पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३६७

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विपीना . रहमा ) इन दो ग मयोगसे उत्पन पा है। म. सतरां मशगयो यूरोशय नैयायिक निसार का प महा जो मोजूट पर्यात् मनासन है। मो. विषयमै नो युति मर्फको प्रतारणा करा . लिए उसके वर्णकानों ( Rur. 1:4:11:11) का समोधोम नहीं मान म होतो। म मोगों का कहना गया कि "He who is, and rho ras and शिगमोम जोव को गुपों के हारा मीभापति who is to conue' पर्यात् जो है, जो घे पोर जो भवि भगवान् सिर्फ एमको मत्वामे हो प्रकट हो सकते हैं। पामें पा कर विद्यमान रहेंगे। वे पवित्र पोर सरल-वेसे पादि पौर पर। कहा जाता है, कि ११८९ में पेट्रम गमाटिनमने | "Alpha and omega, the begining and the पहले पहल मगन्दका व्यवहार किया था। परन्तु यह end......Who it, and who was, and who in शात विमानयोग्य नहीं क्योकि १४वीं शताब्दीके पहले to come, the Almighty" (Apoc. 1,8) भागको पोषियोंमें हम नामका उखटिगा होता है। नामी आरित-on Boblen, ron der, alam टिम्मेलने शो १५३० Pentateuch का पहरेजी पादि विहानों का कहना है कि वादियों में विरोध . अनुवाद प्रकागित किया था, उसमें जिया शरद मष्टमः | नाम कनानाइट आतिसे प्रण किया था। किन्तु . प्यवत दुपा है। माधुनिक विज्ञामोंका करना है कि Kuenen पोर Baurtisin पाटि मनोपियों ने इसका मिहोपाका प्रशम उचारण 'याप्त है। प्रतिवाद किया है। 'पोरह टेटामेण्ट' के देखने में तो पोल्ड देशमिण्ट' में भगवान का एकमात्र नाम यहो मातम होता है कि शिया मर्यटाये कमानाएर "जिया' निचा गया है विधानाने गिन कर देखा है जातिके विकह पावरण करमे पाय-उस जातिके कि यह नाम 'बारबिम में हमार बार व्यवात गव होते हुए भो ये उन देवता से यह बात कयाम पा । नहीं पाती। एक येणोके विनीमा पभिमत कि जिहोषा गदमें भगवानको मत्वा मान्न म होतो, मिसर देगमें हो निहोश नामको उत्पत्ति है। किन्तु दामिक प्रचालोसे मिर्फ वर्तमान मत्वाका पोर | मुमाने मिसरमें हो विधा पाईयो । मलिए पर ऐतिहामिक प्रणामी मे मामयिक विकागमा का बोध | मत यथार्थ भी हो मकता है। किन्तु म विषयम होता है। विहामि एम विषयका मतभेद पाया जाता | पधिक प्रमाण नहीं मिलते। पण्डिसमपर 'रोय'का काना है। 'मोष्टेटगर' मतावलम्यो लेपकोका कहना है कि कि जिहोछा नाम प्राचीन चन्द्र दवता रपार मिडीया मामको ऐतिहामिक रीतिम ग्रहण करना उत्पद पा है। पम्णोके विधानीका मिहागा कि पाहिए। इस विषय में वे नियमिडित युलियोंमे काम 'आइमामक पविलमके देवता "शिहोयाकी उत्पत्ति सेने। (क) प्राचीनकास नोगों में दामिक दुई। किन्तु यह मत ममापोन नहीं समझा मावाको गूढ़ रहस्यको ममझनेकी नातिनी यो।। जाता। किन्तु हमें मिमरले इतिहामझे पढ़ने में मातम हो पाधुनिक मामाय मत यह है कि उन पवित्र नाम .. मकता कि पतिप्राचोमकाल में भी भगवान के विषय में | किमो प्रकार रुपान्तरित पाकार मुमा के पासे मार मिसरके लोगोंकी Bधारणा थी। मम्भवतः मुमा दियों में प्रचलित घााकोरम पर्वतके अपर मनमान्ने मों ममय में यह नाम दानिक रुपमै च्याल नही पा. समक्ष उपमिस हो कर अपना यथार्थ माग 'मा' बाद टोय धर्म मवविदोंने उमको सून याण्या | या निकोबा' प्रकट किया था । चारदिन माने जोगो। (1)शिका क्रियापद Hasah Hnyah | पुराना पंग शिहोमाका १५५ धार झेप। समा. गतिमाप, विरल या मनातमयापक नी को माताका नाम जोपावेद या समके प्रथम काम विरम यहि पता हियू मापा विपन शरत बिहीयाका माग्य है । भगवान्न पार पल सुमाको . .१कि समसादिमावत मी समझा जा माहीपमा नाग असनाया था मौसन्दरो साता