पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नापान २३५ 'की' प्रदेगमें नारगो, 'मातम्मा' और 'हिदानी प्रदेश । इन्हें भेना ले कर उनके पास पहुंचना पड़ता था। मामन्त- तम्बाकूकी खेती इन्हीं में चलाई थी। ममुद्र के पानी मे | गण खुब धनवान होते थे पोर मत्व को पृथक् प्रथा इन्हान नमक भी बहुत बनवाया था। 'फे' प्रदेश में ट्रामा दुर्ग थे । सामन्त पौर उनके प्रधान कर्मचारियोंको मस्या क्षेत्र स्थापन कर वे उत्कट शराब बनानको व्यवस्था कर प्रायः २० लाख थी। ये ही सभामा-भद्र समझे जाने गये हैं। इम हे अतिरिक्त इन्होंने भालू देख भादिको धे और सुखमे जिन्दगी बिताते थे। इनमे नीचकी थी. वेतीका भी उचित प्रबन्ध किया था। में रुपक, शिपजीवी पोर धणिक थे, जिमको मस्या 'जोगीमुनि' स्वयं एक विद्वान् व्यक्ति थे। ज्योतिपर्म | करीब ३ करोड़ थी। इन नौवनका कार्य उस भद्र- ये असाधारण पाण्डिता रखते थे। इन्होंने न्योतिपमम्बन्धी येगी के लिए विलास-उपकरणों के संग्रह करनेके मिषा कुछ यचोंका भी आविष्कार किया था। इन्हान 'मूरो और कुछ भी न था। फरासीमी विनवमे पासे फ्राम, क्य सा' नामक चीनदेगीय एक सुप्रमिद विहान्को जापान भारतवर्ष वा मिसरमै निग्रये पोक सोग जिम सरह उ. बुनाया था एवं यूरोपीय विद्या अर्जन करनेकी चेटा को थेगो द्वारा पददलित होते थे, उमी तरह ये भी किमी पो। एक कर्मचारीको इन्होंने प्रोन्नन्दाजी भाषा मोखने | प्रकारमे अपनी गुजर करते थे। जापानमें कानूनन के लिए प्रादग दिया था और जापानमें जो यूरोपोय | दाम-प्रथा प्रचलित न रहने पर भी. वहाँक नियोगीके प्रन्यों के प्रवेग न होने देनेका नियम था, उनि उठा दिया। लाग ७० वर्ष पहले भी नियोजातिकी तरह जीवन. ___परन्तु हम ममयको थामन-प्रणाली इतनी कड़ी थी। यापन करते थे। वे किस कामको कर पपनी जीविका के उमने प्रजाको खतन्त्रता बिलकुल छीन ही ली थी। चलावें, कैमी पापाक पहनें, किस टकम घरमें रहें, इन 'मागुन' उपाधिधारी ही शासनदण्डके यथार्थ परिचानक | ममको व्यवस्था वे स्वयं न कर पाते थे। उनके मानिक घे-वे सबाट की प्रधानता नाममात्र की स्वीकार करते / जो कुछ कह देते थे, उसीके पनुमार उन्हें कार्य करना में। माम्राज्यको रतीयांग सम्मत्ति उनकै हायमें थी | पड़ता था। यहां तक कि वे अपने मालिकों के डरमे पोर उमसे जो कुछ आमदनी होती थी, उमे घे अपने | नारमे वाल भी न पाये थे-मालिक के बुरो सरह मारने काममें खर्च करते थे। अगिष्ट सम्पत्तिका उपस्वत्व | या पीटने पर भी ये उप वाप उमे मद मेने थे। प्रन्यान्य २६० सामन्तीम विभ होता था। इन सामन्तीम भी सभी प्रमुवत जातियान अपये पीक लोगोरे विसर सबको क्षमता समान न थी-जिसके पास जितनी प्रस्मधारण किया है, किन्तु मापानमें ऐमा कभी भी सम्पत्ति थी, उमका उतना ही प्रभाव था। किन्तु एक | नहीं दुपा। विषयमें सरका अधिकार ममान या। पपने पपने प्रदेश मम्राट, 'कियोतो' म ममय मगरके एक फोनम में मनी स्वाधीन.2-कानन बनाना वा तीढ़ना उनके | काठपुतलिकाको भनि रहते थे पौर देवत्व पनि बायें हाथका खेल था। इस कार्य में कोई भी हस्तदेपन] मान हो मन्तुरसित्तमे कास यापन करते थे। 'मोगुम' करता था। मामन्तगण वंशानुक्रमिक मेना रखते थे। हो एयाय पर्ताकर्ता वा मनि-परिचानक पे, मनिए यह मेना अपने स्वामी मिवा मोर किमीकी भी पात्रा। यरोपीय लोग उन्हें हो मम्बाद करते थे। वे मनोविज्ञान 'न मानती थी-मम्राट्फी भी नहीं। यह मेना इतनी पौर बुद्धिमान थे, भिन्तु इस विषय ममोको माया। कदर थी कि पपने स्वामी के लिए प्राण तक देनेके निए। 'मोगुन' राजपथमे महाममारोह माय बाहर निशा सेयार रहती थी। हर एक मामन्त 'मोगुन'की पधीनता! मी घे, सब मार्गमे कोई भी पपिय यशन ररने पालो भ्वीकार करते । जमींदारी पति वह 'मागुन' दागही यो, मकानों के झरोखे सर बन्द कर दिमाता- मुकुट प्राप्त होता था। दत्तकपुत्र ग्रहण करने लिए कि उनमे रहनेमे ऊपरमे उन पर पवनाकी हरि भी रहें 'मोगुम' में अनुमति लेनी पड़ती थी। 'मोगुन', पड़नेही मभावना रमतो यो। निशमनेमे दो दिन अब कभी इनमे भेना द्वारा महायता पाहत थे, तभी। परने म रास में कोई पागम बना पाता था, बलि,