पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२६४

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नापान २३१ माता अपनी एकमात्र सन्तानको मृत्यु शय्यामै उठ कर , में ये सुममे सूक्ष्म तथ्यको मानने के लिए भरपूर कोगिरा पतिय विशेषतः विदेगीय अतिथिको प्रपित्तमे करते है और उममें सफलता पाते हैं। इन गुणों के रहने पभार्थना करतो है। इस प्रकार प्राभासरिक भावका . पर भी माधारण नोगों को यह गिकायत रहती है कि दमन करना उनके जोवनका दैनिक कार्य है। युवक । जापानी माय पर विशेष ध्यान नहीं देते । पौर युवतियोका नब मम्मिलन होता है, तर वे किमी नारानका प्राचीन इतिहास-नापामने इतिहास सम्बन्धी प्रकारका भाव प्रगट नहीं करते। इसमें नोग ममझ। दो प्राचीन नापानी प्रत्य पाये जाते हैं। एकका नाम लेते हैं कि जापानमें प्रेम नहीं है। परन्तु यह बात, "कोनिको" वा प्राचीन कालको घटनावमी और दूसरे सत्य नहीं है, क्योंकि हतार-प्रणयो पौर प्रणयिनियोंकि । का "निहोन गोका" या नापानका लिवा या इति प्रात्मघातको सख्श मन देशमि जापानमें हो अधिक हाम । पर्म ग्रन्यो मिर्फ राजारौको संगायनो दो । जापान के पुरुष ययपि जो पर. सर्वदा घिमास नहीं। मई-समयक विषयमें कुछ नहीं लिया। दूसरा ग्रन्य करते, तथापि वहाँको स्त्रियां सतीखभावा होती है। चीन देश के इतिहासको माति लिखा गया है। यदि विचार कर देखा जाय तो जापानको सड़कियां दोनों अन्यों की सहायतामे हम जापानका इतिहाम जाम पन्य टेगों को लड़कियोंसे बहुत कुछ जास्त होती हैं। सकरी है । घ८१६ ई.में पोर दमरा ०२. स्वार्थत्यागमे जापानको लड़कियों पतुननोन हैं; वे में एक ही प्रत्यकार हारा निमा गया है। प्राचीनतम लगाशी होने पर भोया नसाका पाडम्बर नहों। समय के हत्ताको विषयमें इन यन्धोषी ठक्ति निर्भर करतो, बुद्धिमती होने पर भी महंभावको उदयौ । योग्य नहीं है। कीकि समाट की पाजामे लिखे माने स्थान नहीं देती। ये जोवन में पपने माता, पिता, के कारण इनमें गजयगको बहुत मी मिप्या प्रगमा मो खामो और मन्तान के प्रति समान भावमे कर्तव्य मम्मा की गई है। दन करती। जापानके प्रयादा नुमार आगिनी-मिकीतो' पौर ___ जापानी चरित्र में पांच विभतार पायो जातो जमको तो जानिमि-नो-मकीतो ने जापानके दीपपुष्ट है। प्रथमत: ये मितव्ययो कोसे है। सरणातीत काला की सृष्टि की है। सूर्य मोकको पधिष्ठावो देवो 'सेनगो मे ही बहुतमे लोग विलासिता किसे कहते है नहों देजिन' के पञ्चम अधम्तन पुरुष 'जिम्मू-सेवो'को हो जापान जानते। इस कारण वे थोड़े में ही मन्तुष्ट हो कर जीयन मामाश्यका प्रतिष्ठाता कहा गया है। बय देययन पितासे दूसरा गुग-फटसहियाता है। जापानियो । मभन घे, सोलिए प्रास तक उनके घर जापान ने सदमे पहले रिक्सागाड़ी' (जिसे पादमी बींचते ) के ममाट देवसानों की भांति पूज्य माने जाते हैं। क्षा प्राविकार किया था। ये भागारमें पांच फुट मे काम जापानमें यरोपोय ममाताका प्रथेग होने पर भी, पक्षा होने पर भी पमाधारण परियम कर सकते हैं । रिवना का प्रत्येक व्यक्ति देवताको नर ममार को मधि-यहा पीनेवाले धण्ट ८ मील पन्त सकते हैं पोर म करता है। जिम्मतन्नो' जिम राजवंगको प्रतिष्ठा सर ८ घंटे तक पपना काम बना सकते हैं । जापान | को यो, यह लगातार टाई जार मर्प राजत्व करता लोग गीत गीर ग्रीम प्रभावकी, समान के माप पाया जगत्के इतिहाभम भरमुच हा या प्रनोमी किमी प्रकार के मापद या मयदायक वनको हिना पात है। महायता लिए, मर मिते है। इनके परिषका तोमरा। समाट जिम्म रोन्नो 'का मि' पर हिटगा' प्रदेश- गुण ६-मामानुपसिना । उयपदस्थ व्यक्ति जैसा कद देने में रहते थे। कहा जाता है कि ये सामे ६० वर्ष शय समीके पनुमार पलते है। चीया गुप यह कि पहले मिझामन पर बैठे। गायों की जीत कर योपपने परिवार के लिए निजी साको सिलालि दे देते। हनी ने 'उनेवो' पन मोचे एक समात् प्रामाद एम. समें पाया वैवि है कि मायेक पदार्थ के विषय माया था।