पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३१६

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". जावा (यवहोप) हमको दो भेद हैं-एक गुभाव-मागुन भौर दूमरा काला | करता रहता है। एक मरहले माटे कद के कुत्त बानी आमुन। यह भी भारतवर्षमे पाया है। प्रमद भो पापों का शिकार करते ५। पास पापा यहां मम काको है। कोई के ही है कि पद पेन सो पधिकमामे पानो सानो भावाम पाने पहन वामियों द्वारा पेर में लाया गया था। यहां मरीफ की। मैंम हिन्दू पोपनि गिगा ले गये थे। भारतमें मिम जातिका रामफन बहुत मरतने ताइ, 'प्रनिनिय तह गाय पूमो बातो, तो भाजपा में पको कहनाता है। इसे भी पेन-वामो माये थे। मौकोको पृमा होती है। याकि पधिकामियों में विपमे य"फिरङ्गी" लोको करते हैं। एक प्रा.स कुमस्कार पाया जाता। मरो का . .परवो लोग यहां दाल घोर पर लाये थे। मेय, मिर टोकरोमें रण पर शिमोके सिर पर पड़ा देने, पोच आदि फल भी उदींके द्वारा यहां आये थे। जब मक या बराबर उमे टूमा क्षिमीक पिर पर नहीं पोलम्दानि यहां गोल पालकी खेती की है। इसके । रख देता, लव तक यह दौड़ता रहता है। मर मिया जावा के असंख्य फलहन यिविध उपायोंमे फन | | ममका मिर मागे कोमको दूरी पर चना जाता है। १८१४९ में यह मया पनुप्ठित यो । रमतार . जागाका प्रापी-विभाग पनेक विषयनि गनिहित एक प्यति ममका मिर लिए हुए 'HART" मगरमें पहंसा डीपी विभिय है। बोनियो और सुमावा प्रादि दीपो । यत३ गामनकर्ताने उमडे मिरमे टोकरो उतरवा कर माय जावा प्राणियोका माहग्य वएत कम है। किन्तु | ममुद्र में उलवा दो। कि इममे डाम्ननिवाना मरा हिपाल्य प्रदेश के जन्तुमि बहुधा साग्न पाया | नहीं पोर इमीलिए बहुताने रम कुमकारमे मुंह मोड़ जाता है। एक आया हो ८० प्रकारके स्तन्यपायी लिया। प्राणी पाये जाते है. जिनमे ५६ प्रकारके प्राणो इम | जायाम थल पीर गायांकी पषम्या पत्यन्त गोधनाय झोप मिया अन्यत्र कहीं भी देखने नहीं पाते । २०० गायें ज्यादा दूध नहीं देती पोर न स्लम नहीं प्रकारको चिड़िया मे ४• प्रकारको चिड़िया मिर्फ यहीं सोते जा सकते। दो एक जगह मिर्फ हिन्दुमानी नाम पाई जाती हैं, पन्यत्र नहीं। छायो, भान पादि १३ रोती वारी की जाती है। यहांको भैम हिन्दुस्तानी प्रकार जन्त पन्याना होमि है, किन्तु आयामें नहीं मममे बहुत बड़ी पोर मजबूत होती है। यहाँको भौ, पाये जाते। मफेद पोर काती, इस तरह दो तरहकी होती हैं। इम होप स्तन्यपायो जन्तपो गैहाही पबमे बड़ा मायाके लोग कानी भैमझा अधिक पादर करते हैं। । पार्यका विषय है कि यहाक मभो गेडा एक | मफेद भैम कदमें छोटी होती है। सह-तीपमें भोंगया है, किन्तु समाया पादिशोप में दो मांगवाले | फो-मदी .. मम मफेद । कानी भैम तिनी मेंड़ा पाये जाते हैं। यहां दो तरह के महलो सुपर पाये। ताकतवर रोती है कि मेरके साथ भी महती पोर बाजो जाते हैं, जिनको संख्या पौर उपदय के पाधिक्य मे पधि मारती है। वामियों को बड़ा सग होना पड़ता है। मापारा नामक यहाँ गधाकी अवस्था भी पलो नी । आपा सानमें दो महोने मोतर ५... भूपर मारे गये मरकारने १४ में भारत में गः पौरट मंगवाये थे। यहां कई तरह के इरिग्प भी देखे गये हैं यह थे, किन्तु उनकी पोशाद पदों नही। यहांडे घोरे गेट गेर सन्दरकम रोयेम टारगर' ममाम होते हैं। रोने पर भी काम खूप जाने। हरदोई पोई निहारो सोग मेरका शिकार करते है। कमो कभी बड़े यवमे पाने जाते हैं। भड़ाको दया भी गोपनीय भेमा पोर गेरमें भीपर गुरु होता है। इस बार होता है। रोम ( Holle) मा १०२ में उपर भी पाया जाता है। एक प्रकारका पशिनाव दोष मेरिनो माये थे, हिना छमझे कुछ पता । परतानो पेड़ों पर धूम मरासिका म आयाम पसंख्य महार सुन्दर पपीरो जात २६ Vol. vu. !