पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३८

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जमनादास-जम्वोर । . . ३ पूर्व बङ्गाल और प्रामाममें ब्रह्मपुत्रनदका जिम्मालिनी (सं० स्रो०) जम्बाल अत्यर्थे नि ! १ नदो । निम्न भाग । इसको मुहाना पंक्षा. २५°२४ उ० तया । शैवलिनी।३ पभिनौं। . . . देगा. पू. और गङ्गाके माय सङ्गम पक्षा० जम्चिर (स• पु० ) जाहीर निपातनात् इवः। जम्बीर, २३.५.३० एवं देशा० ८६ ४५° पू० में है। यह जंबोरो नौबुका पेड़। जम्भीर देखें।। दक्षिणको १२१ मील तक गयी है। वर्षा ऋतम चौड़ाई जम्बौर ( स० पु. ) जम्बोर भने निपातनात ईग्न वुच । ४५ मील रहती है। बारहों महीने ना और जहाज (गम्भौरादयथ) १ मरुवकवत, मरुवाका पेड़ ।२ अजक- चना करते हैं। वृक्ष, छोटा तुलसीका पौधा । ३ सितार्ज कक्ष, सफेद जमुनादास-जमुमालहरी नामक हिन्दी ग्रन्धके रचयिता। या फोके रंगका तुलसोका पौधा । ( राजनि. )1४ (किसो जमनियां (हिपु.) १ जामुनी, जामुनका रंग। (वि०)। किसोके मतसे । पुदीनाका भाका . '२ जाम नके रंगका। ५ नम्बोरो नोबूका पक्ष। इसके संस्कृत पर्याय ये अमरों (फा स्त्री.) १ नालबन्दीका एक औजार । यह है-दन्तगठ, जम्भ, जम्भीर, जम्भल, जम्भक. जगभर, 'चिमटीके प्रकार का होता है इसमे घोड़ों के नाखन । दन्तहर्पण, दन्तकर्षण, दन्तहर्पक, जम्भिर, गम्भोर, 'काटे जाते हैं। २ सड़सो। रवा रत गोधो, जम्भो, रोचमक, शोधक और जद्यारि। जमुदि (हि.पु.) पना नामका रत्न । इसे मराठी और गुजरातोमें हड़, कनाड़ामें कविले, जमुदी (फा०वि०) जिसका रंग पन्नाके जैसा हो। तेलगूमें निम्मवेछु, निम्बपण्ड,. मलय में चेकनारमा, (पु.) २ पनाका रंग, वह रंग जो नोलापन लिए हुए | तामिलमें चम्पझमः अरबोमें नीबू-ए हामिज, पारसी में हरा दीख पड़ता हो। और मिन्धमें नीबू तया दक्षिणी भाषा, लिमून कहते हैं । अमेसाबाद--सिन्धु प्रदेशके थर और पारकर जिलेका इसी लिम नसे अंग्रेजीमें Lemon हुआ है। इसका तालुकं । यह पंक्षा० २४. ५०' एवं २५ २८ ३० और वैज्ञानिक नाम Citrus Bergamia, The Barga. 'देशा ६८.१४ तथा ६८ २५० पू०के मध्य अवस्थित mot orange है। भारतमें इस श्रेणोके बहुतसे नौबू है। लोकसंख्या प्रायः २४०३८ और क्षेत्रफल ५०५ वर्ग देखनेमें भाते हैं, जैसे रगपुरो नोबू, चोना, जम्बोरी -मील है। इसमें १८४ गांव है । मालगुजारो और सेस | नोवू, कागजो नोबू, विजौरा नोब इत्यादि। माया लाख ७० हजार पड़ती है। सारे भारतवर्ष में, सुन्दा और मलक्का उपहोपों में अम्मती (सं. 'पु०) जाया च पतिथ । दम्पतो, जायापतो . तया यूरोपके नाना स्थानों में जम्बोरो नोब उत्पन्न होते स्त्रोपुरष। हैं। फ्रान्स, सिसिलो और कालानिया इसको खेती अम्ब (सं० पु०) जम्बोरवृक्ष, जौरा नोबूका पड़े। होती है। इस नातिके नीबूमो में - कोई गोल, कोई 'जम्बा (सं० 'स्त्री० ) जम्बूफल, आम नका फल । छोटा, कोई कोमल, कोई चिकना, कोई खरखरा वा सम्बायतैल कोल औषध तैलविशेष, एक देवाईका ! मोटे छिलकेका और कोई पीलेपनको लिए ज्यादा रस. तेल । जम नको नई पत्तिया, कैथ, कपासके फूल, भदः । वाला पाया जाता है। इसके सिवा कोई कोई ऐसे भो 'रक रन सबके साथ नीम, करन और मरसो का तेल हैं, जो पकने पर भी इरे बने रहते हैं। उबालना चाहिये । इसोको जम्बाद्यतेल कहते हैं। इसे इस नोबूके छिलकेको निचोड़ कर रस निकालनेसे, कनिमें डालने कर्णस्राव अच्छा हो जाता है। उसे एक तरहका तेल बनता है, जिसे प्रग्रेजी में जम्बाल (सं. पु० ) १ पर, कीचड़, कादी.। २0वाल, } Bergamot oil कहते हैं। यह तेल सुगन्धि के लिए सेवार। ३ केतकवत, केतकीका पेड़ । (को०) सुगन्ध काममें लाया जाता है। यह तेन वाध प्रयोगको किसो तण, एक प्रकारको सुगन्धित घास। . . . . . किमो पोषधमें सुगन्धि लाने के लिए डाला आता है। नम्बाली ( मो.) केतकोकी वृक्ष। ... इसके फलसे भी थोड़ा बहुत तेल निकाला जा सकता Vol. VII. 9