पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२८१

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जापान . म धर्म धाम गुप्त माम्ययाद है । इसमें किमो कागजमे हो काम घलान राकिलो वर पात्र में पानो प्रकारका नाति विचार नहीं तन्त्र मन भी नहीं रख कर दोनों पायों से मुंह धोत . पोर इस मेसे पायो ... है। यह न तो वर्ग पचानेको तमरी देता यौर को क्यों का त्यों पड़ा रहने दे । रमको समझाने न नरकर्म पटकनेका मय। इसमें मूर्ति पूजा नही है.! को रौति बाहुन हो भदो। परने भी पोर पुरुष दोनो पुरोहित का परयाचार नहीं है. यहाँ सक कि धार्मिक नगे हो कर एक होजमें नहाया कररी थे, हि. या यायियाद और उसमे मनोमालिन्य होने का भो डर नयाममाता प्रकार समका कुछ परिपतन से गा नहीं है। ऐमोगामे यह करना वाटुन्य न होगा कि -पो और पुरुष भित्र भिय रोगो में नहाने सी । इम देगो इतिहासमें धार्मिक याग वितगड़ा, कलप या किना एक माय २.२५ सो या पुरुषों का मानायस्पा ' युहादिका उमेख ही नहीं है। यह सभी धर्माको महाना अब भी नहीं जारी है। नहाते या भद पद , स्थान मिल मकता है। शिन्तो धर्मका पादर्ग महत् का वा यः कोटे का भेद नही रहता, मय पी . परमर्ग मन्द नहीं। जोधम नहाते पोर मुंभ पाटि धोश फात एकहो. ___ लापानके अधिकारियों ने विदेशियों को तभी दगिड़त | होजमें लगातार तो दो सो पादमी नहा जाते हैं, पामो किया है, जब उन्होंने धर्म प्रचारको प्रोटमै राजनैतिक भी छमका पामी मही बदला जाता। इगझे मामा चामा धम्त कर माम्राज्य पनिष्ट करनेकी घेठा को। कोई निर्दिष्ट समय नहीं है। 'फरो' गाम नाम: जापानी प्रतिक्षामके माता इस शतको अवश्य जानते हैं गार रातको १२ बजे तक खुले रहते हैं, उनमें मिमको कि माम्राज्यको विपदागलमे जापानको ततयार प्रयाय नप तवोयतो ना पाते। माधारणत: ये दिन भर . नमक उठो है, पर केयन धर्म विशाम के लिए उमने कभो | परिश्रम करने के बाद मोनम पाले गतकी नहाते। किमो पर पत्यापार नहीं किया है । कोई कोई पासात्य जापान के लोग मामको ७ बजे भोसर को माया विज्ञान मधात पर हम देते हैं, परन्तु यद उनकी/ भोजन कर मेले। वह मोई कमानी मिए पादा समय न मिलने मे मया दोपहरको काम मगे सनम म धर्म का प्रधान पर हे प्रकृतिको पूजा करना। मोशनको घरमा ठोक मो मो । मनिए मामको और माध्यति के लिए सम्मान दिखामा | लायाम मोपी उनका पमनो 'गोसो' वा पारमा | NIR. . मौन्दय प्रिय जातिको स्वदेश प्रति पौर देगाप्ति में दीक्षित को ये पार पाच तरहको सरकारियों पोर फरर. करनेके लिए इममे पत्कट धर्म दूसरा नहीं हो तेमन यनाते हैं। किन्तु दोपहरको माधारप भोगन मकता। मे से काम पता । जापाम पानात्यका मोह पप भी नहीं हो सका है। कोई भो परिधित या अपरिचित झापामा शव क्रिमो. यो कारण कि अब वह पापिय उसिके लिए जो घरमें प्रथेग करना पापता, मय यह पममाको तर जामकोगिग कर रहा है। पारमार्थिक विषयमें बाहरमे दिमाता का दरया धश नहीं मगाता: झापामफा मिनकुल को मही है। झापान शिषित | परिक "माफ कोजिये - RE कर लोगे दरवाजा यति मममय धर्म मे मम्प पं उदामीग है। मटकाता है। पटक मारने के माधही घरको माशिम . ___पारी पाशि-प्रथा-पुरुषों को सरापानको | द्वारपा नासो पोर "पारिय" का पाग ferयां भी परपस परियमगीम पोर कर्तव्यपरायण म्वतिको परम दुमातो। भागमो बार बार तो घोटे छोटे पोको पोउमे बांध कर पामागो! "धन्याद" देता मा घरमै यारानामग. में मर काम किया करतो। बाद मेनटेनमें करिव २.१ मिनट समय पराक्षामा जापानी परगे जिसने माफ सुथरे राने, भोसरमे शिर घर भाकर या एक प्यासा वाय. पोर छ मोमोए मिए ये पानो काम मा कर विमार' पाता। .. .... . - -