पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३६६

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जिस-निहावा को अपना प्रभु स्वीकार किया है। बहुतों का अनुमान | मुमलमान धम का प्रचार किया था। इस तरहका बस्त है कि, इसो समय नेपाल राज्य दो भागों में विभक्त पूर्वक धर्म विस्तार, दूमरे किमो भी धर्म में नहीं पाया हुपा था। एक ओर लिच्छविय शीय राजगण घोर दरमो आता। , और पंशवर्मा और जिष्णुगुम प्रादि उनके वंशधर राज्य ___ मुसलमान लोग मम्पर्य पृथियोको दो भागों में करते थे। विभता करते हैं । मुमन्नमानों द्वारा मधिशत भूमि दर जिप्स ( Eि वि०) 'जो'का 41 रूप जो उमे विभक्तिः उन -दम्लाम पोर बाकोको ममम्त भूमि दर-उस-हार्य युक्त विशेयके साथ पाने से प्राप होता है। कहलाती है। जो पृथिवी किमो ममय दर उल इस्लाम जिमिम ( का• पु०) जिस्म देखो। थी और पम यह विधर्मी राजाके हस्तगत है, तो उसके निम्ता (हि..पु.) जस्ता देखो। घि जिहादको घोषणा नहीं की जा सकती। 'जिस्म (फा. पु.) गरोर दे । __भारत गवर्म एटके माय परव, पारम्य, पफगानिस्तान 'निह ( फा० श्यी.) क्या, धनुषको डोरी। आदि मुसन्तमान राज्यका परस्पर मन्धिवन्धन रहमे के ज़िदन (अ.पु०) बुद्धि, धारणा, समझ। कारण भारतमें मुमतमान राजापों के लिए जिहादको जिहाद (जहाद) (प. पु.) वर युद्ध जो इस्लाम घोषणा करना निपिह है। इसलिए जिहाद के नियमानु. धर्मके विस्तार के लिए किया जाता है । मुसलमान गास्त्र के मार समग्र मुसलमान जाति सममें योगदान करनेको अनुसार जिस जातिके साथ धर्म युद्ध में प्रति धोना हो. वाध्य नहीं। यह कहना फिजूल है कि, भारतवर्षीय पहले खस जातिको मत्यधर्म में (मुमलमान धर्म में ) मुमतमान अंग्रेजो राज्यमें सुरभित हो कर वास कर दोजित होने के लिए पादेश देना कब है। इस पर | रहे हैं। ऐमो दशामें यदि ३ जिहाद घोषणा करें, तो यदि वे मुसलमान धर्म में दीञ्चित होने वा जिजिया कर | राजद्रोहो समझ जायगे। देना स्वीकार न करें, तो मुसलमान उन पर याक्रमण | जिहान (स'• वि०) गमनीय, जाने योग्य । कर उनका सर्वस्व ले सकते हैं। पराजित अविश्वामी निहानक (0 पु०) जहानक, जगत्का विभाग, मलय। लोगोंके प्राण तक विजेता मुसलमानों इछाधीन है। जिहालत (प. स्त्रो.) मूर्खता, पजानता। 'पाती धर्मानुसार विधर्मियों के प्राण तक ले सकते जिज्ञासा (सं० स्त्रो)हा-मन-भाषे । त्याग करने की है। इस धर्मयुद्धमें कोई मुसलमान गरे, तो उसको रक्षा। मंमय स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जिहास ( म०वि०) दासुमिच्छ हासन्-। त्याग किस जगह जिहादको घोषणा करनी चाहिये, इस | करनेको इच्छा करनेवाला । विषयमें मतभेद पाया जाता है। सुविका मत है कि| जिहीर्मा ( स्त्रो.) तमिच्छा मन भाये पार. विधर्मी लोग यदि मुमतमान सेना या जिनिया देना पोश, हरनेको इच्छा, लेने की इच्छा। . 'पस्मोकार करें और शव को पराजित करने के लायक | जिहोप (म.वि.) हमिच्छु: सन् भावे । हरण 'उनके पाम मेमा रहे तथा यदि उनके साय दूसरी कोई फरनेको इच्छा करनेवाला । . सन्धि न हो, तो शव के साथ जिहाद करना चाहिये। जिहोनिया-एक राजचक्रवर्ती, मनिगल के पुत्र । ये 'किन्न मियापों का यह कहना है कि, उन सबके रहने कुटुसकर कफिम नृपतिके अधीन थे। पश्चायके राषल. पर भी यदि इमाम या उनके नियोजित कोई व्यक्ति पिण्डोके निकटस्थ माणिकेल नामक स्थानमे कुछ दूरी • उपस्थित न हों, तो जिहादको घोषणा नहीं की आ} पर निमोनियाके नाम के सि मिले हैं। मकतो। इस समय पश्य है, इसलिए वर्तमान जिया-वाई बिल वा इत्रीनमें कहे गये जरासक 'कालमें जिहाद पमभव है। मामीने मुमलमान | भगवान् ! मिहोपा शप्दका भय सयभ यामद माके साथ एक हाइमें शाणित पनि ले कर बावनमे : Joh ( पर्यात् पामा) मोर Harah.( पर्चात् विधमान Tel. vw.83