पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३३२

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जावा (यवहोप) ५१० फुट चौड़ाई। इमो वीधर्म एक प्रकाण्ड मन्दिर यनराग, प्राणराग, कनिक, तेना पादि पिले प्राचीन ६ जिमको बधाई ८. फुट है। तात्पर्य यह है कि | कोर्तियो के वसावशेषमे भरे हुए हैं। इस स्याना में हिन्द पुराणों देवत्वघटित सभो दृश्य यहां अपूर्व कौशल प्राचोरों के ऊपर बहुत जग निधि भी दो । से खोदे गये हैं, जिसका वर्णन मी ठाम भी पूरा नहीं कार्त मनमें भी तमे गिलालेख दिने । हो सकता। सिंहमारी निकट ही एक अपूर्व प्रध-मूर्ति है। , ४ । सहस्र मन्दिरके पाम हो 'दिनाङ्गन' नामक स्थानमें परन्तु मन्दिरका पधिकांग हो साताको मत समस्य देवदेवियोंकी मूर्तियां और भग्न मन्दिरका जिले में माना जिनमें जाने के गस्ते में मिमार्गको निदर्शन है। जाया के लोग इस मन्दिरको देवमूर्तियोको मदिरमाम्ना पड़तो है। मन्दिा महम्राधिक हिंद "वेगमिन्दा" कहते है। देव मूर्तियां हैं, जिनमें अधिकांग गिय पोर दुर्गाको .५ ! 8 मन्दिर के पास ही चण्ड़ो कालोसारि या हैं। हम मन्दिाम बहुत जग गिनानेय पदए । कालीमारी मन्दिरमाना है। यहां हिन्दु राजधानोका गिय मन्दिरके मानप, महाकाय उपभ भयान, किन्तु गावगेप देखनमें पाता है। मन्दिरका बर्भािग पतोव | उसका एक मींग टूट गया है। पाम हो वमन्त पुपा- सुन्टर घोर अपूर्य कारकार्य विशिष्ट है। वर्तमान मन्दिर भरणा गोरो है-मामो वे महादेवको पूजा करने के लिए ५७ फुट साम्या पोर ३० फुट चौड़ा है। यहां भी अन्य पुष्यानि ले कर पपमर हो रहो, समायसार पर प्रतिमूर्तियां पाई जाती है। जिनमें शिव, दुर्गा, गणेग नन्दो त हाथमे लिए बड़े हैं, महादेव ममाधिमग्न पोर विणमूति ही उपयोग्य है। विषय के निकट है, बगल में विगुल गासाया है. देखते ही फुमार- एक प्रकागड़ गबड़मूर्ति है। मभवमें वर्णित महादेवको म तपस्याका स्मरप को के बाद हो चपोकालो-लिङ्गका मन्दिर है। पाता है-"सतारदरताप नन्दो, वामप्रतिदन. एमका कार-न पुष्य भी पद्धत है। इसकी लम्या ग्रः" नतनत्व यह शिया सूर्य देव ममायोजित चौड़ाई दोनो' पोर ७२ फुट है और ३०की ऊंचाई पर | एकचक रघ पर चढ़ भर पमम्स पाकागको पतिकार इत । मन्दिरके भीतर एक जगह मोतादेवो या कर रहे हैं। पोंके मस्तक टट गये-मानो ये लक्ष्य की एक योग्य मूर्ति है । इन मिहामनके उठा कर भीमविगमे दोड़ रहे हैं। हम १०० पुटको नोचे ३२ पुतलिया है, जो उमे घामे हुए है चोर पारों ट्री पर एक प्रकापड़ ममार-वेदिकाम विगान गपंग. पोर प्रफुनकामनदन है । यहाँका दृश्य देख पार गान ) मूर्ति विराजमान है । मिहामन पोर गपिंगले माद में मायका माताप मत्य पान'द पीर भशिमें इस गया। बहुतमे नरमुण्ड । मिदार पर दो भोषण मिर था। यधुन जगह तो यह रोने नगा या। मदिरके हार | दाररता कर रहे हैं हमर पाम दो मोमवाय पार पर हाय पा एक विराट् पारवान की मूर्ति मानो। पास कधे पर गा निए पड़े। महरोका काम बना रही है। कानोमारोमें पहने हिंदू ___ोदाम मामफ पान २. आप संचा एक गरधानो थो, पच भी राजप्रासादका ध्व'मायगेय विद्य मन्दिर मामी शिल्प मौन्दर्य की पराकाष्ठा दिपमा रहा माम यह मामाद २३ विगाम प्रस्तरम्तम्भों पर प. म मन्दिर मार दी बड़ी घड़ो परयाका स्थित है। यहां एक प्राचीन पटकालय.जिमको विनास बिन मुरड भी दो पर पानि- सुनाई देय कर मिनायती रनिनियरों को भो चकित हा । परन्तु को मी सतरनेशमाहम गरी करता। जोना पडशायर माई निम ममासमे की गई थी। मन्दिरको दीवारों पर मेघ, पुपादिक चित्र समापसमें मका पभोसक निर्णय गरी पापोंकि मम्मत सेव पुर। एक गादीवार पर राम पोयमें पाम दरापर भी प्यानों है-मानमा गपके युद्धका vिa पहिस। म मन्दिामामाम १.पहले मिहोको मोन गोकरहे पाह बनाई गई। शव मिपा पनेश तिमिल नित नया मातीय Vol. Yu.