पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३०७

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जालन्धर :: २०२ इस प्रदेशके शामनफरिस्पा नियुक्त हुए। १८४८ ई.में! जानन्धरवासी ईखका रस निकाल ली है पोर जो भाग यह प्रदेश पहले लाहोरके हरिश रेमिडेगर के शासनाधीन | फेंक दिया जाता है उसमे वे रम्मी तैयार करते हैं।' किया गया, बाद ममन्त पार प्रदेश मनरेजों के हाथ जालन्धर. राहण, कारपुर और नूरमहल में एक प्रकार मा जाने पर इम प्रदेगका शासनकार्य साधारण नियमके का कपड़ा प्रस्तुत होता है । जालन्धरका घाटि नामक अनुमार हो चलता था। नालन्धर कमियरके वाम वस्त्र अत्यन्त सुन्दर और चमकीला होता है। यहांका .. स्थानके रूप परिणत हुपा और यह जालन्धर, होमियार सूमी नामक वस्त्र भी खराब नहीं होता है। यहां एक पुर पोर कागड़ा इन तीनों जिलोम विभत किया गया। मोमे अधिक करघे चलते है जिनमें तरह तरह के रंगमी जय यह प्रदेश लाहोर दरवारके अधोन था, तब गुलाम | कपड़े तैयार होते। यहां प्राय: पगड़ीके लिये सद्री मोहिउद्दीनने अधिक राजस्व वसूल करके अधिवा यावहत होती है। राहणमें एक प्रकारको घादर पोर सियों को जिम तरह तकलीफ दो यो, अगरेजो ने उस मोटा कपड़ा बनता जो जालन्धर कपड़ोम बहुत तरको नीति अवलम्बन न को। पहले फेजमा प्रमिह है। पुरिया मिशिलके अधीन अत्यन्त दयालु चौर न्यायवान् जालन्धरका बढ़ईका काम अत्यन्त मनोहर लगता सिग्नु गामनकर्ता रूपलाल जिस तरह कर वसूल करते है। काठके ऊपर अच्छे अच्छे चित्र खोदे रहते है। ध, अगरेज भी उमो तरह काम करते पा रहे हैं।। ये इतने सुन्दर बने रहते हैं कि हर एक २०, रमे जालन्धर प्रदेशमै १४ प्रधान शहर है-जालन्धर, | कममें नहीं बिकता है। यहां एक तरहको कुर्सी तयार कारपुर, अलमालपुर, पादमपुर, बङ्गा, नवशर होती है। उसके हत्यै गीगम और तूणकाठले बने रहते राहप, फिलोर, नूरमहल, महतपुर, नाकोदर, विलगा. हें। खानखाने के काठका काम विशेष प्रमिह है। नानदिवाला, हरका और कन्नन । साधारणतः इस जालन्धरमें चाँदीकी पत्ती पीर एक प्रकारका मोन. प्रदेगमे पञ्जाबी भाषा प्रचलित है । निम्न ग्रेगोके | का बदिया गोटा बनता है। यहाँका मृण्मय कार्य भी लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं। खराब नहीं है। तमाफू पीने के लिये एक प्रकारको प्रदेशको १२६६३२८३ एकड़ श्राबादी जमीममे | चिलम और मत्तवान तैयार होता जिसमा मूल्य भी २२५७२२ एकड़ जमीनमें पानी सींचना पड़ती है। पधिक होता है। पानी सोंचने के लिये जगह जगह कुएँ हैं। इम प्रदेश | आलन्धर जिलेमे ४८ मील रेलपथ गया है। फिीर, ईप यहुत उपजती है और इसीको वैध कर ग्टहस्य लोग! फगवारा, जान्नन्धरसेन्यनिवामके समीप पौर जासन्धर मालगुजारी देते हैं। यहां गाय, बैल, घोड़े, खच्चर, | शहरमें मिन्धु-पन्नाच पोर दिली रेलयेके हंगग हैं। गदहे, भेड़े और बकरे बहुत पाये जाते हैं। खेतो | होसियारपुरमे कागड़ा तक ८६ मीलकी एक पफी सड़क करने के लिये जो नौकर नियुक्त किये जाते उन्हें बेतम, चली गई है। रेलपय तया ग्राण्डदा पय पर सार स्वरूप कुछ फमल दी जाती है। बैठाया गया है। यसाय वाणिग्य-सुधियाना, फिरोजपुर और पास जालन्धर जिले में एक डेपुटीकमियर, एक या दो पामके स्थामि जालन्धरमें अनाज आदि भेजा जाता है, सहकारी तथा दो या उममे पधिक प्रतिरिता महकारी किन्तु कभी कभी जालन्धरसे भी घायल पादिकी रानी कमियर रही है। प्रतिरित कमियरी में एक युरोपियन भागरा पोर यन्नदेगमें होती है। यहांको ईनही प्रधान | रहनेका नियम है। इसके मिया राजस्व पौर सिकिमा पायदया है। यहाँ की चीनी पीर गुड़ बीकानेर, लाहोर, विभाग कर्मचारी भी यहां रहते हैं। पुलिसमें २१४ पन्नाव पौर मिन्युपदेगमें भेजा जाता है। पानसे स्थायी कर्मचारी रहते हैं। म्य निमीपन पुस्लिम १. माघ महीने तक यहां ईव पेरी जाती है। किसी किसी पौर मेनानियामकी पुलिममें ५६ कानाम गारम ५ से भी पभिक इस पेरने कोतह । प्रदेशमें प्राय: ११७८ प्राम्य चौकीदार रहते हैं। गर्मपर । .