पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२७३

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जापान महामति 'तो'ने मम्मान्त-पद पा कर माम्राज्य के प्रथम ] गिरिको बजानिकगण निर्वामिाग्नि ममझते थे, उनके प्रधान मन्त्री एवममापतिका पद ग्रहण किया था। | छिद्रोंमे प्राया याप निकला करतो है। उसो 'फन्नी १८६० में माधारण महामभा पाहत हुई, जिममें। यामा पर्वतके पास १८२३१ में भोष भूमिकाम हो । दो विभाग धे, एकमे ३०० सामना व्यक्ति प्रतिनिधि थे, गया है। जिन कम यंगानुक्रमिक मामत थे, कुछ माधारणहारा मेम्बरको ममाचार मिला कि भूमिकप के बाद . निवनिरा पीर का मम्राट द्वारा मनोनीत हुए थे। इयोकोहामा' गारमें पाग लग जानेमे नट हो गया। दुमरे विभागमें पहने ३००, फिर २७५ मभ्य निर्वाचित | और टोकियो' गहरका राजपय मुरमि मर गया है। एए । प्रथम विभागको रंग गड़के House of lord-के | २ नागरके सयादमे माल म दुपा कि योकोहामा' भमान क्षमता प्राम यो घोर कार्य करनेका अधिकार पौर 'टो कंपो में प्रायः२ ला पादमी मर गये, पाग भी उमी के बराबर था। ट्रमरो ममामें गवर्नमेगटको लग मानसे बादखाना उड़ गया पोर रेल को बड़ो समताको और भी माधारणके हाय, लानके लिए धोर सुरत टूट जानेमे द मौ पादमियों की जान गई । भूमि तर पान्दोलन चलन नगा । परिणाम स्वरूप साधारगाने कम्पके समय प्राकाश मेघाच्छय था पोर पाधी भो पूष महत प्रमो नमता प्राम को और मन्चियों को अपने | चल रही थी। भूकम्पके शुरू होते ही लोग इरके मारे हाय ले पाये। किन्तु इंगन एडकी तरह ये इच्छानु- 1 भागने लगे , बहुतमे लोग उम मोहमें पिम फर मारे मार मम्मियोंको पृथक करने में ममर्थ न हुए । प्रत्य त गये और शहर जन्न कर भस्म हो गया। इसके बाद के . अर्मन सामान्यकी तरह मन्त्रियों को सम्राट के अधीन , समाचारमे ज्ञात हुआ कि इम टुर्घटनामे ५ मामे भो रस्नेको प्रया प्रयतित हुई । जापानके मम्राट ने पाईन ज्यादा पादमी मारे गये हैं। सम्बन्धी मरम्त व्यवस्था करनेको क्षमता अपने हो हाम पृथियोके इतिहाम, भूकम्पमे ऐसी मागे पनि रकवी। होने का विवरण कहीं भी नहीं मिलता। पपे' भो बोमवीं शताब्दीम, जापान में बहुतमे राजनीतिक | भूकम्प र धारण ध्वम दुपा था, किन्तु मिर्फ एकही दलायी मुष्टि हो गई, जिममें 'मयुक' नामक दलाही नगर पर शेती यो। जापानसे भूकम्पने एमतिराट, प्रधान है । १८१२ ई में मम्राट, 'मुत्ता हितो' ४५ वर्ष । माम्राज्यको हो बमोन्गुष इना डाम्ना है। जापामा सक गौरय के साथ राज्य करने के बाद परलोक मिधा। जिन प्रदेशों में जनमण्या पधिक यो और जो प्यापार ये हो जापानकी उनतिक प्रतिष्ठाता थे । १८१०० | बड़े केन्द्रस्थान थे, उन्हीं प्रदेशों का पधिक मर्यनाग आपान के प्रधान मन्त्रीने लायठ जाडको तरह 'तेरायूनि' हुपा है । 'इयोकोहामा के सन्दरमें पोसायय वितुम के ममम्त दतों का पारस्परिक मनोमालिन्य मिटा घर, हो गये है, जहाज नट हो गये ६ पोर टेलिग्राफ का युडके लिए मयमे महायता ली थी। टेनोफोनके तार प्रादि वम प्राय हो गये है। किन्तु २८१८१०के मार्च मासमें एक नवीन राजनैतिक ! 'टोकियो के सहत् बोह-मन्दिरने मम्पूर्ण मह जाने मस्कार दुपा, जिसमें ऐमा नियम बनाया गया कि जो पर भी अपना पस्तित्व ज्यों का त्यों रखा है। तीम 'स्यग' मात्र कर देते हैं, वे मी भोटके पधिकारो] नापानो परियमो, वीरपतति पोर याम पट, है, होंगे। रसगे १४,५०,०००की जगह २०....... यतिमलिए पागा को जाती है कि पम्य और गोप हो मोटरे पधिकारी हुए। १८२०० मरको भोट देगेका 'योकोहामा' बन्दर वाणिज्य के कम्लरममे पुनः मुलि . अधिकार होगा. ऐमा विम पेशापा, किन्तु यह नार होने लगेगा पोर टोकियों पुरपय पासिम मोध. जर हो गया। येपोशी गोमागे फिरमे मोगो को मुग्ध करेंगे। पर या शात पाने को कहो पा को शि, जापानमें तमाम जापानकी को हामि पर, उसको पूर्ण प्रायः भूमिझम्म पा करता है। जापान निम माग्नेय किसने दिनम होगो, यह मदीं कहा जा माता।