पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४०१

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३५० नोवामा मास्तिह पार्याक गरीर तिरिमा पामाको खोकार पामा भी क्षणिक है, जानसक्ष्य राषिक, तर. नहीं करते। उनका कहना है कि, पुरुप मिसने दिनों मिया स्थिरतर पारमा नहीं । ये सक शोपिस रहे. उसने दिनों तक सपके लिए होमोगिग बोहों के माध्यमिक मतावलम्बो मनिक विज्ञान पर। म मय की प्यक्ति कानग्राम, पतित हो रहे पात्मा भो नहीं मानते। वे कहते हैं-का भी नही और भरयुझे पाद जव बान्धवगप गयदेको जला कर | है, सब कुछ शून्य है, क्योंकि जो वमएँ सपने दोपती . भग्म हो कर देते हैं, फिर उममें कुछ धच नहीं रहता है, वे जापत अवस्या में नहीं दोषी धीर जो शायना . तो जिममे गुगलमे जीवन व्यतीत हो, उमकी कोगिग | दशाम दोखतो है, ये स्वप्नावस्या नहीं दोगती। ममे करना ही विधय है। पारनीकिक गुखको पागामें धो. विनमण प्रतिपन्न होता है शि, यथार्य में कोई भी पशु पार्जन कर पामाको फट देना निसाना मूदताका मत्व नहीं है, मत्व होनेमे प्रयग्य ही यह समस्त प्रष. कार्य है। यों कि भग्म हुई देहका पुनर्जन्म होना स्यामि दिखलाई देतो। योगाचार मसायलम्यो भपिण किमी कामत, सम्भव नहीं। ये पञ्चभूनको नहीं विज्ञानरूप पात्माको खोकार करते है। यह विज्ञान दो मानरों । इन मतम-तिति पप तेम: पोर वायु इन चार प्रकारका है-एक प्रतिविमान पोर मरा पाना. भूमिही देशकी उत्पत्ति होती है । मधेतनमे चेतनशा विज्ञान। जाग्रत और सुप्त ययस्था में जो मान होता उत्पमोमा किम तर मभयो सकता है। इसके उमको प्रकृत्तिविज्ञान और सुपुशि पयस्यामें जो जान उत्तरम ये यह कहते हैं कि, यद्यपि भूत प्रचेतन । होता है, उमको पालयविज्ञान कहते है। यह जाग नयाघि मिन फर नम शरीररूपने परिणत होते है, त कैयन प्रामा हो पपलधनमे पा करमा । उसमें चेतन्य उत्पन हो जाता है। जिम प्रकार हन्दी प्रत्यभित्तादर्शनके मनमे-जोषामा पौर परमाया .. पोर चूमाके मिलने पर लाल रंगको उत्पत्ति हो । एक हो है पर्थात् जीयामा हो परमामा पीर परमात्मा जाती है तथा गुड़ पौर चावल भादि प्रायेक ट्रष्य ही लीयामा है। जीवात्मा और परमात्मा जो मेट मादक न होने पर भी मिल जानेमे उसमें मादकतागति जान हुमा करता है, यह भ्रममाव। यह पनुमान पा जाती है, उसी प्रकार पपेतम पदार्थमि उत्पन्न होने | मिह है कि जीवामा पीर परमामा कोई मद नही पर भी म देशम चैतन्य स्वरूप व्यवहारिक पात्माकी पनुमान प्रणाली रम प्रकार -निममें जान पोर किया. उापति शोना समय नहीं। मैं मोटाम दुबला है, यही परमम्बरतिया जिसमें दो गलिया गोरा, काला रस्यादि मीकिक व्यवहारमें भी। नहीं है, यह परमेश्वर नहीं है। जैसे- पादि। पामाको ही म्य ल कग पादि ममझा जाता है, परन्तु र जीयामाम यह शशि पायो जाती है, तब जीयामा स्य सत्यादि धर्म मधेसन भौतिक देपमें ही पाया जाता परमेसर पीर परमामामे पभिव, ममे मटेही . सलिए यह विलापतामे प्रमाणित होता कि क्या म स्थान पर कोई कोई पापति करते गोतम देश की पामा २, म सिया दूमरा कोई प्रयक यदि जोयामा होगरता हो, तो मरनास्वरुप पान पामा नहीं है। ये पौर भो एक प्रमाण देते हैं कि प्रत्यभिसाको या पायमकता में अमका योग शिम सात लोदा चोर घुम्यक रन दोना पतन पदार होने पर मिसोम पड़ा या योज-बात हो वा पहा. होने पर भी पारम्परिक पाकपर्णमे दोनों क्रियाग प्रहर उत्पन्न करता है पोर मे विपको-माम कार या . सम्पयशोमी भो र परम्पर भूतममुष्ट एक विमा जाने बानी मृत्य, ओमी ९, मो सारा होने पर मम सन्द पर एक गदि आपणही नाती ओवामा भो सरकी मानि जगविमर्माणादि कार्य करा ११ देगा कर ममता म तरको पापत्तियों को ना सकती १, पोषम प्रधान उत्पति मरे में मिला कि ने कुछ कामको म। हिमी किमो स्थान पर मा मभो नाणेको Eि मामा, इतिए कार होने से जो कार्य होता और कहीं को कार . .