पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३८०

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नोमूतवाहो-जौरक्ष - ३३६ चय पूछा : युवक उत्तर दिया-'मेरा नाम सचड़ है। ४ अण, पामाणुसे बड़ा कण । ४ केसर, फल का जोग। गरुड़ मुझे भक्षत करेगा, इसलिए मैं यहां लाया गया | (वि) ५ जयशोल । ६ निमः तेज, जन दो चलनेवाला । हूँ। इन्होंने कहा--'मसे ! तुम घर जानो, मैं तुम्हारे ७ गनुका सानिकर, दुश्मन को नुकसान पहुंचानेवाला । बदले गगड़का भक्षा होगा।' यह कह कर इन्होंने / जोरक ( स० पु. ) जोर मजायां कन्। खनामप्रमित गहचको विदा किया और उनके बदले स्वय बैं! एक पदार्थ जो मौकके प्राकारका और उममे कुछ छोटा गये। कुछ देर पीछे गाड़ पा कर उनको भखने नगा। होता है, जीरा । इसका पौधा डेद दो सांय मचा होता इस समय सहमा पुष्यष्टि होने लगो। गाड़गे विस्मित है, और पत्तियां टुबकी तरह लम्बो और बहुत बारोक हो कर एनका परिचय पृच्छा और इनके अनुरोधमे ममम्त होती है। इसमें सौंफकी तरह लग्यो मीको पर फनी मृत लोवाको जिन्ना दिया। दमके उपरान्त शानिनगनि : गुश लगते है। इसके मस्त पर्याय ये हैं-जाण. • इनका महल जाम कर दनको गन्य लौटा दिया। जोण, मोर, जीरा, अजाजो प्रजाजिका, कगा, दोग्य, सुरमसे राज्य करने लगे ( कथासरिरमागः ) दीपका, मागध, बडिगिता। जोरकके गुण-या जाद, ' ' " धर्मरन नामक स्मृतिक मंग्रहकर्ता। उग, दोग्न तथा यात, गुल्म, प्राध्यान, अतोमार, ग्रहणी ५ एक प्रसिद्ध स्मात पण्डित । पनि मनुमहिना | घोर समिको नाग करनेवाला (राजनि०), रुचि पोर पर भाष्य बनाया था। ये ईमाको ११वीं शताब्दी के स्वाकर, गन्धयुना, कफयातनागक, पाकम कटु, तीर, प्रारम्भ हुए थे। लघु और पित्तया का है। (रासस)

जीमूतयाहो (सं० १०) जीमून मेघमुदिश्य वहति उई जोरम तीन प्रकारका होता है-मतजीरक, कण.

__गति, यह णिनि । धम, धुवा। जीरक और गृहत् जोरा । सफेद जीराको जोरक, परम्प, , ओमृताटमी (म स्तो०) गाण पालिन मामको अष्टमो । प्रजासो, कणा और दोघ जोरका करते हैं। काना जिताठमी देखो। सीराको सुगन्ध, उहारशीपण, कणा, पनाजो, समयो, जोमूतामा (म. स्त्रो०) १ देवदामो. एक प्रकारकी। कान्तिका. प्रणिका, कारयो, पृथ्वी पृय, मणा पोर वर लता। देवदालो देखो । २ जरमुस्ता, जनमोया। माञ्चिका । उपजालिका तथा हत् जोराको उपाधी भोर जीयट (हि.पुर ) जीवट देखे। कुच्ची कहते है। जीरयाको फारमोमें जीरः, परमीन जोयदान (हि. पु. ) प्राणदान, नोवगदान । 4 मून, अग्रेजोम युमिन ( Curnin ) पोर वध भाषामें | जोया-उद-दोन नमासबो-प्रमिद सूतानामा पर्थात् शुक जोय कहते है। मारोका उपन्याम, गुन्नरेज पादि फारमी ग्रन्योरे जोग पेड़गे पदा होता है। इसके प्रधानतः दो रचयिता। भेद है-एक मफेद पोर दूसरा वाला। हिन्दुस्तान में जीया:उद-दीन बरनी-एक मुमतमाम इतिहामन्लेग्नुका काका यासा जोरा पीर मफेदको मफेद मोरा कहते ये सुलतान महमाद सगलक और फिरोज़शाह नगलगाके हैं। दाक्षिणात्यम शाजीरा गन्दमे दोगी तरह जोराका समय, पाविर्भूत हुए थे। घरन अर्थात् यत्तमान चुनन्द | पोध होता है। गहरमें एनका जगम दुपा था, नदनुमार इन्दनि जीया . बीर( भारतवर्ष प्राय: सयंत्र घोड़ा-बहुत पैदा ए घरमा नामसे अपना परिचय दिया है। इन्होंने 'सया | होता है, पर बलाल पोर घामामम इमकी उपज पद्धत चौम-ए फिरोजगाहो' नामक एया कारमो अन्य निखा कम है। , जिम, सुलतान गियाम-उद दोनसे ने कर मिगेज. कोई कोई यूरोपीय विधान कहते हैं कि, पहले गार गलतफ पाठ बाटगाहोंका इतिहाम है। भारतवर्ष में जोराके हच म घे, किन्तु पारस्य देगी यह और (स'• पु.) अवसानि शुरक । जीरी च । उम् ३॥ माये गये हैं और फिर उनकी पापाटी की गई है। मोर शान्तादेगः। १जोरक, बोरा। २. पर तलवार ।। किमो किसी विहानका यह कपना कि, भूमध्यमागर-