पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३२२

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जावा (यवहोम ) २८० पदि इतिहास में बहुतमी घटनापोंका विवरण पाया तक जायावामियों के माय धीमकी मनाशा चोरमा गुरु जाता है। अन्य प्रारम्भ हो 'टाजारपतन पोर एमा। पनाम धोनने दादा प्रदेग पर का कर भी 'तिमालपन्न गध्यक्ष उदयका वर्णन । इम पाच लिया । म कालो भीरमी राम मारे गये। जिम • राजामी के नामों का है, जिनमें मे राजा विष्णु र राजा मंग्राममि ने पागापम गुरके याद मुगी. बन जान्दिनागो के सपमित मन्दिरमें समाहित हुए। को पपमारित कर स्वयं राज्यगामम करना पाया था, 'ये चोर यहा बुद्धक समान पूजे जाते हैं। उनमे वाद ! उमो सरह गर्दनविदानको सो पौनों को भगा कर राजा योराजमनागर हुए, जिन्हें कवि प्रपनाजने 'कार | नागामन करनेो रक्षा र निये पगों ने बोध' धनम्नाया है। ये लश्कोतन्दो नामक राजा हाय | कुछ मेमाको गुपभावमे मरवा डाला पोर फको मामुप. में निहत हुए थे और उनके माय माय 'सिमियोले'का समरम' मारने को ठानी। परन्तु मुगन मैना म पात गन्य वम इपा था। 'यूयन' नामक चोनको इतिहास को जानती थी कि विदेगम महायोग हो पर युज भी यह विषय विशेषरुपमे वर्णित है, अतः इममें मन्देर करके वे अय RIम नहीं कर मग । मतिये समर्ग करना व्यर्थ है। इन्होंने मधमे पहले "मिनमारो" उपाधि बनाईनाया पास जा कर कहा कि दाहा दिम पर पास की थी। उनकी मृत्यु के याद 'दाहा' प्रदेशने | पधिकार हो गया और उम उस राजाकी मार कर भाषा इन्दर प्राधान्य लाभ तो किया था। परन्तु वह अपमानका पदनामी ने लिया गया। प्राधान्य पधिक दिन तक रहन सका, शीघ्र ही मदजा। मममयमदनाफसोसायाका प्रधान राज्य फेस के लोगों ने उनके नमी छीन लौ । मी ममय | ममझा गया। पालन में लिया कि जम गयी चीनने जाषा पर भाक्रमप्प किया था। इस विषयका | इसके बाद नो गा और दो रानियों में याका गम्य विस्त त विवरण 'ययान' नामक चीना इतिहास पाया कि याचा । १४६८ ई. सक हम राज्यका भाव पर जाता है। था। मैंचीमकाय 'मिडमिशाम पोर न्याय म दोनोत्तान्तो को पढ़ कर ममाफ गते / यियरपो पदमें माल म होता है. जिस समय ६ कि सुषलाई खाने चोन दंग जय मारने के बाद निकट म गज्यक साथ चीनदेगका बापिज्य मन्ध बात भी घर्ती राज्यों में कर वसूल करने के लिये दून में थे। घमिट था और दूमादि भो पर भी लाते थे । जाया लोग साधारणत: चीनदेशक दूतो का साग पालमपाड' गपने उम ममय सापानी प्रयोगमा करते थे, किन्तु प्रमको थार राजा अजकातोड ने उन्हें । स्वीकार की घो। इन मा घरमाम माम मा • यत्परोमास्ति दण्ड दे कर लौटा दिया। हममें एकमाई कि माया उस समय मदिमागे शामिणरारत. पुौ पत्यमा ए पोर १२८२ में लावावामियों के पदनेमे जात होता कि मदन फेन गप विष. को उपयुक शिक्षा देने के पभिमायसे विगट मेना भेज | मे भरा पा था। घलो कठिनाई उममें याति पोर दी। म ममय ग्तानागर आमामा गनिविदात्र गहला म्यापित पुयो। जावा पूर्व पोर पथिम भाग. में दशकातोशाकी पधीनता स्वीकार म की थी। ये ! १४५. घमान हाई हिरो हो। १५यों मदशाफत के दुई में बाधीनतापूर्वक रहते थे। इहोंने समाग्दीमें मदनाफेल राज्य दो बार मिए गवामे यक्षित दमकातीगमे यदमा लेने लिये चीनको मेनाका शवा! पाया। उम मय पमा और मारिप दोनों • मेसागत किया। हमारे देश कनस्ताप मोर' विसुभम होंगे पर भो काग: कोम प्रयम्पाको पात जाफरने जिम तामाईयई माय मित कर भारतका ! थे। धीरे धीरे विप्र ममी पानी पर हर पर पादित या पहारेजों के राज्य स्थापनों सुभीमा कर दिया ! मगा। की घटनामा उ RTon. था, मो तरह देनविदाने भो मायाम पोना , मनने मिर्म रतनाने का निरसापाom. पधिकार माद फरमंत्री कोमिंग को पो। दो महोने . • Grearrint - - -