पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४०

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नम्ब नदो जम्ब जानुनदो ( सं. स्लो ) जम्बूनदी देखे।। .. .. किनारे पर भी बहुतसे देवमन्दिर है। यहां अगरेजीका जानुपर्वत (सं-पु.) जम्बुद्वीप। . .. बनाया हुआ एक सुदृढ़ दुर्ग है। १८५६ ई० में म्युनिसि. जम्बुप्रस्थ (सं० पु० ) किमी नगरका नाग। यह काश्मोर ! पालिटी हुई। पहले यहां बड़ा व्यापार था। कपास राज्यकर वर्तमान जम्मू घहर है। राजा दशरथके मरने | ओंटने के कई कारणाने हैं। चमड़े की राई भी होती पर भरत मातुलालयले प्रयोध्या इसी नगर हो कर गये थे। है। हाथो दांतके ताबोज और खिनीने अच्छे बनते हैं।

: .: . (रामायण 10131) जन्छु ( स० स्त्री० ) १ नागदमनो, नागदौना । ( राजनि० )

जम्नुमत् (सं० पु०) १ एक पर्वतका नाम । २ एक वानर | नागदमनी देखो। २ जामुनका पेड़। इसका फल पकने का नाम । पर काला हो जाता है। पर्याय-मुरभिपता, नीलफला, जम्बुमती (सं• स्त्री.) एक प्रसरा। श्यामला, महास्कन्धा, राजार्हा, राजफला, शुकप्रिया. जम्बुमाली (सं० पु.) एक राक्षसका नाम । इसके पिता- मोदमोदिनो, जम्दु, और जम्बुन्न । का नाम प्रहस्त था। यह लाल वस्त्र पहनता था, इसके जम्बू शब्द हिन्दी में पुलिङ्ग माना गया है। दांत बड़े कड़े थे। रावण के पादेशानुसार यह हनमानसे | वत्त मानके उद्विद तत्वविदक मतमे -दुनियाम करीब लरने गया था और इसो युद्दमें इसको मृत्यु हुई। ७०० प्रकारके जम्ब वक्ष पाये जाते हैं। इनमेंमे भारतमें जम्बुमार्ग (सं० सो.) पुष्करस्य तीर्थभेद, पुष्करके एक | करीब १५० प्रकारके जंब वृक्ष देखे जाते हैं । कोई कोई तीर्थका नाम I , कहते हैं कि, पहले जिस जाति के पक्ष ज़ाज जातीय जम्बुरुट्र.(सं• पु० ) पातालवामी एक नागराज, पातालमें समझ जाते थे, उनमेंसे बहुत से तो मिल जातीय हैं। रहनेवाला साँका एक राजा। किमी किसोके मतसे लवङ्ग भादिके पक्ष भी सो जातिक अग्बुल ( सं० पु००) १ जम्बुक्ष, जामुनका पेड़ । २ केतकी है। भारतवर्ष में प्रायः सर्वत्र वाम, मलय, सिंहल, पुष्प वृक्ष, केतकीका पड़ ।। ३ कर्णपाती नामक शेगी । अमेरिका देशके वे जिन्न पोर वेष्टइण्डिज दीपपुञ्ज इत्याटि इसमें कानकी लौ पक जाती है, सुप कनवा । . 'ग्रीमप्रधान स्थानों में जम्न वक्ष बहुत उत्पन्न होते हैं। जम्मुवनज (सं० लोक ) खतजवापुष्प, सफेद बड़ोल । । इसका वैज्ञानिक नाम इजिनिया ( Eugenre ) है। जम्बुसर-१ बम्बई प्रान्तके भडीच जिलेका उत्तर तातुक । कहा जाता है कि साभयराज इउजिनके समानार्थ “यह मना०.२१°५४ एवं २२.१५ ३०और देया. ७२ । उहा नाम रकता गया था। तथा ७२.५६ पू०के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल जब जातीय क्षमि निम्नलिखित वृक्ष ही प्रधान है-- २८७ वर्गमौल और सोकसंख्या प्रायः ६१८४६ है। इसमें ___सामुन-( Eugenia Jambolana ), पगारेजीम १ नगर और ८१ गांव है। भूमि समान है। पयिमको | लेक सम् ( Black plum), वर्मा थव्य व्य . तेलगूमें उमाइ मैदान और पूर्वको जङ्गली जमीन है। । 'नमोदू, उडिग्याम जामकुति, प्रासाममें जमू पोर बद्भालने जम्बुसर-बम्बई प्रान्तके भड़ीच जिले में जम्बुमर तालुकका नाम कहते हैं। सदर। यह अनाः २२३३० और देशा०,७२४६ पू यह लामुन ज्येष्ठ पापाद मासमें पकता है। इस में अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः १७१८१ है। प्रथमतः । नाति का वृक्ष मजीला होता है। यह भारत के प्रायः सर्वत्र ११७७५ में . अगरेजीने इसको अधिकार किया था। होता है।. पनाम और हिमालय प्रदेश में ३००० फुट .१०८३ ई० तक यह उन्हीं के प्रधान रक्षा, फिर मराठौको चोलगहमें भी यह अपने पाप पंदा होता है । सौंप दिया गया । आखिर.१८१७ ६०में पुनाको सन्धिके । आसामको तरफ तथा छोटे नागपुर और अन्यान्य स्थानों अनुसार मग्दुसर अगरेजोको मिला। नगरमे - उत्तर इसकी छाल के साथ दूसरे पदार्थ मिला कर (जान 'नागेतर इद है। इदके घोच में पाम तया और भी नाना आदि) बहुतमी चौरंगौमाती. है। " मसारके हनौसे सपोमित एक छोटासा होप है। इसकेनोल बनाते समय इसको शासका काय व्यक्त होता