पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२९१

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२५५ वायना-जामखेड़ पूजा और विवाह आदिके समय एक बौड याजक और जाबाली (सं० पु०) वेदकी एक शाखा। एक ब्राह्मण पुरोहित, दोटी मिल कर कार्य समाम कात जाबिर (फा० वि०) १ अत्याचार करनेवाला, जबरद तो , । नेपालमें जाफ फुओं को छह सम्प्रदायों की तरह ] करनेवाला। २ प्रचण्ड, जबरदस्त। और भी प्रायः२४ सम्प्रदाय ऐसे हैं, वुदेव और हिन्दु जाम्ता (अ० पु. ) व्यवस्था, नियम कायदा, कानून । देवदेवीकी एकत्र उपासना करते हैं । धार्मिक विषयों में | जाम (हिं० पु.) १ जम्बू, जामुन । २ प्रहर, पहर, समान होने पर मो समाजमें ये लोग जाफ फुघों से ] एक जाम ON घड़ी या तीन घण्टे के बराबर होता है। : दोन ममझ जाते हैं। जाफफपो के उक्त छह मम्पदा ३ जहाजको दौड़। (लस०) ४ जहाजके दो चधनों यो में परस्पर विवाह और खान पान चलता है। बीचमें अटकाव, फंसाव। (न्तम) .. ... जाबजा (फा० कि.-वि०) जगह जगह, इधर उधर। जाम (फा० पु.) १ प्याला । २ प्यालेके पांकारका .. जावता (अ.पु०) कायदा, नियम, जब्ता। कटोरा। . .. . . जावप्रेस (पं० पु.) वह छोटी कल जिसमें कोई | जामकी-पञ्जाव प्रान्तके सियालकोट जिले की उला विज्ञापन आदि छापे जाते हैं। तहमोलका एक नगर। यह पक्षा० ३२ २३ उ० और जावर (हिं० पु० ) वह चावल जो घोएके महीन टुकड़ोंके | देशा० ७४ २५ पू० में अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः माथ पकाया जाता है। ४२२६ है। इसका असली नाम पिण्डीजाम है. क्योंकि जावाल (सं० पु.) जबान्तायाः प्रपत्व पुमान् इति अ। पिण्डी नामक खवी और चीभ नामक जाटने इसे वमाया १ मुनिविशेष, सत्यकाम, जवान्नाके पुत्र । जवानाने | था । १८६७ ईमें यहां म्य निमपालिटी स्थापित वहतमे पुरुषों के साथ सहवास किया था। इनके पुत्र | हुई थी। सत्य काम जब वेदको शिक्षा लेनेको गये, तब ऋषियोंने | जामखेड़-१ बम्बई मान्तके अहमदनगर जिलेका एक एनसे अपना परिचय देनेके लिए कहा। परन्तु इन्हें । तालका यह पक्षा. १६३३"एवं १८५२'३० पौर देगा, अपना गोत्र मालूम नहीं था। इससे माता के पास जा ७५ ११ तया ७५३५ पू०में अवस्थित है। इसका कर इन्होंने अपना गोत्र पूछा। माताने उत्तर दिया क्षेत्रफल ४६० वर्गमील और लोकसंख्या प्रायः ६४२५८ "मैंने बहुत साथ सहवास किया है, इसलिए मैं नहीं | है। इसमें एक नगर और ७५ गांव हैं। मालगुजारी जानती कि तुम किसके औरसमे पैदा हुए हो। तुम | करीब एक लाख और मेस ७०००, ० है। यहांजी गुरु के पास सत्यकाम जाबालके नामसे अपना परिचय | जलवायु स्वास्यकर है। देमा।" इसके अनुसार ये सत्यकाम जाबालके नामसे | इस उपविभाग ग्राम कहीं तो एक दूसरेसे सटे हुए प्रसिह हुए। (शतपथना०, ऐतबा और छान्दोग्य)| हैं और कहीं अलग अलग. कित उनके हैं और कहीं अलग अलग, किन्तु उनके चारो तरफ ये एक स्म तिकार घे। २ महागालको उपाधि । ३ एक निजामका अधिकार है। इसका अधिकांश स्थान उच्च वैद्यकग्रन्य। ४ प्रज्ञाजीव । (ममा २12.121) ५ एक मालभूमि है। नागौर और बालाघाटकी पर्वतयेदी उपनिषदका नाम। (मौक्तिकोपनि.) ६ एक दर्शन इसके बीच में फैली हुई है। यहांका मही कोमल और शास्त्रका नाम। (रामदतशार०) उपजाम है। निकटमें उच्च पर्वत होने से यहां वर्षा " जावालयन (सं० पु.) एक वैदिक आचार्य। खूब होती है। यहां धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार, मुंग, लावालि (सं० पु०) जबालायाः पपत्य पुमान इनि इच। मसूड़, मटर, तिल, सरमों भादिकी पैदावार अच्छी है। कश्यप वंशके एक मुनि। ये दयरयके गुरु घे। इन्होंने इसके सिवा यहां तम्बाकू और सन भी पैदा होता है। . . चित्रकूट में रामचन्द्रको राज्य ग्रहण करने के लिए अनेक जामखेड़से अहमदनगर (४६ मीम ) तक पत्री युतियां बतलाई थीं। ( रामा० ) ये प्यासकथित सड़क गई है। जिसका कुछ अंश पारेजी राज्यमें और पाइहमपुरायके योता थे। (ब्रहवे.) . कुछ निजाम-राज्यमें है। इस सड़क होनेसे वहांका