पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३१८

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नावा (यवक्षोम) २६३ ,. परिचित थे। मोता परब याद नइ उन्हें ग्लोगने के निसा कि "माइ-यामिउ नामक देग बोरम लिए नाना स्थानों में चर भेजे गये थे, हम समय वे प्रचलित है और वह सोग महतमें वार्माप करते साप हारा गठित एवं शेष्य और सुपर परिपूर्ण हैं। यहां के लोगों का कहना है कि यह देग ४०० वर्ष से यस्तोपमें भो पईचे घे; जैसा कि सिखा है-1 भो पहले स्थापित पाया।" यतों को धारणा कि ."परवन्तो वीपं मतगग्योपद्योभित। 'माइया-मिठ' मावाका को नामामार : किना मुनहानी मुवर्ण करवितम् ॥ ३॥ को कोसाको मजयको उपन्यका भो घतनाति । यबद्वीपमतिकम्य शिशिरो नाम पर्पतः। परन्तु जापा कहना हो सात: पोंकि चोमके दिवं स्पृशति जगेन देवदानवसेवितः ॥१५॥ 'मिइतिहामसे मास म होता है कि १४३२ १.में (गमा• Ritent. . मग)! मावावामियों ने, १२० वर्ष पहले उनका देश म्यापित ."स्वर्णरुपकदोप" म पदकी कोई कोई ऐमो हुपा था, ऐमा कहा था। म अलि साय 'माइया. व्याख्या करते हैं कि उस नामका दूसरा कोई होप था। मिठक'का कहना मिल जाता है। हम माने या सम्भम, रामायणके एम पंके नेसकने समापामे कहा जा सकता है कि पति प्रामोनकाममे हो हिन्द जावाजा पार्थ क्य नहीं किया हो। उन्होंने लिखा है कि गण यवोपम परिचित है। यह हो सकता कि यपदोपके वाद, शिशिर पवंत है। यह सम्भवत:भारतोय | ईमीको पलो मताप्दोमें उन्होंने रमस उपनिवेश ज्योतिषकुम्न पड़ामणि भार्यभट दारा निखित यमकोटो| म्यापित किया तो पोर सोलिए चोन के इतिहाममें यहो सेगा । पार्य माने ४८८ में उस यमकोटोका उहष ममय मायाका स्थापनकाम निर्धारित पा हो। किया है। रामायण महाकाव्य के मम्प प भाग किमो ४१८९० चोम-परिवाजा फाहियाग भारतवर्ष में एक ममय में नहीं लिखे गये, यदुत दिनों के कामविशागई। चीन मोटते मममम जगह उसी थे। उन्होंने गे फलस्वरूप उमने वर्तमान पाकार धारण किया है । म | "या-वाटि" विषा है। फाहियानने जावा विवरण लिए यह निषित मनी का मा मफता कि यवोपमे लिखा है कि "म देगमें नास्तिक पोर मात्र पोका हिन्द्रपाका परिचय किम समय दुपा था। पापाय पाम है। घोडधर्मावलम्बियों को मया पपोग्य विहानगण पनुमाम लगाते कि रामायपका जंग नहीं है। ईमाको १लो गसाप्दीम लिखा गया होगा। किनारामा मनापपुराणमें भो यादोपका वर्णन है। परमा पर यपके उस अंगको पतमा परमतो बसमानेका कोई ईत विवरण मम्भवतः पधिक माचोन नहों। मा विशिष्ट प्रमाण नहीं है। मनुमानतः ११. में "यसोपमिति घोष नानारलारावित। मेकेन्द्रियाके भोगोलिक टनेमिने रमका 'जवदिष्ठ* माममे तत्रापि पुसिमानाम पता धातुमतिः । उल किया है, उसने अनुमान होता है कि हिन्दूगप मुगा प्रभवः प्रमः चनस्य ।। उमसे बहुत पहले आवासे परिचित घे पोर उन्हींका। पैरमपदीपमेनेत गुमा । दिया पानाम 'ययहोप' म' प्रचलित बााचोमः। मगिरकर कोतमा गय । ऐतिहासिकगण मोम बातको पुष्टि करते हैं। लियड भार परनानो प पु पारम् । • यंगका रसिहाम ५.२.५५६ में रखा गया था। ननपना दामनवम" उनमें नियाकि मम्राट मोयनयोग के राजस्वकानमें पर्यात बक्षिध व पामर यहोपो मो माना. (पर्धात ०३.४८ पपूर्वाद के भोनर) रोमन पीर प्रकार धातुमकित पतिमान माम ए , भारतीयोन यवरोपर गत बोनमें दूत मने जिम्मे पनेशनदनदियांचा प्रादुभाव पापोरन ।म प्रमानित रोता किसमे पासे भी.मार• सपको पनि । सो प्रारसिमरिया। सोयगत यमदीपमे परिचित थे। ई पन्य यामो! भाकर पयुष मसीप भो महरित नदी.