पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२५६

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नाप-जापान २२० जाप ( म पु ) जप घ वा जपे मन्त्रोचारणे कम्म जातेने जिमने धातु निर्मित पनादिका व्यवहार करना 'ए पदे अण । १ एक मन्त्रजपादि मन्त्रको विधिपूर्वक | सौखा था, कोरिपाके भीतरसे क्रममा जापान जय किया पाहत्ति । २ मन्त्रजपकर्ता, जप करनेवाला । ३ जापानके | था। मभवतः इन विजयियोंमें 'ऐनुम जातिका रहा और अधिवासी । जापान देखे। मलय जातिका वैशिटा विद्यमान है। १ मापक (सं० वि०) अपति जप-गवु ल । अपकर्ता, जपने जापानमें १८२०९०१ प्रकपरको मवमे पहने वाला। (त्रि०) २ जपजन्य, जप मानन्धी। मदमशमारी हुई थो, जिममें नोचे लिखे अनुमार मरवा जापन (मं० लो०) अपसा णिच् भावे स्य ट । निरमन, पाई गई थी- निराकरण, परिहार । २ नियतन । ३ । । स्थान गृहस्थी पुरुषबी जापयो- आसाम प्रान्तका सर्वोश पर्वत । यह भक्षा। जापान ११२२२०५३ २८.४२८८५ २०८११५५ २५°३६ उ० और देशा० ८४.४ पूमें कोहिमासे घोड़ी। (प्रकृत) दूर दक्षिणको अवस्थित है। इसको नचाई १८८० फुट है। फामा ६८०००० १८८४१४१ १७६०२५७ जापान पसिया महादोषका एक विस्तीर्ण राज्य वा काराफूतो २२.८७५२२४१४३५२४ राष्ट्रहि। एशिया महादेशने मानो प्रशान्त महासागर- कोरिया ३२८०२८५ ८८२३०६० २६११४५ को और दोनों हाथ पमार दिये है-एकका नाम है मसे माल म होता है कि प्रथिवीमें जनमख्याने कामसकटका जो उत्तरको तरफ है और द मरेका नाम | विषय जापानने (ठा स्याम अधिकार किया है। नायाग है मलका जो दक्षिणको घोर है । इन दोनों के बीचमें | मे क्रमश: चीन, भारत, कमिया, युवराष्ट्र पोर जमै नाम जितने मोदीप है उन सबको मिला कर जापान मामाज्य अधिक जनमख्या है। जापाम १००.४ पुरुप पोई संगठित हुया है। यह प्रक्षा० ५० ५६ २० और देशा० | १०. स्त्रियां है। १५६३२ पू में प्रवस्थित है। जापानका उत्तरांग ममसल तो है, परन्तु ममुद्रक "जापान" भन्द चोन देशके एक प्रजत शरदका पामको जमीन पथरीली हो गई है। यद्यपि जापानम अपभ्रंश रुप है। इसका असली रूप "निफन है, बड़े बड़े पर्यंत नजर नहीं पाते, तयापि छोटे मोटे पक्षाद जिसका अर्थ है उदीयमान सूर्य का दे। यह शब्द | यहाँ यहुत है। खूब छोटे छोटे पहाड़ों के प्राय: उपरिभाग एसियाकै पूर्वस्य ममुद्रतोरवतों स्थानों का नामस्वरूप तक खेती की जाती है और जहां खेती नहीं होती, यह व्यक्त होता है। जमीन पनुयर ममझ कर छोड़ दी जाती है। नोमिया जापानो लोग जापानके आदिम पधिवासी नहीं है; उपसागरमे घोड़ी दूर फुदमी जग्मा नामक एक जचा धेस जगह कांगयुग अन्तमें धा लोह-युगके प्रारम्भम | | पर्वतयः । निफनीपर्क उसर पंग पहादीकी गड़ी पाये थे। गन्दतत्वविदोको म मासके प्रकट प्रमाण बंध गई है। जापानम पद्दतमे पाग्न यगिरि है। वसीम मिल चुके हैं, कि जापानमें सबसे पहले 'एनम्' नामक प्राग भी मिकना करती है। जातिका वाम था । किसी किसोका अनुमान है कि वे ____ जापानकै भूभाग पर दृष्टि डान में मातृम रोता है महोलोय जाति धेकिन्तु यूरोपीय विद्वान उन्हें । कि वहां कोई बड़ी नदी नहीं है। परन्तु कुछ भापाना फर्कगी। जातिके वक्षनात है। वर्तमानमे ऐनुम मालिक नदियां इतने वेगमे बहती है कि उन पर पुम नहीं बन १७... मनुपा एजाहीपमें वाम कर रहे हैं। ये सापा- मक। अंदोगोया नदी मवमे बड़ी है। यह निमन गियों को पपेसामान है। दीप मध्य पोयेतिज झोनमे निकली .. धिमकी जापानियों के जानिमत्व और उत्पत्ति के विषय | नभ्याई ८० मीस है। उममे मम जगह नाव सम मचती ययेर मतमोद पाया जाता है। यह नियत है कि पाजिनगामा, इमी घोर पापफागाभा, ये नदिया कोरिय पोर मधरिया जातिके माध मंनि किसो | भी छोटी नहीं ।