पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३२६

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२२१ नापा ( यवोप) वामुको । प्रत्येक विभागमें एक एक मिडेण्ट (म्यानोय ! शेर भी पनेक शोभित धर्म प्रचार्य जावाये । भामगाशी) नियुक्त है। प्रत्येक विभाग ६० जिनमें ! मिन्बतके मामा ऐतिहामि मारानायश कहना है विभा है और उन जिनो में एक एक महकारी रेमो हि वसुपर गियर्ने पूर्वदेशमै योडधर्म का प्रचार किया दद नियुमा है। या। हममे मान मोता है कि चोडने वा उनी. स्थानीय वा देशोय लोग सुमितित होने पर मह के हारा प्रचारित योदधर्म देखा था। ईमानी ठो काग रमिण्ट के निम्रतम रिजएट' या पध्यक्षका पद ! पोर यो मतान्दो मोह परिवानगर मोन पोर पा ण्यते । किन्तु जो प्राचीन गजयंगोरव नहीं है, भाग्यपके मध यातायात करते ये पोर उममे बसने उनको यह पद नहीं मिलता। मनयप्रदेगमें उतरत घे। चोनमें उम ममग बोधर्म- रेमिडेगट स्थानीय शामनकर्ता हैं। राजससंग्रह का बहुत प्रसार या। पहले निप युके किनासो भार गामनको व्यवस्था करना उनका पार्य है। पर्यात् ठा पीर ७वीं शताब्दी में गुजगतमे मनुवाका एक मा विचार पोर शासन इन दोनों को विभागों के वे कर्ता जाया गया था। मर नान म नियटका पशुमान है कि धे भो छोडधर्मावलम्यो । सो मिया २१ करद राय भो, किन्तु उन्हें हम युगमें जापाका बोइधर्म किम प्रतिको बोलन्दाज गवर्नर हायको कठपुतली ममझना चाहिए। म विषयकी कुछ पालोचना को सातो है। घोडा बासादिया नगरमें एक सुप्रिम कोर्ट (बड़ी अदालत ) , का कहना है कि नावा बोडगा होनयाममतावनम्यो जिममें भोजन्दाज उपनिवेगस्य समस्त दीपों के मुकदमों और मूनमस्तिषाटो घे । मन्भवतः गुणवाने की अपोलों का विचार होता है। इसके अलावा शाम यह होनशान मत प्रवर्तित पिया घा, किन्तु नादि कार्य के लिये अनेक कर्मचारी नियुम्न हैं। परवर्ती कालमें भारतवर्ष मे पन्यान्य मत भो यहाँ घधियामियों को साधोनताका प्रमार कामयः घटना प्रभारित एए थे। काकि ०२८ को कानामम हो जाता है। घोसन्दाजायो नामनगृहना क्रममः। नामक स्थानम जो मन्दिा धमा घा, वा तागदेषों के हतर होती जाती है। नाम पर उसगरपाई पोर इम मन्दिर मायान. आपकधर्म-भाया* मिपितव, स्थापत्य, मादित्य | मतका पाभाम पाया जाता है । म्यापत्य शिल्प में मान म मोर घौन परियाजको चमत्तानमे वहकि धर्मका होता है कि परयः कानको बोसधर्म मी महायानवाटो विवरण मिल मचाता है। ४१८० जा फाहियान हो या। घरवंदर मन्दिरमें पांच बड़ो यहो और. शाया पर्यटन करने गये थे. उस समय उन्होंने व मूर्ति यो तथा पतमो दोधिमस्वको मूर्ति या प्यापित माधवधर्म का प्रयल प्रताप देखा था। इमको मत्यता रममे माम म होता है कि वहाका बोधर्म मा. 'मे महाराज पूर्ण या गिलालेपमे मानम हो। यानवादी हो या पाना पन्य पसमें यह भी कहा जा मकदी है। यदि म ममय या योधर्म का यहुत मकता है कि गायमुनिशा परिख यहा पधिपतामे प्रचार होगा, तो फाहियान पयाय की उमका व परिस्फुटित किया गया है। उनको जोपनी पार पूर्व जमा करो। रममे पनुमान किया जाता है कि समममय! तालके पाधार पर पासमो मनिया मिर्मतको आवा चौधर्म का निर्णय अपार ना . 'नाधिपो गरे। मन्दिा मयदेव भो पाया मम्मान की सानिका निकि फाहियान के कुछ ममय माय पूजे जाते हैं। वर्माम मो माय: प्रमो प्रशार पोर. पो पर्चात् ४२० में गुणवर्माने जायाम ( गि-धर्म प्रचमित पाया। मना फ शिan गाममें समिपित पा) यौडधर्म का प्रचार किया पर की जगह चार र मूर्तियां पूजी जाती थी। पार गुपवर्मा याममोरमे गये घे, रमनिये विहानों • eachine ITIN फा पनुमान किमयाम्तिवादोघे । मरे दाद + Hittin Balisa, alim - -