पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३६३

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जिरो-विरामी

शिव-पामामको एक नदो। यह परेनको दक्षिण | हाणियों को हो ग्यास इनके द्वारा लिमित मानते। ठानमे निशन्न ७५ मोन दक्षिणको बहसो हुई वारांक जिरोमो-सा के धर्म पन्यत महार स पोर महापुरष. या सुरमामें जा गिरती है। जिगे कवाड़ जिले और दनमासिया पोर पैनोमियाके निकटवर्ती 'मोदी' मणिपुर गय के मध्य मीमा जेमी लगो है। अधिकांश नामक स्थान में : (२३१मे ३५. ई० भोसर किमी भाग पहाड़ों है। अगली पेटाधार और चाय इसकी ममय ) एनका अन्म हुपा था। इनके माता-पिता गह पाती है। ईसाई धर्म के मानने याने पोर सम्पत्तिमानो थे। पामे मिमिया-वाइविन वा इनोलके धर्म वाला प्रमिह पुरुष।। पहन इन्होंने अपने ही ग्राम विद्याभ्याम किया था। इनके पिताका नाम था हिलकियर। अमुमागतः ये ईमागे | पोछे कुछ लिख पड़ कर, ये अपने मित्र योनोमासके ६२६ मे ५८६ वर्ष पहले पाविर्भूत हुए थे। इन्होंने एक ) माथ रोम चले गये चोर यह सुमिद वैयाकरण दोगा. छोटेमे गांव पुरोहितवंग, जन्म लिया था। योगिया | सासके पास व्याकरण पौर दर्शनशास्त्रका अध्ययन किया। नामक यहदो गजाते. वयोदशाह राज्यकानमें ये माधा. 'मिसेरों' और 'भाजिल'के ग्रन्यों में इन्होंने पगेप पाण्डित्य रगा के मामने धर्म यमाके रूप में प्रगट हुए थे । जिम ममय | प्रजन किया था। योगिया अपने राज्यको समस्त प्रापत्तियों से मुक्त ममझते २६६ ई में विगप निवेरिसयने ब गाई धर्म में थे, उग ममय जिरेमियाको विपत्तिको सूचना मालूम दीक्षित किया। किन्तु शुभ दिन बाद उनके नैतिक हो गई घो। परित्रकी प्रवनति को गई। पोछे धपुत साधना करके ____ पहले जिरमिया दुग्यवादी न थे। उन्होंने विचारा| इन्होंने अपने पापों का प्रायशित किया। समान्तर ये था कि ग्रहदी जातिके चिन्तागील व्यक्तियोंको वे जातीय | विहान् व्यक्तिको तरह मिफलामको माघमामे की मुशिका उपाय ममझा मकेंगे। पोछ उन्हें यह पाया जीवन बिताने लगे। उत्तरोत्तर पुनको भान हया एक तरहमे झोपू देनी पड़ी थो। इन्होंने Tahrch प्रबल होने लगो। स्त्रोदोसे ये ऐकुग्निया गये पोर फिर (V. 1 ) मामक याइघिनके एक चंगमें कहा है, "क्या | वासे 'गौन देगको चने गये। परत दिनो तक देश संच पोर क्या नीच, क्या धनी ओर क्या निर्धन किमोमें | भ्रमण करने के बाद ये ऐकुनिया यास करने लगे। मोसमें धर्म प्राणता नहीं दीमती ।" उच्च ग्रेगोके । इमी ममय ( २५०-३०२ ६.) इन्होंने अपना पहला मांगी में पधिकांश ही इनके धर्म मस्कार के विषयमें | ग्रन्थ रचा था। एम यग्य पर इतना विवाद चला कि महानुभूति रखते थे। मिरमियाका यह मत था कि इन्हें देश छोड़ कर पूर्वको तरफ चला जाना पड़ा। "धर्म भार्योको जाग्रत रखने के लिए धर्म ग्रन्यों का पढ़ना पनिायक नगरमें ये बीमार पड़ गये। म कम्न पत्यन्त पायग्नक है।" अवस्थाम उनका मन बोभगवान के समीप जाम के लिए योपियाको मृत्य के बाद लोगोंने पुन: 'यल' नामक पौर भी व्याकल हो गया था। इन्हें रोमके माहित्यमे विदेगी देयताको पूजा करना गुरू कर दी। निरमियान बड़ा प्रम था। वोमारीमें इन्होंने स्वप्र देखा, जिसमें इसके विरुड पान्दोलन उठाया। पाखिर ये प्रत्येक स्वयमाने पा कर इन्हें भाम मा फो।होंने हमी याणी पन्नामें करने लगे-"यविननका राजा इस समय प्रतिज्ञा को कि "धर्मगार मिया में पोर पुर देगको मिहोम मिला देगा। कुछ दिन बाद इनको भी न पढ़ेगा।" फिर ये कानकिमको मामूमिमें साधना मविपहाणी मनमुच को चरितार्थ हो गई। के लिए चल दिये। यहां ये पोयियों का माकर । ___परशा राजापोम मिमियातो बहुत तकलीफें दी। उनकी पतिलिपि करते थे पौर सि भाषा पढ़ते थे। चो. वि.मा ये पपने पसंप्रपथमे विचलित नहीं हुए थे। यकीन महापुरुप पम्मको जोवमो लिली थी। ___ पारपिनमें कई जगा एनका उपदेग लिता मिलतासमें यतमी ऐसी घटनापो का उमेद. जो ऐति:. है। किन्तु प्राधुनिक ऐतिहासिकगप कुछ भविपाहामिक रिमे प्रमात मानम पड़ती। ..