पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३७३

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निहाय-विडामूलीय ३३२ . जिमनीममे धर्मविषयक पचा न सो कर पनिन्दा | 'निहार: सरिसेन हया पुरः।" (ARA पौर धांवित बात निकममी है. यः जवान मामझा भाटेने । पित मा (जिवामन (म. मी. ) सिमाया त म FREE ____गोर पाटिको शोभ दृमी हो भौतिकी होती है, का ठभाग। मोटो मा यिमान है। इसको जोम नम्बो से जिम जिहानिपत (मो.) शिनिसजानिमा यर चार बार निकालता रहता है। जीभमे एमको निबन' मका निरनिरा-प.। पि . म्पशान होता है। इमको जोम बहुत ही पतनी ३ शोभो। गुवर्ण, रजत ताम पम्या लोमिन पोर मा प्रभाग दो मलियोम विभक्त है। दगान परिमित सूक्ष्मता पोमन मा गोमे जोग कफादि टोम दूपित जिलाका मतण इस प्रकार माफ करना चाहिए। जोम माफ पारनेग मुलको गित 2-शिमा वायुपिन होने पर गाकाराव को तरह प्रभा गता तया जिता घोर दनायित मेद दूरी पर विजिट पोर न सो जाती है, पितपिश होने पर पाराग्य, मचि, पोर मुणको विपक्षमा मम्पादित मान पोर कानो को जानो, कफदूषित होने पर छानो। फेद, भीगो पो चिकनो ( विक्षिम ) होतो है नया निहाय ( म० पु. ) जिया पियति पा। कुम विटीयान्वित होने पर परामरी, कास्नी और दिग्ध हो| कुत्ता। २ ष्याघ, घाव । ३ विहाल, मि। ४ भाग, जाती है । ( मायरार) भान । ५ दिवकण्यान, गिता शाघ। . निमको उत्पतिका विषय सप्तमें इम प्रचार निमा जिहारोपा (मं• मो.) जिवायाः परीवा, तत् । -उद पश्यमान कफ-गोणिस माम मामान निए जिका यदि पतलो, रतोको सरए पेनो पोर स्फोट रामारवस् मारमाग को जिला रूप परिणत हुपा है। हो, तो वायुज रोग ; जीममे रासाय हो, सो मिल (सुधा .) तया उमका रङ्ग मफेट, पारयाद पहा और पानी भेगमसानुमार -जोयको पाप रन्द्रियों में दूसरी निकलता हो, तो उगे मा रोग ममझना चाहिये। इन्द्रिय। हमके दो भेद है, एक भाव-जिना एन्द्रिय कुन कानी हो कर उपमिता (इलफफा कोपा ) श्री पोर मरो दृष्य बिहारन्ट्रिय । म मोगको जो दीखो। पोर मुकगैमे माविपातिक समझना चाहिये। उस ६. सयाम्दिय ६ पोर उममें यात प्रामप्रदजीमे पयमा जोम यदि मुखमै बाहर निकन कर नम भाव पनोई इन्द्रिय को देगनेने नहीं पासो है, यह भाय. तो रोगीकी मृत्य निसट समझगी पाहिये। रस्टिय । म्याद पर्ग पादिका माग द्रचरन्द्रियको महायमागे उम भाष इन्द्रिया को होता । मोनिद्रामधन्ध (म. पु. शिवामूल, जोमको जहा। निए पामा निकम लाने पर फिर उमझे दारा घाट महामन (मं. प्रो.) शिक्षायाः मन fun पाजाम गली हा। यह जितान्ट्रिय शिश, यित मन, जीम परका मेन। अन, अग्नि, गायु पोर मम्पति (चदिदी म पांच मिकामन (म.पु.)मीभको । ' मिया पन्य मंमार मममा मानियो वा झोयार होतो जिजामूलीय (म.पु. ) मिहामूमे भय मिना। (RF .) जिगुम पर मा मिद्वाप .की.) विशाया: ५५, जि मारव मिलाके मूनमे होता है, यमाकतिषण, पशि . प्रभा. मोमी नारा। पापामार्गत पद। क, ग, पो. रहने पर fri (म... ) fron .. ३। नमा म्यानमे जिलाम्मीय ही माताशिमामाया मा!: अगौट, Anni Ter ५ प्रकार म प्रकार अमेरिकाम्या राय . . जप मा म हिमा पिधानका उपारण विमा ममान (4 )