पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२६२

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नापान ३२८ क वर्ष किसी जमीनमें खेती नहीं करेगा, उम जमीन जायगे। इसके अलावा मापानमें पोर एक प्रकारका उसका कुछ भी स्वत्व नहीं रहेगा।" सांप है जिसे 'जामाका गाटो' या 'दीना' कहते हैं। जापानकै घोड़े मध्यमाकारकै इति है, किन्तु वे बहुतसे नापानी इस मापको दिखा कर चपनी नोयिका तान्त वलिष्ठ होते हैं। इनकी संख्या बहुत कम है। निर्वाह करते हैं। जापान के लोग प्रायः आरोहण करनेके लिये ही घोड़े। ___ जापानमें तरह तरहको मकलियां पाई जाती हैं। पालते हैं। गाड़ी खींचने वा दलदल भूमिमें खेती मापानी लोग मछली खा कर ही जीवन धारण करते है ! करने के लिये भैसे और बैल आदिमे काम लेते हैं। यहां 'इराकिट' नामक एक प्रकारको महनी बन जापानी उनका दूध या मांम नहीं खाते। जापानमें हम, विषाक्षा होती है। मायधानीमे पिना धोये उम मछलीको मुरगा, चकत्रा तथा डाक नामका एक प्रकारका पक्षी । खानमे मृत्यु हो जाती है। यह महतो प्रामन्या पाया जाता है। खरहा, हरिन, भानु, सूअर अादि । करने के लिए सहन उपाय है। इस मछलीको पा कर जङ्गली जन्तु भी यहां अधिक पाये जाते हैं। पहले बहुतसे जापानी मर भी चुके हैं, तोमो घेरमका पाना जापान में कुत्ते का प्रतान्त आदर होता था। सम्राट्के | नहीं छोड़ते। इस मछलोका मूल्य भो अधिक! आदेशानुसार प्रतो क रास्ते पर बहुतमे कुत्ते रकले जाते । जापान-सागरमें और एक तरहको प्रापजनक महन्दी थे और हर एक व्यक्तिको कुत्तोंके खाने के लिए आहार | देखी जाती है, जो टेनमें दा के भट्टकोनाई रखना पड़ता था। कहा जाता है कि एक जापानी मरे है। इसका मस्तक बड़ा होता है, छातो पीर मुंह पर हुए कुत्ते को पहाड़के ऊपर गाड़ने के लिये ले जा रहा किमी तरका छिलका नहीं होता, पेट बड़ा होता है, या, किन्तु बहुत थक जाने के कारण वह सम्राट्को जिममें बहुतमा पानी ममाता है । म महनों के पैर होते अभियाप देने लगा। उमके माधौने कहा-“भाई ! चुप हैं और बानकको तरह उममें अंगुम्मियां होती हैं। एम रहो, मम्राट्को निन्दा मत करो, वरन इंग्खरको धन्यवाद तरहको 'मछली जेडो उपमागरमें हो अधिक पार दो कि ममाट्ने भख-चिह्नित समयमें जन्म नहीं लिया, जाती हैं। 'ने' नामको एक तोरी जातिकी मानी नहीं तो हम लोगोंको और भी ज्यादा बोझा लादना भो यहाँ मिलती है जो देग्मने सफेद माल म पड़ती पड़ा।" पहले जापानो वर्षको कारह चिह्नमें चिह्नित है। पहले जापानो इम मश्नोको अत्यन्त राम ममझने करते थे तथा उनके जिम चिह्नित अङ्कम मनुष्पका जन्म ! थे। 'वक' तथा 'मुकि' नामक कपको भी वे गुम होता था, वह उमौके अनुसार गिना जाता था। समझते थे । लापान के अधिकाग नो पपने पाहारो सापानमें दोमक बहुत होतो ई, निमम वहाक लिये मछली पकड़ने और वैवर्त हैं। अधिवासियों को बहुत नुकमान उठाना पड़ता है। जापानके ममुद्रम मोतो पाया जाता है। जापानी इनमे छुटकारा पानिके लिये किमी चोजके नोचे मोर इस उमे कैना-ताम्मा कहते हैं। पहले वे मोतोका व्यवहार चारी पोर नमक छिड़क दिया जाता है । जापानी दोम. तया मुन्न नहीं मानते , पीछे उन्होंने यह चीनमि / कशो 'दोतम' कहते हैं । जापानमें मपं बहुत कम पाये। मौडा । मोती निशानने के लिये उन्हें किमीको रामकर, भात है। कहीं कहीं 'तिताकान्य' तया 'फिनाकरों.नहीं देना पड़ता । प्रत्येक जापानोको मोनो निकाल नामक मर्प देने जाते हैं। हम बातिक सप अत्यन्त का अधिकार है। बड़े बड़े मोतीको नापानोपा भयानक होते है और इनके काटनमे मनुष्य मर हो 'पाकीजा' कहते हैं। पहने नाणनो लोग कहा था कि • जाता । यदिशके ममय काटनेसे वह मनुष मुर्यास्तके इस मोतोम एक विशेष गुण यह है कि एक नापानो पदनेहो मर जाता है। नापान मैनिक इम सर्पका) चिकमे पालिश किये हुए बक्रममें इमें रखने पर उसके न। उनमोगांश विडाम या कि इसका दोनों वान दो झेटे छोटे मोती हो जाते थे। यह . .Vol. TUL.bs .. दस साहसी और कष्टसहिष्णु हो. पालिय'तकारा, नामक सीपमे धनती है। मामुद्रिक . माम शनि दस सादमी और कटसहि हा