पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२७४ बालमुव-जालिमसिंह लालभुज (सं• सि.) जिसको उंगलियांक - उपरका | यह पना. २०१० पौर देशा. १६ .पर . चमड़ा जान्न के समान हो। अवस्थित है। १८४८ ई में यह कावनो बनो यो जालमानि (सं० पु.) १ शस्त-व्यवसायिविशेष, शस्तोंसे | और पम वह घढ़ा कर ४.. फोजोरपनेलायन कर दो चपनी जोयिकानिर्वाह करनेवाला मनुष्य । २ विगत गई है। यह ममुद्रपृष्ठमे ०५२० फोट म'चे पर है। के प्रधियामी। जालकि देखो। जालाच (म० लो०) यान्तिकर प्रोपविशेप, एक प्रकार मालव (मं० पु. ' एक दैत्य । यह समयसका पुत्र था। की हितकर दया। धनदेयके हाथमे रमकी मृत्यु हुई थी। जालि-धान्यविशेप, जारी नामका धान। यह नदिया मालयत् (सं० वि०) १ तन्तुवत, सूत या तागाके ममान मिले वैशाख मासमें रोपा नाता पोर कार्तिक माममें , २ कयचमे टका हुआ। (को०) ३ कपट, छल। फाट निया जाता है। मालवर्वरक (सं० पु.) जान्ताकारो वर्षारक: । दृढ़ | नालिपा~मारिया देतो। म्य ल कण्टकयुक्त शाखाविशिष्ट यर्वर जातोय वृत, बबूल जालिक (स'• पु०) जालेन जोति । नारियो. को जातिका एक प्रकारका पेड़ जिसमें बहुत कोटाजीवति । पा १२ इति छन् । १ जालजीयो, धोयर, मोर छोटो छोटो डालियां होती हैं। इसके पर्याय-| मछुपा। जालिया देखो। . २ मर्फट, मकड़ो। कई छत्राक, स्य नकण्टक, सूक्ष्मगाव, तमुच्चाय पोर वध टक, यह जो जालसे मृगादि जन्तीको फंसाता हो।' फाट है। इसके गुण-तामय और कफनागक. | (वि.) ४ फूटलेखक, इन्द्रजालिक, गदारो, वामोगर। वित्तदाहकारक, कपाय चौर उरण है। मालिका.(म० स्तो०) जालं मालयदाशतिरम्ति अस्याः। जालवाम्त (म० पु०) मसाभेद, एक प्रकारको माती। जाल-ठन ततटाप । १ स्त्रियों के मुखावरक बमाविगेषा जास्तविन्दुजा (म' स्त्री.) यावमासी गरा। स्त्रियों के मुख्य दाकनेका एक प्रकारका कपड़ा । २ गिरि.. जालसंसक (सपु.) शुक्रगत नेत्ररोगविशेष, मोतिया. सार, लोहा । ३ जलौका, जो क । . ४ विधया नो। चिन्द। ५ प्रारक्षिणो, कवच, जिरहवकतर, संजोया। (चारमा जालमान (प्र. पु.) यह जो टूमरोको धोखा देनेके पक्षीका माल, चिड़ियोका फन्दा। ७ मकंट, मकड़ी। लिये किसी प्रकारको झूठी कारवाई करे। . ८कोपातको। जालमाजी ( फा० बी० ) फरेव या जाल करने का काम. | जामिनी ( म० स्त्री. ) जाम् चित्रकर्मषसममूरो विद्यते दगापाजी। मजाल इनिम्तसो डोप । १ चित्रगाना, वह स्थान जालहद (म'• वि०) अन्नापुरो इट: तस्ये ट वा, शियाजहां चित्र बनते हो। २ कोपातको, तरोई. घिया। दित्वादण । जनप्रचूर हद सम्बन्धीय। . .३ घोपातकी, सट जोग। ४ पटोनम्नमा, परयलको मना । माला ( पु.) १ माल देखो। २ नेवरोगविशेष, पाख. ५ प्रमेशरोगीका पीडकभेद, पिडिका रोगमा एक भेद, का एक रोग । इसमें पुतनीकं झपर एक मफेद मिनीमो जिममें रोगोके गरीरके मामन स्यानोमि दाइ गुप्ता पुरिमा पड़ जाती है और इमो कारण दिखाई कम पड़ा हो जाती है। प्रमेह देखो। ६ देवदालो । ७ दामहरिद्रा, है। जब मिनी अधिक मोटो हो जाती है तो हरि दाहालदी। .. . मर होने लगती.है। इसे माड़ा कहते हैं। ३ धास, | आलिनोफल (म.सी.) घोयाफन, सरोई, घिया। भूमा पादि पदार्ग बांधनका आम ! ४ चीमो परिस्कार मालिम (प०वि०) पत्या यारो शुल्म, करनेवाना! . करनका एक प्रकारका मरपत । ५ पानो रणनेका एक आमिममिर-माता जानिए राजपूत । न पिनाका महीका बना हुपा बरतन! . नाम मोमिट था। नई पूर्वपुरुष मौराष्ट्र देगई पतन जानात (म.पू.) जासमियाविपच् । गवाघ, झरोषा। माना प्रदेगलयह नाम म्याग रहते थे। इनके सासापहार-दार्जिलिंग सब डिवीजनका पक पहाद। पूर्मपुरुष कोटा पाय घे पोर यहां रामाने उन' मेगा.