखामे उत्पन्न काकि नाति। मे नियो गिना-प्रदेशके मिया पोर हुए हैं। चीन, जापान पार उत्ता महामागरके उपकल किसो जगह नहीं पाये जाने। पफ्रिकाकै दक्षिणा पधिवामोगण भी मोगलीय जाति अन्तर्गत साधा. मान्तके निवासी हटेन्टटों को पातति यहुत पंगों में रणतः मोगलीय लोगोंका गंग की जलपाइ (जगन्नी दोनों से मिलती-जुलती है। इनके 'मुखको पारुति जैतन) के समान और किसो किसी का रंग प्रायः पोला पायन्त कदर्य और शरीर अदृढ़ होता है । तर माना होता है। इनके बाल काले, सोधे चौर लद होते है तय रहनेवाले काफ्रिगण नये, वरिष्ठ पोर पिसवर्ण के दाली वधुत कम उपजती है। इनकी नाक मोटो, छोटो होते हैं। सिर्फ हटेन्टट पदेग मिया पमिका मयं व भोर चपटी होती। इनका मस्तक ही भाषाका मादृश्य पाया माता । काफ्रियों को बुद्धि पायताकार, पार्षदेग किषित | बहुत मोटो है. इसके धनाये हुए किमी प्रकार के पार चौरप्त और ललाट नोचा, पच नहीं इनका धर्मशान भी प्रयास मिकष्ट । म जाति पत् प्रसमान्तराल, कान धड़े पी ई लोग क्रममा उपतिमार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं। । पोष्ठ -मोटे होते हैं। यह जानिन पामरिक जातिीको पायामभूमि पहले पत्या . अन्यन्त गनुकरणप्रियहोमो पनि हित की। पर उनके पधिकांग म्यान फमोर जाति- प्रोटीय गाति । युधियान से कुछ नयोग कार्य करनेको के अधिकारम पा गये है। ये मोग अमेरिकार्ड मा. Val, VIII. 4 AVI