पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३९९

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कामना। है . ३५६ सोयश-जौवात्मा १ पराशनने या व्यवसाय । २ जोवका गुण या व्यापार। जोवम्यान (म. ली.) जोमस्य जोमम श स्थान, न... शेवगा (म. पु. ) मिगग्छ। मर्म, गरोरका वह स्थान जहाँ जीव रहता है, दय : वोयम (F• पु०) जीवः प्राणिभिः 'सनीयः शसस्तुती . औपारमा देतो। जोवस्त्या (म'• वो०) १ प्राणियों का वध | २ मावियो । जायगर्मा-एका प्रमिह क्योतिर्विद ।। वधका दोप। जोयगाम• पु. ) जीवो हितकर गाकः, कर्मधा। जीवहिमा ( म स्वी.) १ जोधोका वध, प्राणियों की मालयदेगोय प्रमिद शाकवियेप, मालय देगमे होनेवाला । हत्या ! २ जनमतानुमार पांच पापभिसे पाला पाय एक प्रकारका गाक, सुमना। इसके संस्कृत पर्याय - जीया (सं० स्त्रो.) जीवयते जोव-पिच पप वा टाप या तोयन्त, रतानान, ताम्रपर्ण, प्रयाल, शाकवोर, सुमधुर किय, मप्रमारणे दोघः मा पस्त्वस्य । च्या, धनुपी और मेषक है। मके गुण-सुमधुर, वहंगा, वम्तिगोपन, डोरी । २ जोषन्तिका नामको पौषध। २ वधा, याम.., . दोपन, पाचन, यल्य, हप्प और पित्तापक्षारक है। यच । ४ शिक्षित । ५ भूमि । ६ जोयगोपाय, जोविका। . जोयराफ़ा ( स० सी०) जीया हितकारी शका शवयमा ७ जीव माये पटाप । जोयग, माए । मा मता। जोययति जोय णिच्-अच् । चीरकाकोन्नो, एक, १० जीयक । ११ रीतकी। प्रकारको नदो। जीवागार (मलो.) मर्म स्थान । जीवगृन्य (क्ली०) नोवैः शून्य, ३-तम् । जीवरहित, | मोवात (म' पुक्की) जीयत्यनेन जीय-पा . वा जिम प्राण न हो। | रात। 1100१ मत, अब, पनाज । २ जोवनीपध ओवशेष ( म० पु स्त्री.) मुम', वर निसको मृग " हस्त दक्षिण ! मृतस्य शिशोदिनस्य नि.ट पा गई हो, यह जो मरने पर हो। । जीयासये विराज शरमनी छमाणम् ।" (उतर चरित । ) जीपगोणित (म• मी.) जोयोत्पादक गोणितं, शाकता। जोपातमत् ( म' पु. ) जीवातु मतप । पागुफामय लियोका पात्तं य गोणित। यह गर्भधारणका उपयुमा देवतायिगेप, मायुकामयन के एक देवता । इनमे पायुको होने के कारण जीवगोणित नाममे पमिति एमा है। | प्रार्थना की जाती है। . जोपय ठा ( मो०) जोयाय जोयनाय येहा. ४ तत्। जीवात्मा (सं० पु. ) जीयस्य जोयनस्य पामा पधिष्ठाता : - प्राधिनामको प्रोपधा । तत् ता जीवयामी प्रामा घेति, कमंधा० । देशी. मीयम फ्रमण (म'• की.) जोयानां मकमण', सत् ।। पात्मा, चैतन्यम्वरूप एक पटाये। एमके मंहत पयांय : देशमारप्राप्ति, जीयका एक भरोस्मे दूमर गरी ये है-पुनर्भयो, जीव, अममान, सत्व, देशगत, ना, गमन। जन्र, प्राणी और चेतन । जिम चेतन्य , यही । मोधमा ( म० पु.) जीय रति संभा यस्य, य... पात्मापदयाय है। प्रारमा समस्त इन्द्रियों पोर गरीरका पाहिश अधिष्ठाता है। पामा विना किमी भी इन्द्रियमे मी जीयमाधन (म. सो. ) लोयस्य जीवनस्य साधन, · भी कार्य नहीं होता। जिम प्रकार रथके धनने पर ६ मत् । धान्य, धाम। मारविका पनुमान किया जाता है, उमो प्रकार महामक . मोगरा राय-मानसूर्योदय गाटक चौर वैराग्यगतक | दएको पेटा प्रादिक देगनेमे पामाया भी पनुमाम , मानक अग पदापन्यो रपयिता। किया जा मकता है। गरोर पादिमें तम्यकि जोयमुना (मो .) ओयः मूतः यस्याः, योग होना मम्भव नही पयोकि यदि यह गति गरेर पोर सोन्या. या पोजिएका पुन ओयित हो। इन्द्रिय पादिम कोसी, तो मृत मारि गरीम मी गार जारा ( मो.) जीर्ष प्राविम सूने महिए। मि:मन्देश पायी जातो। मारा गौर सोप या सोश.वोजिमको ममाति कोमोरो। ने पिनस , म सखी पौर दाबी ए १ ...